Kurma Dwadashi 2025 Date: कूर्म द्वादशी कब है? यहां नोट करें तिथि, पूजा विधि और महत्व
Kurma Dwadashi 2025 Date: कूर्म द्वादशी का व्रत भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को समर्पित माना जाता है। इस दिन कूर्म भगवान की पूजा की जाती है। ऐसे में आइए जानें साल 2025 में कूर्म द्वादशी का व्रत कब रखा जाएगा।
Kurma Dwadashi 2025 Date
Kurma Dwadashi 2025 Date: कूर्म द्वादशी का व्रत पौष महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के कच्छप अवतार जिसे कूर्म के नाम से भी जाना जाता है। इनकी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है। इस तिथि पर भी भगवान ने कच्छप अवतार धारण किया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री हरि ने समुद्र मंथन के दौरना कूर्म अवतार लिया था। जिस समय मंदराचल पर्वत समुद्र मंथन धसने लगा तब भगवान ने कच्छप रूप धारण करके इस पर्वत का भार अपनी पीठ पर लिया था। कूर्म द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से और व्रत रखने से साधक को सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानें कि कूर्म द्वादशी का व्रत कब रखा जाएगा।
Kurma Dwadashi 2025 Date (कूर्म द्वादशी 2025 डेटः
कूर्म द्वादशी का व्रत पंचांग के अनुसार हर साल पौष मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल इस तिथि की शुरुआत 10 जनवरी को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगी और इसका समापन 11 जनवरी को सुबह सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में कूर्म द्वादशी का व्रत 10 जनवरी 2025 को रखा जाएगा।
Kurma Dwadashi 2025 Puja Vidhi (कूर्म द्वादशी पूजा विधि)
- कूर्म द्वादशी के दिन सुबह स्नान के आदि के बाद व्रत का व्रत का संकल्प लें।
- उसके बाद साफ वस्त्र धारण करके घर के मंदिर की साफ सफाई करें।
- फिर मंदिर में साफ चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की प्रतिमा स्थापित करें।
- उसके बाद सिंदूर, लाल फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- इस दिन कुर्म स्तोत्रम् का पाठ अवश्य करें।
- अंत में आरती करके भोग लगाएं और सब में वितरित करें।
Kurma Dwadashi Mahatav (कूर्म द्वादशी महत्व)
शास्त्रों में कूर्म द्वादशी के व्रत का विशेष महत्व है। शास्त्र के अनुसार कूर्म भगवान विष्णु का दूसरा अवतार माना जाता है। जो उन्होंने समुद्र मंथन के समय लिया था। भगवान विष्णु के इस रूप की पूजा करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन का व्रत करने से भक्तों से सार कष्ट दूर होते हैं और उनको मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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जयंती झा author
बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हु...और देखें
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