Laxmi Ji Ki Aarti: लक्ष्मी जी की आरती
Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi (ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता आरती): मां लक्ष्मी को धन-वैभव और समृद्धि की देवी माना जाता है। शास्त्रों अनुसार मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में से आठवें रत्न के रुप में अवतरित हुई थीं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाती है। कहते हैं जिस पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है उनका जीवन धन-धान्य और तमाम सुख-सुविधाओं से भर जाता है। वहीं जिस व्यक्ति से मां नाराज हो जाती हैं उसे निर्धन होने में भी देरी नहीं लगती।
आज के समाज में धन कितना महत्वपूर्ण है ये हर कोई जानता है। व्यक्ति की हर छोटी-मोटी जरूरत में धन की जरूरत पड़ती है। ऐसे में हर व्यक्ति चाहता है कि उस पर धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहे। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इसका सबसे आसान तरीका है मां लक्ष्मी की आरती। इस आरती को आप रोजाना सुबह-शाम जरूर करें।
Maa Laxmi Aarti (मां लक्ष्मी की आरती)
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
Maa Laxmi Mantra (मां लक्ष्मी मंत्र)
मां लक्ष्मी का बीज मंत्र | ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः |
लक्ष्मी गायत्री मंत्र | ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ |
महालक्ष्मी मंत्र | ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्ये नम: |
Maa Laxmi Shukravar Mantra (मां लक्ष्मी शुक्रवार मंत्र)
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप विशेष रूप से फलदायी माना गया है। कहते हैं इस दिन मां की साधना करने से व्यक्ति को यश और वैभव की प्राप्ति होती है। इसलिए शुक्रवार को नीचे दिये गये इन दो मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। शुक्रवार के दिन जाप करने से पहले स्नान करें। इसके बाद लाल रंग के आसन पर बैठकर लाल फूल और अक्षत लेकर मंत्र का जाप करना चाहिए। इन मंत्रों का जाप कमलगट्टे की माला से करना ज्यादा शुभ माना जाता है।
1. “महालक्ष्मी च विद्महे,
विष्णुपत्नी च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्।”
2. “ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै श्रीं श्रीं ॐ नम:।”
108 Mata Lakshmi Names (श्री लक्ष्मी के 108 नाम)
माता लक्ष्मी के इन नामों को जपना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। खासतौर से शुक्रवार के दिन तो जरूर इन नामों का जाप करें। इससे मां लक्ष्मी की तुरंत ही कृपा बरसने लगेगी।
ॐ प्रकृत्यै नमः ॥
