Sankashti Chaturthi Vrat Katha: कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा से जानिए इस व्रत का महत्व
Krishnapingala Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi: आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी (Sakat Chauth Katha) के नाम से जाना जाता है। यहां जानिए इस संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा (Sankashti Chaturthi Kahani)।
Sankashti Chaturthi Vrat Katha: संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा
Sankashti (Ganesh) Chaturthi
Sankashti Chaturthi Puja Vidhi And Muhurat Read Here
संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा हिंदी में (Krishnapingala Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi)
द्वापर युग में महिष्मति नगरी में महीजित नाम का एक राजा रहता था। वो पुण्य कर्म करने वाला और प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा का अच्छे से पालन पोषण करता था। लेकिन उसकी संतान न होने के कारण उसे राजमहल का वैभव अच्छा नहीं लगता था। उसके मन में हमेशा ये ख्याल आता रहता था कि वेदों में निसंतान का जीवन व्यर्थ माना गया हैं और संतानविहीन व्यक्ति द्वारा पितरों को दिया गया जल पितृगण गरम जल के रूप में ग्रहण करते हैं।
यही सोचकर उस राजा के जीवन का बहुत समय व्यतीत हो गया। उसने पुत्र प्राप्ति के लिए कई दान, यज्ञ आदि करवाए। लेकिन फिर भी उसे पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। एक समय राजा ने विद्वान ब्राह्मणों और प्रजाजनों से इस चीज को लेकर परामर्श किया। राजा ने कहा कि हे ब्राह्मणों तथा प्रजाजनों! मेरी कोई संतान नहीं है, अब मेरी क्या गति होगी? मैंने अपने जीवन में कोई पाप नहीं किया। अपनी प्रजा का पुत्रवत पालन किया और धर्म का हमेशा पालन किया। लेकिन फिर भी मुझे अब तक पुत्र क्यों नहीं प्राप्त हुआ?
ये सुनकर विद्वान् ब्राह्मणों ने कहा कि, हे महाराज! हम लोग इस समस्या का हल ढूंढने की पूरी कोशिश करेंगे। ऐसा कहकर सब लोग राजा के मनोरथ की सिद्धि के लिए ब्राह्मणों के साथ वन में चले गए।
वन में उन लोगों को एक श्रेष्ठ मुनि के दर्शन हुए। जो निराहार रहकर अपनी तपस्या में लीन थे। उनका निर्मल नाम लोमश ऋषि था। सभी लोग उनके समक्ष जाकर खड़े हो गए और उन लोगों ने मुनिराज से कहा। हे ब्रह्मऋषि! हम लोगों के दुःख का कारण सुनिए। हे भगवन! आप ऐसा कोई उपाय बतलाइए जिससे इस दुख का निवारण हो सके। महर्षि लोमेश ने पूछा-सज्जनों! आप लोग यहां किस कारण आए हैं? स्पष्ट रूप से कहिए।
प्रजाजनों ने कहा हे मुनिवर! हमारे राजा का नाम महीजित है जो ब्राह्मणों के रक्षक, धर्मात्मा, दानवीर, शूरवीर और मधुरभाषी हैं। उन्होंने ही हम लोगों का पालन पोषण किया है, परंतु ऐसे राज को आज तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई। हे महर्षि, आप कोई ऐसी युक्ति बताइए जिससे हमारे राजा को संतान सुख की प्राप्ति हो सके, क्योंकि ऐसे गुणवान राजा को कोई पुत्र न हो, ये बड़े ही दुख की बात हैं।
प्रजा की बात सुनकर महर्षि लोमेश ने कहा- मैं संकटनाशन व्रत को बता रहा हूं। ये व्रत निसंतान को संतान और निर्धनों को धन देता हैं। आषाढ़ कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को ‘एकदंत गजानन’ नामक गणेश की पूजा करें। राजा पूरी श्रद्धा से ये व्रत रखकर ब्राह्मण भोज करवाकर उन्हें वस्त्र दान करें। गणेश जी की कृपा से उन्हें पुत्र अवश्य प्राप्त होगा।
महर्षि लोमश की बात सुनकर सभी लोग उन्हें दंडवत प्रणाम करके नगर में लौट आए और सभी ने राजा को महर्षि लोमश द्वारा बताए गए उपाय के बारे में बताया। प्रजाजनों की बात सुनकर राजा बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्होंने श्रद्धापूर्वक गणेश चतुर्थी का व्रत किया।
कुछ समय बाद राजा की पत्नी रानी सुदक्षिणा को सुंदर और सुलक्षण पुत्र प्राप्त हुआ। श्रीकृष्ण जी कहते हैं इस व्रत का ऐसा ही प्रभाव है। जो व्यक्ति इस व्रत को करता है उसे समस्त सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
19 January 2025 Panchang (19 जनवरी 2025 आज का पंचांग): कल इतने बजे रहेगा राहुकाल, पंचांग के जानें दिशा शूल, शुभ मुहूर्त, तिथि और रविवार के उपाय
Havan Ahuti Mantra 108: हवन आहुति मंत्र 108 और हवन करने की विधि यहां देखें, जिससे पंडित जी न मिलें तो आप खुद भी कर सकते हैं हवन
Kaal Sarp Dosh Upay: मौनी अमावस्या पर कर लें ये 3 खास उपाय, कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति तो घर में आएगी सुख और समृद्धि
18 January 2025 Panchang (18 जनवरी 2025 आज का पंचांग): पंचांग से जानिए शनिवार को कब है पूजा का शुभ मुहूर्त, कब से कब तक रहेगा राहुकाल
Moon Rise Time, 17 January 2025: पंचांग से जानिए सकट चौथ का चांद कितने बजे दिखाई देगा
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited