Kundalini Jagran: कुंडिलनी जागरण का कर रहे हैं प्रयास तो पहले पढ़ लें क्या रखनी चाहिए सावधानी, जरा सी चूक पड़ सकती है भारी

Kundalini Jagran: ध्यान योग के द्वारा स्वयं को जानने की साधना है कुंडलिनी जागरण। कुंडलिनी शक्ति का जागरण करने वाले साधक बुरे विचारों से रहे सर्वथा दूर। बिना गुरु के निर्देशन के न करें कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करने का प्रयास। कुंडलिनी शक्ति करती हैं मानव देह के मूलाधार चक्र में निवास।

कुंडलिनी शक्ति जाग्रत करने के टिप्स

मुख्य बातें
  • विभिन्न योगों के माध्यम से होती है कुंडलिनी जाग्रत
  • कुंडलिनी जागरण है अपने आप में शक्ति साधना
  • जरा सी असवाधानी से उठाना पड़ सकता है नुकसान

Kundalini Jagran: मनुष्य का शरीर देव मंदिर है और उसमें इष्टदेव का चिर निवास है लेकिन अज्ञानवश उसे जानने में लोग असमर्थ रहते हैं। इष्ट देव की अपारशक्ति को अपनी क्रिया शक्ति के द्वारा पहचानने और उसकी सुषुप्त को चैतन्य बनाकर आत्मकल्याण के लिए पूर्वाचार्यों ने अनेक मार्ग निकाले हैं। जिनमें एक मार्ग है, “कुंडलिनी शक्ति की साधना”।

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कुंडलिनी शक्ति का निवास “मूलाधार चक्र” में बताया गया है। यह मूलाधार चक्र रीढ़ी की हड्डी के सबसे निचले छाेर में है, जिसे आधुनिक शरीर विज्ञान में गुदास्थि कहा जाता है तंत्र ग्रंथाें में मिले इसके बारे में लेखाें में कहा गया है कि यहां स्वयंभूलिंग है। जहां साढ़े तीन कुंडल मारकर कुंडलिनी शक्ति सोयी पड़ी हैं। उनका सिर स्वयंभूलिंग के सिर पर है और वह अपनी पूंछ को अपने मुख में डाले हुए हैं।

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