Diwali 2024 Laxmi Ji ki Aarti Lyrics In Hindi LIVE: ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता...दिवाली पूजन में जरूर करें ये 5 आरतियां
Diwali 2024 Laxmi Mata ki Aarti Lyrics, Jai Laxmi Mata Aarti in hindi, Deepavali Pujan Ganesh, Laxmi, Saraswati, Kuber ji Ki aarti Likhit Mine LIVE: दिवाली के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और सुख-समृद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा होती है। इस दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की आरती जरूर करनी चाहिए। यहां देखें लक्ष्मी जी की आरती के लिरिक्स।
Diwali Puja Vidhi And Muhurat
गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
भगवान गणेश की जय, पार्वती के लल्ला की जय
Diwali Puja Time 2024
लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरोदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
Diwali Dhan Potli Kaise Banaye
कुबेर जी की आरती (Kuber Ji Ki Aarti)
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे, स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे ।
शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे । ॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े, स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।
दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े ॥ ॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।
योगिनी मंगल गावैं, सब जय जय कार करैं ॥ ॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥
गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे ।
दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करें ॥ ॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने, स्वामी व्यंजन बहुत बने ।
मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने ॥ ॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥
बल बुद्धि विद्या दाता, हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।
अपने भक्त जनों के, सारे काम संवारे ॥ ॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥
मुकुट मणी की शोभा, मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले ।
अगर कपूर की बाती, घी की जोत जले ॥ ॥ '
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥
यक्ष कुबेर जी की आरती, जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे ॥ ॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥
राम जी की आरती (Ram Ji Ki Aarti)
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
.जु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
सरस्वती माता की आरती (Saraswati Mata Ki Aarti)
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय…..
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय…..
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय…..
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय…
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय…..
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..
ओम जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
काली माता की आरती (Kali Mata Ki Aarti)
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी।
दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी।
सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,
दुशटन को तू ही ललकारती।
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।
माँ बेटी का है इस जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता।
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता।
सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,
दुखीं के दुक्खदे निवर्तती।
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।
नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना।
हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना।
सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को संवरती।
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।
चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली।
वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली।
माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,
भक्तो के करेज तू ही सरती।
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली।
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।
Diwali Laxmi Ji Ki Katha
Diwali Laxmi Ji Ki Aarti Ka Time 2024: दिवाली पर लक्ष्मी जी की आरती करने का समय
दिवाली पर लक्ष्मी माता की आरती का समय शाम 5 बजकर 35 मिनट से शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।दिवाली पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय
श्री सूक्त का पाठ करें। कमल का पुष्प मां लक्ष्मी को अर्पित करना लाभकारी साबित होगा।दिवाली पर दीये जलाने का मंत्र
दीये जलाने का मंत्रशुभं करोति कल्याणं आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।
Laxmi Pujan Muhurat 1 November 2024: लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
नई दिल्ली- 05:36 PM से 06:16 PMनोएडा- 05:35 PM से 06:16 PM
