Kanha Chhati 2023: कृष्ण जी की छठी कब है, जानें लड्डू गोपाल की छठी कैसे बनाएं
Krishna Chhati 2023 Kab Hai (Kanha Chhati 2023): जन्माष्टमी पर बाल गोपाल के जन्म के 6 दिन बाद श्री कृष्ण जी की छठी मनाई जाती है। जानिए श्री कृष्ण छठी की तारीख, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व (Krishna Ji Ki Chati Kab Hai 2023)।
Krishna Chhati 2023 Date, Tithi, Muhurat, Puja Vidhi And Mahatva
- श्री कृष्ण जी की छठी जन्माष्टमी के 6 दिन बाद मनाई जाती है
- इस दिन श्री कृष्ण को पीले रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं
- इस दिन बाल-गोपाल की पूजा की जाती है
Krishna Chhati Kab Hai 2023 (Laddu Gopal Ki Chhati Kab Hai): हिंदू धर्म में जिस तरह से किसी बच्चे के जन्म के 6 दिन बाद उसकी छठी (Krishna Chati 2023 Date) मनाई जाती है ठीक वैसे ही ये परंपरा भगवान कृष्ण के जन्म के बाद भी निभाई जाती है। जिसे श्री कृष्ण जी की छठी (Krishna Chhathi Kab Hai 2023) के रूप में जाना जाता है। 2023 में कृष्ण जी की छठी 12 सितंबर, मंगलवार के दिन पड़ रही है। इस मौके पर भगवान कृष्ण की विधि विधान पूजा की जाती है (Krishna Chhati Puja Vidhi 2023) और श्री कृष्ण भगवान के मंदिरों में कान्हा जी की छठी धूम धाम से मनाई जाती है। जानिए कान्हा जी की छठी की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि (Kanha Ji Ki Chhati Kab Hai 2023)।
Kanha Chhathi 2023 Date And Muhurat (कृष्ण छठी 2023 तिथि व मुहूर्त)
इस साल श्री कृष्ण छठी 12 सितंबर, दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन सुबह 06:04 बजे से रात 11:01 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। ऐसे में इस शुभ योग में श्री कृष्ण भगवान की पूजा बेहद फलदायी साबित होगी।
Krishna Chhathi Significance (क्यों मनाई जाती है कृष्ण छठी?)
हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के 6 दिन बाद षष्ठी देवी की पूजा की जाती है इसे ही छठी कहा जाता है। मान्यता है छठी के दिन षष्ठी देवी की पूजा से बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
Krishna Chhati Puja Vidhi 2023 (कृष्ण छठी पूजा विधि 2023)
कृष्ण छठी के दिन सुबह स्नान करने के बाद मंदिर की सफाई करें और फिर लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद दक्षिणावर्ती शंख से लड्डू गोपाल का अभिषेक करें। फिर लड्डू गोपाल को पीले रंग के वस्त्र, मुकुट, आभूषण पहनाएं और माथे पर चंदन का टीका लगाएं। श्री कृष्ण जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और लड्डू गोपाल जी की अराधना करें। इसके बाद उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाएं। अंत में बाल गोपाल की आरती कर पूजा संपन्न करें।
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