Kojagari Lakshmi Puja 2023 Date: जानिए कब मनाया जाएगा कोजागरी लक्ष्मी पूजा, क्या है इसका महत्व
Kojagari Lakshmi Puja 2023 Date: कोजागरी लक्ष्मी पूजा जिसे कोजागोरी लोकखी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह पूजा देवी लक्ष्मी को समर्पित है। कोजागरी पूजा बंगाल, उड़ीसा और बिहार के हिस्सों में मनाई जाती है। ये पूजा शरद पूर्णिमा के दिन की जाती है। कब है कोजागरी लक्ष्मी पूजा। इसका महत्व क्या है। यहां जानें सारी जानकारी।

kojagari puja 2023
Kojagari Lakshmi Puja 2023 Kab Hai: हिंदू धर्म में कोजागरी लक्ष्मी पूजा का बहुत महत्व है। ये पूजा खास तौर पर बंगाल में मनाई जाती है। इस पूजा को बंगाली लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन हिंदू पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा होती है। शरद पूर्णिमा के दिन ही कोजागरी पूजा की जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। शरद पूर्णिमा आश्विन माह की पूर्णिमा को कहा जाता है। इस दिन कोजागरी लक्ष्मी पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करने के लिए आती हैं और अमृत की वर्षा करती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कोजागरी पूजा की डेट और महत्व के बारे में।
कोजागरी लक्ष्मी पूजा डेट ( Kojagari Lakshmi Puja 2023 Date)
कोजागरी लक्ष्मी पूजा हर साल अश्विन मास की शरद पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल कोजागरी पूजा 28 अक्टूबर 2023 को मनाई जाएगी। इस पूजा को बंगाली लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। भारत के पूर्वी हिस्सों में पूजा के लिए विशेष विधि का पालन किया जाता है।
कोजागरी पूजा शुभ समय ( Kojagari Lakshmi Puja Shubh Muhurat)
कोजागरी पूजा 28 अक्टूबर 2023
कोजागरी पूजा निशिता काल (पूजा मुहूर्त) 11:42पीएम से 12:30 एम, 29 अक्टूबर
अवधि 00 घंटे 49 मिनट
कोजागरी पूजा के दिन चंद्रोदय शाम 05:41 पीएम
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 28 अक्टूबर 2023 04:17 एम
पूर्णिमा तिथि समाप्त 29 अक्टूबर 2023 01:53 पीएम
कोजागरी लक्ष्मी पूजा महत्व ( Importance of Kojagari Lakshmi Puja)कोजागरी पूर्णिमा के दिन ही शरद पूर्णिमा भी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी अपने भक्तों से मिलने के लिए धरती लोक पर आती हैं। माता लक्ष्मी के आठ रूप हैं इनमें से किसी भी रूप का ध्यान करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। देवी लक्ष्मी के आठ रूप हैं धनलक्ष्मी, धन्य लक्ष्मी, राजलक्ष्मी, वैभवलक्ष्मी, ऐश्वर्या लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी। इस दिन विशेष रूप से खीर बनाई जाती है क्योंकि इसका बहुत महत्व है। इस दिन खीर बनाकर खुले आसमान में चंद्रमा के नीचे रखा जाता है। उसके बाद इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इसके अलावा जो लोग इस व्रत को करते हैं उन्हें मृत्यु के बाद सिद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन रात्रि जागरण का भी विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इस रात देवी अपने भक्तों के घर आती हैं, जो भक्त जागते हैं उन पर देवी लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
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