Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर आकाशीय उत्सव का नाम है पतंगबाजी, पढ़ें श्रीराम से है इसका क्या संबंध

Makar Sankranti 2023: त्रेता युग में नारायण के पुरुषाेत्तम अवतार भगवान श्रीराम ने अयोध्यावासियों के उल्लास के लिए उड़ायी थी पतंग। उड़ते हुए पंतग पहुंच गयी थी इंद्रलोक। इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी के पास पहुंची पतंग। भगवान ने स्वयं दर्शन देकर जयंत की पत्नी को कर दिया था धन्य। पतंग है उल्लास, स्वतंत्रता का प्रतीक। मकर संक्रांति के सूर्य प्रकाश में पतंग उड़ाने से शरीर को मिलती है स्फूर्ति।

मुख्य बातें
  • त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने उड़ायी थी पतंग
  • इंद्र लोक में इंद्र की पुत्रवधू को दिए थे भगवान ने दर्शन
  • मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने से शरीर को मिलती है स्फूर्ति


Makar Sankranti 2023: दान, खिचड़ी के साथ मकर संक्रांति पर्व है पतंगबाजी का। उत्तर से लेकर दक्षिण तक, गुजरात से लेकर राजस्थान, महाराष्ट्र तक सभी जगह मकर संक्रांति के दिन आसमान में रंग बिरंगी पतंगें कलाबाजियां करती देखी जाती हैं। गुजरात और राजस्थान में तो इस दिन विशेष रूप से पतंग महोत्सव मनाया जाता है और बाकायदा पतंगबाजों के बीच प्रतियोगिता होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि सनातन धर्म के अन्य त्योहार− पर्वों की भांति ही मकर संक्रांति पर पतंगबाजी करने का अपना अलग महत्व है।

जी हां, बहुत कम लोग जानते हैं कि मकर संक्रांति पर पतंगबाजी की डोर आज से नहीं अपितु त्रेता युग से जुड़ी हुयी है। इस उत्सव का संबंध सीधे रूप से भगवान नारायण के पुरुषोत्तम अवतार श्रीराम और रुद्र के अवतार हनुमान जी से जुड़ा है।

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