Gangajal Upay: जानें गंगाजल का हर शुभ और अशुभ कार्य में क्यों होता है उपयोग, क्या है नियम और महत्व
Gangajal Upay: हिन्दू धर्म में मान्यता है कि गंगा के पावन जल के स्नान मात्र से व्यक्ति के सभी पाप दूर हो जाते हैं। गंगा माता व्यक्ति को जीवन के पापो से मुक्ति दिला मोक्ष देती हैं। यही कारण है कि गंगाजल का उपयोग पूजा-पाठ से लेकर सभी शुभ और अशुभ कार्यों में किया जाता है।
जानें शुभ और अशुभ कार्यों में गंगाजल उपयोग का नियम और महत्व
- गंगाजल को स्पर्श करके कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए
- मां गंगा को माना जाता है मोक्षदायिनी
- गंगाजल के बगैर पूजा-पाठ रहता है अधूरा
गंगाजल से जुड़े जरूरी नियम
तन, मन और आत्मा को पवित्र करने वाले गंगाजल को हमेशा पवित्र स्थान पर ही रखना चाहिए। पूजा के समय गंगाजल को हमेशा कांसे या तांबे के बर्तन में भरकर रखना चाहिए। गंगाजल को कभी भी जूठे हाथों से या फिर जूते-चप्पल पहनकर न छुएं। गंगा जल को रखने का सबसे उत्तम जगह ईशान कोण यानि पूजा घर को माना जाता है। गंगाजल को स्पर्श करके कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
धार्मिक व शुभ कार्यों में उपयोग
यह तो सभी जाते हैं पूजा-पाठ और सभी तरह के शुभ कार्यों में हमेशा गंगाजल का प्रयोग किया जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान को अर्पित होने वाले जल में अगर गंगाजल की बूंद को डालकर चढ़ाया जाए तो इससे भगवान प्रसन्न होते हैं। शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। क्योंकि भगवान शिव जी की जटा में गंगा जी का निवास स्थान है। र्धामिक मान्यता के अनुसार गंगाजल का उपयोग कर चरणामृत बनाने से वह अमृत बन जाता है। यहां कारण है कि मंदिर में भी पूजा- आरती के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप गंगाजल दिया जाता है।
शुद्धिकरण में गंगाजल का उपयोग
गंगाजल का उपयोग हर तरह के शुद्धिकरण में भी किया जाता है। घर में किसी भी अशुभ कार्य के बाद गंगाजल का छिड़काव कर घर का शुद्धिकरण होता है। व्यक्ति की मृत्यु के समय अंतिम यात्रा पर भी गंगाजल दिया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि गंगाजल के सेवन से उसे जीवन में किए गए सभी बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है। यह आत्म का शुद्ध कर देता है। धार्मिक मान्यताओं में मां गंगा को मोक्षदायिनी माना गया है। इसलिए विशेष अवसर और पर्व पर लोग गंगा स्नान करते हैं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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