पुणे- 06:54 PM से 08:33 PM
चेन्नई- 05:42 PM से 06:16 PM
जयपुर- 05:44 PM से 06:16 PM
हैदराबाद- 05:44 PM से 06:16 PM
गुरुग्राम- 05:37 PM से 06:16 PM
चण्डीगढ़- 05:35 PM से 06:16 PM
कोलकाता- 05:45 PM से 06:16 PM
मुम्बई- 06:57 PM से 08:36 PM
बेंगलूरु- 06:47 PM से 08:21 PM
अहमदाबाद- 06:52 PM से 08:35 PM
दिवाली पूजा मंत्र (Diwali Puja Mantra)
- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
- ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
- ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
- ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः
- धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः
Om Jai Jagdish Hare Lyrics (ओम जय जगदीश हरे लिरिक्स)
ॐ जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त (1 Nov 2024 Shubh Choghadiya Muhurat)
अभिजीत-11:51am से 12:35 pm तक।विजय मुहूर्त-02:21pm से 03:24 pm तक
गोधुली मुहूर्त--06:21pm से 07:20pm
ब्रम्ह मुहूर्त-4:08m से 05:09am तक
अमृत काल-06:04am से 07;41am तक
निशीथ काल मुहूर्त-रात्रि 11:43से 12:24तक रात
संध्या पूजन-06:22 pm से 07:05pm तक
Laxmi Ji Ki Aarti: लक्ष्मी जी की आरती
महालक्ष्मी जी की आरती (Mahalaxmi Ji Ki Aarti)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
Diwali Ki Katha (दिवाली की कथा pdf)
एक समय की बात है कार्तिक अमावस्या को लक्ष्मीजी भ्रमण करने के लिए निकलीं थीं। उस दिन चारों तरफ अंधकार व्याप्त था। जिस कारण वो रास्ता भूल गईं। तब उन्होंने निश्चय किया कि वो रात वे मृत्युलोक यानी धरती पर ही गुजार लेंगी और सूर्योदय के बाद बैकुंठधाम वापस चली जाएंगी। उस रात माता ने देखा कि लोग अपने घरों के द्वार बंद कर सो रहे हैं। तभी माता को अंधकार के साम्राज्य में एक द्वार खुला देखा जिसमें दीपक जल रहा था। माता दीपक की रोशनी देख उसी घर की तरफ चल दीं। वहां माता ने एक बूढ़ी महिला को चरखा चलाते देखा। उस रात माता वृद्धि महिला की अनुमति से उसी के घर ठहर गईं। वृद्ध महिला ने माता को आराम करने के लिए बिस्तर दिया। इसके बाद वो फिर से अपने काम में लग गई। चरख चलाते चलाते बूढ़ी महिला को नींद आ गई। जब दूसरे दिन सुबह उसकी आंख खुली तो उसने देखा जो महिला रात में रूकी थी वो चली गई है। लेकिन बुढ़िया ये देखकर हैरान रह गई कि उसकी कुटिया में महल में बदल चुकी है। चारों तरफ धन-धान्य और रत्न बिखरे हुए थे। कथा अनुसार जो व्यक्ति अमावस्या की रात में माता की सच्चे मन से अराधना करता है उसके जीवन में धन-दौलत की कभी कमी नहीं होती। हे लक्ष्मी माता जैसे आप उस वृद्ध महिला पर प्रसन्न हुईं ठीक वैसे ही सब पर प्रसन्न होना। कहते हैं तभी से कार्तिक अमावस पर दीप जलाने की परंपरा शुरू हो गई। इसलिए इस दिन लोग द्वार खोलकर और दीपक जलाकर माता लक्ष्मी के आने की प्रतिक्षा करते हैं।दिवाली आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
diwali aarti time 2024
पंचांग के अनुसार, आज यानी 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। इसके बाद आरती करें।pooja ka time diwali 2024: दिवाली पूजा का टाइम
पंचांग के अनुसार, 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है।दिया जलाने का टाइम 2024: Diya jalane ke time
पंचांग के अनुसार, 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। इसके आरती कर सकते हैं।Diwali Par Laxmi Mata Ki Aarti Karni Chahiye Ya Nahi: दिवाली पर लक्ष्मी माता की आरती करनी चाहिए या नहीं
कई विद्वानों का ऐसा मानना है कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की आरती नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इस दिन हम माता का घर में आगमन करने के लिए पूजा करते हैं और लोगों का ऐसा मानना है कि आरती करने का मतलब है कि भगवान जहां से आए हैं वहां प्रस्थान कर जाएं। लेकिन वहीं कई विद्वान मानते हैं कि दिवाली पर लक्ष्मी जी की आरती जरूर करनी चाहिए।laxmi ji aarti lyrics
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दिवाली के दिन लक्ष्मी माता की आरती करनी चाहिए या नहीं
कुछ लोग दिवाली के दिन लक्ष्मी माता की आरती नहीं करते कुछ लोग इस दिन लक्ष्मी माता की आरती करते हैं।laxmi pooja time diwali on 2024
पंचांग के अनुसार, आज यानी 31 अक्टूबर को (Diwali 2024 Shubh Muhurat) लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है।Laxmi Ganesh Aarti: लक्ष्मी गणेश आरती
दिवाली पूजन विधि (Diwali Pujan Vidhi)
दिवाली के दिन सूर्यास्त होने के बाद मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा करनी चाहिए. लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति को ईशान कोण में स्थापित करें. लाल सिंदूर से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसके ऊपर चावल से भरी कटोरी रख दें. मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा के साथ कुबेर जी की भी पूजा अर्चना करें. पूरे घर में गंगाजल छिड़कें. उसके बाद मां लक्ष्मी समेत गणेश जी और कुबेर महाराज की पूजा अर्चना करें. पूजा संपन्न होने के बाद भगवान को लड्डू और मिठाइयों का भोग लगाएं. मां लक्ष्मी को भोग में शहद चढ़ाएं. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है.laxmi mata ke aarti lyrics