ॐ विकृत्यै नमः ॥
ॐ विद्यायै नमः ॥
ॐ सर्वभूतहितप्रदायै नमः ॥
ॐ श्रद्धायै नमः ॥
ॐ विभूत्यै नमः ॥
ॐ सुरभ्यै नमः ॥
ॐ परमात्मिकायै नमः ॥
ॐ वाचे नमः ॥
ॐ पद्मालयायै नमः ॥ 10 ॥
ॐ पद्मायै नमः ॥
ॐ शुचये नमः ॥
ॐ स्वाहायै नमः ॥
ॐ स्वधायै नमः ॥
ॐ सुधायै नमः ॥
ॐ धन्यायै नमः ॥
ॐ हिरण्मय्यै नमः ॥
ॐ लक्ष्म्यै नमः ॥
ॐ नित्यपुष्टायै नमः ॥
ॐ विभावर्यै नमः ॥ 20 ॥
ॐ अदित्यै नमः ॥
ॐ दित्ये नमः ॥
ॐ दीपायै नमः ॥
ॐ वसुधायै नमः ॥
ॐ वसुधारिण्यै नमः ॥
ॐ कमलायै नमः ॥
ॐ कान्तायै नमः ॥
ॐ कामाक्ष्यै नमः ॥
ॐ क्ष्रीरोधसंभवाम् नमः ॥
ॐ क्रोधसंभवायै नमः ॥ 30 ॥
ॐ अनुग्रहप्रदायै नमः ॥
ॐ बुद्धये नमः ॥
ॐ अनघायै नमः ॥
ॐ हरिवल्लभायै नमः ॥
ॐ अशोकायै नमः ॥
ॐ अमृतायै नमः ॥
ॐ दीप्तायै नमः ॥
ॐ लोकशोकविनाशिन्यै नमः ॥
ॐ धर्मनिलयायै नमः ॥
ॐ करुणायै नमः ॥ 40 ॥
ॐ लोकमात्रे नमः ॥
ॐ पद्मप्रियायै नमः ॥
ॐ पद्महस्तायै नमः ॥
ॐ पद्माक्ष्यै नमः ॥
ॐ पद्मसुन्दर्यै नमः ॥
ॐ पद्मोद्भवायै नमः ॥
ॐ पद्ममुख्यै नमः ॥
ॐ पद्मनाभप्रियायै नमः ॥
ॐ रमायै नमः ॥
ॐ पद्ममालाधरायै नमः ॥ 50 ॥
ॐ देव्यै नमः ॥
ॐ पद्मिन्यै नमः ॥
ॐ पद्मगन्धिन्यै नमः ॥
ॐ पुण्यगन्धायै नमः ॥
ॐ सुप्रसन्नायै नमः ॥
ॐ प्रसादाभिमुख्यै नमः ॥
ॐ प्रभायै नमः ॥
ॐ चन्द्रवदनायै नमः ॥
ॐ चन्द्रायै नमः ॥
ॐ चन्द्रसहोदर्यै नमः ॥ 60 ॥
ॐ चतुर्भुजायै नमः ॥
ॐ चन्द्ररूपायै नमः ॥
ॐ इन्दिरायै नमः ॥
ॐ इन्दुशीतलायै नमः ॥
ॐ आह्लादजनन्यै नमः ॥
ॐ पुष्टयै नमः ॥
ॐ शिवायै नमः ॥
ॐ शिवकर्यै नमः ॥
ॐ सत्यै नमः ॥
ॐ विमलायै नमः ॥ 70 ॥
ॐ विश्वजनन्यै नमः ॥
ॐ तुष्टयै नमः ॥
ॐ दारिद्र्यनाशिन्यै नमः ॥
ॐ प्रीतिपुष्करिण्यै नमः ॥
ॐ शान्तायै नमः ॥
ॐ शुक्लमाल्यांबरायै नमः ॥
ॐ श्रियै नमः ॥
ॐ भास्कर्यै नमः ॥
ॐ बिल्वनिलयायै नमः ॥
ॐ वरारोहायै नमः ॥ 80 ॥
ॐ यशस्विन्यै नमः ॥
ॐ वसुन्धरायै नमः ॥
ॐ उदारांगायै नमः ॥
ॐ हरिण्यै नमः ॥
ॐ हेममालिन्यै नमः ॥
ॐ धनधान्यकर्ये नमः ॥
ॐ सिद्धये नमः ॥
ॐ स्त्रैणसौम्यायै नमः ॥
ॐ शुभप्रदाये नमः ॥
ॐ नृपवेश्मगतानन्दायै नमः ॥ 90 ॥
ॐ वरलक्ष्म्यै नमः ॥
ॐ वसुप्रदायै नमः ॥
ॐ शुभायै नमः ॥
ॐ हिरण्यप्राकारायै नमः ॥
ॐ समुद्रतनयायै नमः ॥
ॐ जयायै नमः ॥
ॐ मंगळा देव्यै नमः ॥
ॐ विष्णुवक्षस्स्थलस्थितायै नमः ॥
ॐ विष्णुपत्न्यै नमः ॥
ॐ प्रसन्नाक्ष्यै नमः ॥ 100 ॥
ॐ नारायणसमाश्रितायै नमः ॥
ॐ दारिद्र्यध्वंसिन्यै नमः ॥
ॐ देव्यै नमः ॥
ॐ सर्वोपद्रव वारिण्यै नमः ॥
ॐ नवदुर्गायै नमः ॥
ॐ महाकाल्यै नमः ॥
ॐ ब्रह्माविष्णुशिवात्मिकायै नमः ॥
ॐ त्रिकालज्ञानसंपन्नायै नमः ॥ 108 ॥
ॐ भुवनेश्वर्यै नमः ॥ 109 ॥
॥ इति श्रीलक्ष्मीष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णा ॥