Lapsi Tapsi Ki Kahani: रमा एकादशी की कथा पढ़ने के बाद जरूर पढ़ें लपसी तपसी की कहानी

Lapsi Tapsi Ki Kahani: कार्तिक महीने में लपसी तपसी की कहानी पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए इस महीने में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों में जरूर पढ़ें लपसी तपसी की व्रत कथा।

lapsi tapsi ki kahani

Lapsi Tapsi Ki Kahani In Hindi

Lapsi Tapsi Ki Kahani (लपसी और तपसी की कहानी): हिंदू धर्म में कार्तिक महीने का विशेष महत्व माना जाता है। इस महीने रमा एकादशी (Rama Ekadashi), धनतेरस, दिवाली, भाई दूज, गोवर्धन पूजा, तुलसी विवाह जैसे कई बड़े व्रत-त्योहार पड़ते हैं। कुल मिलाकर ये महीना पूजा-पाठ की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है इस महीने पड़ने वाले व्रतों के दौरान लपसी तपसी की कहानी पढ़ने से उस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। आज रमा एकादशी व्रत है ऐसे में इस दिन लपसी तपसी की कहानी जरूर पढ़ें।

Lapsi Tapsi Ki Kahani | लपसी तपसी की कहानी

लपसी और तपसी नाम के दो भाई थे तपसी हमेशा भगवान की तपस्या में लीन रहता था जबकि लपसी रोजाना सवा सेर की लापसी बना कर भगवान को भोग लगा कर भोजन करता था। एक दिन दोनों भाई में लड़ाई हो गई।
तपसी बोला- मैं बड़ा हूं और लपसी बोला मैं हूं बड़ा। इतने में वहां नारद जी आ गए। नारद जी बोले, आप दोनों क्यों लड़ रहे हो? लपसी और तपसी दोनों ने नारद जी से पूछा हम में से कौन बड़ा है? नारद जी ने कहा इस समय तो मैं जल्दी में हूं इस बारे में आपको मैं कल बताऊंगा और यह कह कर नारद जी चले गए।
दूसरे दिन जब नारद जी आए तो उन्होंने एक-एक कीमती रत्न जड़ित अंगूठी उनके आगे रख दी। तपसी ने झट से अपने घुटने के नीचे अंगूठी छिपा ली और मन में सोचा कि अप मुझे खूब धन मिलेगा। जिससे यज्ञ करूंगा और अपने आप ही बड़ा हो जाऊंगा।
लपसी ने रत्न जड़ित अंगूठी देखी तो सोचने लगा कि इसे अपने पास रखूंगा तो कोई आकर गर्दन काट देगा। ऐसा सोचकर लपसी ने रत्न जड़ित अंगूठी फेंक दी। फिर नारद जी आए और तपसी से बोले कि तेरे घुटने के नीचे क्या है? तपसी ने घुटना उठाया तो वहां अंगूठी निकली।
नारद जी बोले कि इतना भजन भाव करके भी तेरे मन में लालच है। तेरे से तो लपसी ही बड़ा है, और तुम्हे तुम्हारी तपस्या का भी फल नहीं मिलेगा। तपसी शर्मिंदा होकर नारद जी से माफ़ी मांगने लगा।
तपसी बोला कि महाराज यह आदत कैसे छुटे और मेरा पाप कैसे उतरे कृप्या करके कोई उपाय बताएं। तो नारद जी ने कहा कि कार्तिक महीने में स्त्रियां कार्तिक व्रत रखेंगी और अगर वे अपना पुण्य तुम्हें देंगी तब ही यह पाप उतरेगा।
तपसी बोला कि मुझे वे अपना फल कैसे देंगी तो नारद जी ने कहा- कोई गाय और कुत्ते की रोटी नहीं बनाएगा तो फल तुझे मिलेगा। अगर कोई किसी ब्राम्हण को भोजन कराकर दक्षिणा नहीं देगा तो तुझे उसका फल मिलेगा। यदि कोई साडी के साथ ब्लाउज नहीं देगा तो तुझे फल मिलेगा। यदि कोई दीपक से दीपक लगाएगा तो फल तुझे मिलेगा।
इसी तरह से अगर कोई सभी कहानी सुने लेकिन तुम्हारी कहानी नहीं सुनेगा तो फल तुम्हें मिलेगा। कहते हैं उसी दिन से हर व्रत और कहानी के साथ लपसी और तपसी की कहानी पढ़ने की परंपरा शुरू हो गई।
इसलिए ही कार्तिक महीने में भी हर कहानी के बाद लपसी तपसी की कहानी जरूर पढ़ी या सुनी जाती है।
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