Lapsi Tapsi Ki Kahani In Hindi: करवा चौथ के दिन पढ़ें लपसी-तपसी की कहानी

Lapsi Tapsi Ki Kahani: हर एक व्रत की अपनी एक विशेष कथा जरूर होती है। जिसे व्रत वाले दिन जरूर पढ़ा जाता है। लेकिन यहां हम आपको एक ऐसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जो आप किसी भी व्रत में पढ़ सकते हैं। जानिए लपसी तपसी की कहानी।

Lapsi Tapsi Ki Kahani

Lapsi Tapsi Ki Kahani In Hindi: लपसी और तपसी की कथा इस प्रकार है। एक समय की बात है लपसी-तपसी नाम के दो भाई थे। जिनमें तपसी हमेशा भगवान की तपस्या में लीन रहता था तो वहीं उसका भाई लपसी प्रत्येक दिन सवा सेर की लापसी बना कर भगवान को भोग लगा कर फिर भोजन करता था। एक दिन किसी कारण दोनों भाई में लड़ाई हो गई। तपसी का कहना था कि मैं बड़ा हूं और लपसी बोला मैं बड़ा हूं। दोनों लड़ ही रहे थे इतने में वहां नारद जी आ गए। नारद जी ने कहा कि आप दोनों क्यों लड़ रहे हो? तब उन दोनों ने अपनी लड़ाई की वजह बताई।

दोनों ने नारद जी से पूछा कि आप ही बताइए हम में से कौन बड़ा है? नारद जी ने कहा अभी तो मैं जल्दी में हूं लेकिन इस बारे में आपको जरूर बताऊंगा। इतना कह कर नारद जी चले गए। दूसरे दिन जब नारद जी आए तो उन्होंने एक-एक कीमती अंगूठी उन दोनों के आगे रख दी। तपसी ने तुरंत ही अंगूठी अपने घुटने के नीचे छिपा ली और सोचने लगा कि अब मुझे खूब धन मिलेगा। जिससे में यज्ञ करूंगा और अपने आप ही बड़ा हो जाऊंगा। लपसी ने जब अंगूठी देखी तो वो सोचने लगा कि इसे अगर मैं अपने पास रखूंगा तो कोई भी आकर मेरी गर्दन काट देगा। ऐसा सोचकर लपसी ने वो अंगूठी फेंक दी।

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