Krishna Janmashtami 2024 Shlok Mantras
Krishna Janmashtami 2024 Shlok Mantras: कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की असीम कृपा पाना चाहते हैं तो उनके मंत्रों और श्लोकों का जाप जरूर करें। कहते हैं जो कोई सच्चे मन से श्री कृष्ण के मंत्रों-श्लोकों का जाप करता है उसके जीवन के समस्त दुख दूर हो जाते हैं। ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं कृष्ण भगवान के लोकप्रिय श्लोक और मंत्र (Krishna Shlok In Sanskrit)। इन्हें आप अपने परिजनों के साथ भी शेयर कर सकते हैं।
Krishna Janmashtami 2024 Shlok Mantras (कृष्ण जन्माष्टमी श्लोक और मंत्र)
1. ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥
अर्थ- हे कृष्ण, वासुदेव, हरि, परमात्मा, शरण में आये हुए के कष्ट दूर करने वाले, गोविन्द, आपको मेरा बारम्बार नमन है।
2. कृष्णाय वासुदेवाय देवकीनन्दनाय च ।
नन्दगोपकुमाराय गोविन्दाय नमो नमः ॥
अर्थ- श्रीकृष्ण, जो वासुदेव और देवकी के पुत्र हैं, जो नंद और गोप कुमारों के प्रिय हैं और जिन्हें गोविंद के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें मेरा बारम्बार नमन है।
3. अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥
भावार्थ- हे श्री कृष्ण आपके होंठ मधुर है, आपका मुख मधुर है, आपकी आँखे मधुर है, आपकी मुस्कान मधुर है, आपको हृदय मधुर है, आपकी चाल मधुर है। हे मधुरता के ईश्वर श्री कृष्ण आप सभी प्रकार से मधुर है।
Krishna Janmashtami Mantra (कृष्ण जन्माष्टमी मंत्र)
4. ॐ कृष्णाय नमः
भावार्थ- हे श्री कृष्ण, मेरा नमन स्वीकार करो।
5. ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
भावार्थ- हे श्री कृष्ण! मैं विनती करता हूं कि आप मुझे अपने संरक्षण में ले लो।
6. हरे राम हरे कृष्ण कृष्ण कृष्णेति मंगलम्।
एवं वदन्ति ये नित्यं न हि तान् बाधते कलिः॥
भावार्थ - जो सदा हरे राम! हरे कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! जाप करते हैं, उस भक्त को कलियुग में कोई भी हानि नहीं दे सकता है।
Krishna Janmashtami Sanskrit Shlok (कृष्ण जन्माष्टमी संस्कृत श्लोक)
7. कलि काले नाम रूपे कृष्ण अवतार।
नाम हइते सर्व जगत निस्तार।।
भावार्थ- श्री कृष्ण तथा कृष्ण नाम अभिन्न हैं। कलियुग में श्री कृष्ण स्वयं हरिनाम के रूप में अवतार लेते है। केवल हरिनाम से ही सम्पूर्ण संसार का उद्धार संभव है।
8. अच्युतं केशवं रामनारायणं, कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरीम।
श्रीधरम माधवम गोपिकावल्लभम, जानकीनायकम रामचन्द्रम भजे॥
भावार्थ- हे अच्युत! हे केशव!, हे राम! जो नारायण के रूप हैं, मैं आपको भजता हूं, हे कृष्ण! हे दामोदर! हे वासुदेव! मैं आपको भजता हूं। हे हरि!, हे श्रीधर!, हे माधव!, जो गोपियों के प्रिय थे, मैं आपकी पूजा करता हूं। देवी जानकी के स्वामी! प्रभु श्री रामचन्द्र को मैं भजता हूं ।
9. हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।॥
10. हरे राम हरे कृष्ण कृष्ण कृष्णेति मंगलम्।
एवं वदन्ति ये नित्यं न हि तान् बाधते कलिः॥
भावार्थ - जो सदा हरे राम! हरे कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! जाप करते हैं, उस भक्त को कलियुग में कोई भी हानि नहीं दे सकता है।
Bhagwat Geeta Shlok (भगवत गीता श्लोक)
11. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
अर्थ- हे अर्जुन कर्म तुम्हारा अधिकार है लेकिन फल की चिंता करना तुम्हारा अधिकार नहीं है। इसलिए फल की इच्छा छोड़कर कर्म करो।
12. नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥
अर्थ- आत्मा को न आग जला सकती है न पानी भिगो सकता है। इसे न हवा सुखा सकती है और नाही यह शस्त्रों से काटी जा सकती है। यह आत्मा अविनाशी और अमर है।