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- बेंगलुरु
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 06:47 से 08:21अवधि - 01 घण्टा 34 मिनट
प्रदोष काल - 05:53 से 08:21
वृषभ काल - 06:47 से 08:49
Diwali 2024 pooja time
प्रदोष काल - शाम 05 बजकर 48 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट तक।वृषभ काल - शाम 06 बजकर 35 मिनट से 08 बजकर 33 मिनट तक।
दिवाली लक्ष्मी आरती (Diwali Laxmi Aarti)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
Diwali ke pooja kaise karen: दिवाली की पूजा कैसे करें
दिवाली लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी या पटरा रख दें।इस पटरे पर लाल या गुलाबी रंग का एक सुंदर कपड़ा बिछा लें।
चौकी पर सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति विराजित करें। फिर उनके दाहिनी ओर मां लक्ष्मी जी की तस्वीर रख दें।
फिर खुद आसान पर बैठें और अपने चारों तरफ गंगाजल छिड़क लें। इसके बाद पूजा प्रारंभ करें।
सबसे पहले भगवान गणेश को रोली और दूर्वा अर्पित की जाती है और फिर मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करें।
इसके बाद लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाएँ। मंदिर में भगवान की प्रतिमा के सामने एक मुखी घी का दीपक जलाएं।
इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें। लक्ष्मी चालीसा पढ़ सकते हैं।
माता लक्ष्मी और गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं।
अंत में लक्ष्मी-गणेश जी की आरती करें और फिर शंखनाद करें।
पूजा के बाद घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक जरूर जलाएं।
दिवाली रोशनी का त्योहार है। इसलिए इस दिन घर के हर कोने में दीपक जलाना चाहिए।
दिपावली पूजन टाइम
पंचांग के अनुसार, आज यानी 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है।दिवाली की आरती का टाइम
31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा का शुभ समय शाम 6:25 बजे से रात 8:32 बजे तक रहेगा। पूजा के बाद आप आरती कर सकते हैं।गणेश मंत्र (Ganesh Mantra)
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभानिर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
-ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
-गणेश गायत्री मन्त्र
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
Laxmi Chalisa Lyrics, Diwali 2024 (लक्ष्मी जी की चालीसा)
मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस॥
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥1॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥5॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥6॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥7॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥8॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥9॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥10॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥11॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥12॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥13॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥14॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥15॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥16॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥17॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥18॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥19॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
दीवाली पूजा मुहूर्त (Maa Laxmi Pujan Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और 01 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 31 अक्टूबर को दीवाली मनाई जाएगी। 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। इस समय में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं।Should we do laxmi aarti on diwali: दिवाली के दिन लक्ष्मी जी आरती कर सकते हैं
मां लक्ष्मी घर से वापस चली जाएंगी तो पैसों की तंगी का सामना करना पड़ सकता है। इस वजह से उनकी आरती न करने की सलाह दी जाती है।Ganesh Chalisa Lyrics (गणेश चालीसा लिरिक्स)
॥ दोहा ॥जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥
दिवाली लक्ष्मी पूजन समाग्री pdf (Diwali Laxmi Pujan Samagri List)
एक लकड़ी की चौकी• चंदन, एक लाल कपड़ा
• पंचामृत
• कुमकुम
• पान
• हल्दी की गांठ
• कमल का फूल
• रोली
• सुपारी
• लौंग
• धूपबत्ती
• भगवान के लिए वस्त्र
• भोग के लिए मिठाई
• माचिस
• दीपक
• घी
• गंगाजल
• फल
• पान का पत्ता
• कपूर
• दूर्वा
• अक्षत
• श्रृंगार का समान
• जनेऊ
• लैया
• खील
• बताशे
• गेहूं
• चांदी के सिक्के
• आम के पत्ते
• आरती व चालीसा की किताब
• कलावा
• नारियल और कलश
Diwali 2024 Puja Time
गुरुवार को लक्ष्मी-गणेशजी की पूजा के लिए शाम 627 बजे से 823 बजे तक का मुहूर्त शुभ है।दिवाली कथा
सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में राजा बलि का वर्चस्व तीनों लोक में फैला था। राजा बलि न केवल महान योद्धा थे, बल्कि दानवीर भी थे। इसके चलते तीनों लोकों में उनकी चर्चा होती थी। इसी दौरान राजा बलि ने स्वर्ग पर आक्रमण कर इंद्र देव को पदच्युत (हटा) कर दिया। सत्ता छीन जाने के बाद स्वर्ग नरेश इंद्र यत्र-तत्र भटकने लगे थे। उस समय इंद्र की मां अदीति, जगत के पालनहार भगवान विष्णु के पास पहुंची और अपनी आपबीती एवं मन की व्यथा सुनाई।मां अदीति को दुखी देखकर भगवान विष्णु बोले- हे माते! आप बिलकुल भी चिंतित न रहें। भविष्य में मेरा जन्म आपके गर्भ से होगा। उस समय इंद्र देव को पुन: स्वर्ग की गद्दी मिल जाएगी। अतः आप प्रसन्न होकर जाएं और सही समय की प्रतीक्षा करें। कालांतर में मां अदिति ने भगवान विष्णु की कठिन उपासना की। मां अदिति की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु वामन रूप में अवतरित हुए। काल गणना के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन वामन अवतार रूप में अवतरित हुए थे।
कुछ समय बाद दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य की सलाह पर राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के सफल होने पर राजा बलि तीनों लोकों के विजेता बन जाते। राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ की सफलता के लिए तीनों लोकों को आमंत्रित किया। आमंत्रण पाने के बाद भगवान विष्णु भी वामन रूप में पहुंचे। वामन ब्राह्मण का राजा बलि ने आदर-सत्कार किया। वामन देवता के लौटने के क्रम में राजा बलि ने दान देने की इच्छा जताई।
हालांकि, वामन देव ने दान लेने की सहमति नहीं दी। इसके बाद पुनः राजा बलि ने दान देने की बात की। तब वामन देव ने तीन पग भूमि ही मांगी। यह सुन राजा बलि मन ही मन मुस्कराने लगे और मानो! ये तो कुछ नहीं है। ऐसा सोच तत्क्षण देने की बात कही। तब भगवान विष्णु ने एक पग में भूमि, तो दूसरे पग में नभ माप लिया। तीसरे पग के लिए भूमि नहीं बची, तो राजा बलि ने अपना मस्तिष्क भगवान विष्णु के पग के नीचे रख दिया।
भगवान विष्णु के पैर रखते ही राजा बलि पाताल लोक में जा पहुंचे। यह सब देख राजा बलि भगवान नारायण को पहचान गये। तब भगवान विष्णु ने राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा। राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल में रहने का वर मांगा। भगवान विष्णु ने राजा बलि के वरदान को स्वीकार कर लिया। इधर इंद्र देव को स्वर्ग का सिंहासन प्राप्त हो गया। उधर भगवान विष्णु के बैकुंठ न लौटने पर मां लक्ष्मी चिंतित हो उठीं।
जब उन्हें भगवान विष्णु के पाताल लोक में रहने की जानकारी हुई। तब मां लक्ष्मी रक्षा सूत्र लेकर पाताल लोक पहुंची। वहां, राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया। इससे प्रसन्न होकर राजा बलि ने वर मांगने को कहा। तब मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्त करने का वरदान माँगा, जिसे राजा बलि ने स्वीकार कर लिया। लेकिन भगवान विष्णु के बैकुंठ लौटने से पहले राजा बलि ने एक और वर मांग लिया।
इस वर के तहत श्रावण पूर्णिमा से लेकर धनतेरस तक पाताल लोक में रहने का अनुरोध किया। लक्ष्मी नारायण जी ने राजा बलि की विनती को स्वीकार कर लिया। इसके बाद जब भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी बैकुंठ लौटे तो दीप पर्व दीवाली मनाया गया। कहा यह भी जाता है कि धनतेरस से लेकर दीवाली तक अपनी बहन मां लक्ष्मी की पूजा करने का भी वरदान राजा बलि ने मांगा था। इसके लिए धनतेरस से लेकर दीवाली तक मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi Vrat Katha) की पूजा की जाती है।
Diwali par laxmi ji ke aarti karni chahiye ya nahi: दिवाली पर लक्ष्मी जी की आरती करनी चाहिए या नहीं
दिवाली के पूजन के दौरान आपको सिर्फ गणेश जी की और भगवान विष्णु जी की आरती ही करें. क्योंकि लक्ष्मी जी की आरती करने पर सभी लोग आरती पर खड़े हो जाते हैं और उसके बाद चले जाते हैं, वैसे ही अगर लक्ष्मी मां चली जाएगी तो आपके जीवन में धन की कमी आ जाएगी. इसलिए दिवाली के पूजन में कभी भी लक्ष्मी मां की आरती नहीं गानी चाहिएSarswati Mata Aarti: सरस्वती माता आरती
मैया जय सरस्वती माता ।सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता...॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता...॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
diwali ke puja kaise karen: दिवाली की पूजा कैसे करें
दिवाली पूजन के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें। ...चौकी पर मां लक्ष्मी व भगवान गणेश को स्थापित करें। ...
इसके बाद भगवान कुबेर, मां सरस्वती व कलश की स्थापना करें।
अब पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें। ...
सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें।
भगवान गणेश को तिलक लगाएं और उन्हें दूर्वा व मोदक अर्पित करें।
गणेश मंत्र (Ganesh Mantra)
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभानिर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
-ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
-गणेश गायत्री मन्त्र
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
दिवाली पर कितने दीपक जलाने चाहिए (Diwali Par Kitne Deepak Jalane Chahiye)
दिवाली के दिन आप चाहें तो कितने भी दीपक जला सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखना है कि दीपकों की संख्या विषम में हो। जैसे 5, 7, 9, 11, 21, 51, 101, 251...इत्यादि।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited