Kokila Vrat Katha: कोकिला व्रत कथा हिंदी में, जानें देवी सती व शिवजी से जुड़े इस व्रत की डेट, पौराणिक कहानी और महत्व

Kokila Vrat 2023 Vrat Katha in Hindi:आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर कोकिला व्रत रखा जाता है। मान्यताओं में कोयल को देवी का रूप माना गया है जिनको भगवान शिव के श्राप की वजह से कई हजार वर्ष तक उनको इस रूप में रहना पड़ा था। यहां जानें कोकिला व्रत 2023 डेट (Kokila Vrat Date 2023)। साथ ही पढ़ें कोकिला व्रत कथा इन हिंदी।

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Kokila Vrat Katha in Hindi

Kokila Vrat 2023 Katha in Hindi: आषाढ़ मास का समापन एक बेहद महत्वपूर्ण और पावन व्रत से होता है। ये है कोकिला व्रत जो आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि पर रखा जाता है। मान्यता है कि देवी सती को समर्पित यह व्रत मनोकामनाएं पूरी करने वाला होता है और इस दिन भगवान शिव और सती की पूजा विशेष फल देती है। कुंवारी कन्याओं के लिए भी यह व्रत लाभदायक होता है।

2023 में कोकिला व्रत कब है

आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि 2023 में 2 जुलाई दिन रविवार को मानी जाएगी। इसलिए कोकिला व्रत 2023 2 जुलाई को रखा जाएगा। इस दिन मिट्टी की कोयल बनाकर इस प्रतिमा की विधिवत पूजा की जाती है।

Kokila Vrat Katha in Hindi, कोकिला व्रत की पौराणिक कहानी

मान्यताओं के अनुसार, अनंतकाल में एक राजा दक्ष हुए थे जिनकी पुत्री सती ने उनकी इच्छा के विपरीत भोलेनाथ को अपने पति के रूप में चुना था। एक बार अपने घर में यज्ञ का आयोजन करवाया था। इसका निमंत्रण उन्होंने सभी देवी देवताओं को दिया लेकिन देवी सती और भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया था। जब देवी सती को इस यज्ञ का पता चला तो वह भी इस यज्ञ में शामिल होने के लिए भगवान शिव से आग्रह करने लगीं। भगवान शिव ने देवी सती को समझाया कि बिना बुलाए उन्हें यज्ञ में नहीं जाना चाहिए। लेकिन देवी सती ने भगवान शिव की बात ना मानी जिस पर भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी।

वहां पहुंच कर देवी सती को मान नहीं मिला और वहां उन्होंने भगवान शिव का अपमान होते देखा। इससे आहत होकर उन्होंने यज्ञ की अग्नि में आहुति दे दी।

जब भगवान शिव यह जानकर क्रोधित हो गए और उन्होंने देवी सती को 10 हजार साल तक कोयल के रूप में वन में भटकने का श्राप दे दिया। इस वजह से देवी सती कालांतर में 10 हजार साल तक वन में भटकती रहीं और भगवान शिव की पूजा-आराधना करती रहीं। इसके बाद देवी सती को पर्वतराज हिमालय की पुत्री का जन्म मिला था।

कोकिला व्रत का महत्व

कोकिला व्रत पति पत्नी के परस्पर सहयोग और समर्पण को दर्शाता है। महिलाएं ये व्रत पति के लंबे साथ और मधुर दांपत्य जीवन की मान्यता से रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं इस व्रत को विधिवत रूप से अच्छा जीवन साथी पाने की कामना से करती हैं।

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