Kokila Vrat 2024 Date: 20 या 21 जुलाई - 2024 में कब है कोकिला व्रत, जानें अखंड सौभाग्य के व्रत की सही डेट और पूजा मुहूर्त
Kokila Vrat 2024 Date (कोकिला व्रत कब आता है 2024): कोकिला व्रत को शिव और पार्वती जी से सुखी और लंबे वैवाहिक जीवन की कामना से रखा जाता है। मान्यता है कि माता सती ने यह व्रत भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए रखा था। यहां नोट करें 2024 में कोकिला व्रत कब है और कोकिला व्रत 2024 की डेट, तिथि और पूजा मुहूर्त।
When is Kokila Vrat 2024 in India
Kokila Vrat 2024 Date (कोकिला व्रत कब आता है 2024): हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि पर सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की मंगलकामना से कोकिला व्रत करती हैं। यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है जो कि अखंड सौभाग्य दिलाने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को देवी सती ने भी रखा शिव जी को पति के तौर पर पाने की कामना के साथ किया था। यहां जानें 2024 में कोकिला व्रत कब है।
Kokila Vrat 2024 Kab Hai
कोकिला व्रत डेट 2024 | 20 जुलाई, दिन शनिवार |
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 20 जुलाई को सुबह 5:59 बजे से |
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समापन | 21 जुलाई को शाम 3:46 पर |
कोकिला व्रत 2024 प्रदोष पूजा समय | शाम 07:19 से 09:22 PM |
कोकिला व्रत 2024 प्रदोष पूजा अवधि | 2 घंटे 2 मिनट |
When is Kokila Vrat 2024 in India
कोकिला व्रत कब आता है: यह आषाढ़ मास में आना वाला सौभाग्यकारक व्रत है। सुहागिन महिलाओं का यह कई जगह आषाढ़ पूर्णिमा पर तो कई जगह आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर श्रावण पूर्णिमा तक चलता है। 2024 में आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई को सुबह 5:59 बजे से शुरू हो जाएगी। इसका समापन 21 जुलाई को शाम 3:46 पर होगा। आषाढ़ पूर्णिमा तिथि पर प्रदोष काल 20 जुलाई को रात शाम 07:19 से 09:22 के बीच रहेगा। इस वजह से आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत 21 जुलाई को लेकिन कोकिला व्रत 20 जुलाई को रखा जाएगा।
कोकिला व्रत क्यों और कैसे करते हैं
यह व्रत देवी सती के आशीर्वाद को पाने के लिए किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अग्नि में भस्म होने के बाद देवी सती ने 1000 साल कोयल के रूप में बिताए थे। इसके बाद ही उनको शरीर की प्राप्ति हुई और वह शिव जी के पास जा पाईं। इस वजह से सौभाग्य और सुहाग के लिए कोकिला व्रत किया जाता है।
कोकिला व्रत वाले दिल सुबह स्नान करके शिव जी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। नदी या कुंड में स्नान करके कोयल की प्रतिमा बनाएं। शिव और पार्वती की मूर्ति को स्थापित करने के बाद उनको गंगाजल और बेलपत्र चढ़ाएं। साथ कोयल को भी ये अर्पित करें। चालीसा और मंत्र जाप के बाद आरती करें।
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मेधा चावला author
हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दो...और देखें
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