Lohri Bonfire 2023 Date, Time: आज लोहड़ी जलाने का शुभ समय क्या है, जानें आपके शहर का लोहड़ी का पूजा मुहूर्त

Lohri Bonfire 2023 Date and Time, Lohri 2023 Puja Muhurat: लोहड़ी पर आग जलाकर, पूजा करने की परंपरा है। ये पूजा भी शुभ समय में की जानी चाहिए। लोहड़ी पर अग्नि देव और देवी लोहड़ी की पूजा की जाती है। यहां देखें आपके शहर - दिल्ली, लखनऊ, आगरा, चंड़ीगढ़, जयपुर, रांची, आगरा, इंदौर आदि में आज लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त क्या है।

Lohri Bonfire 2023 Date, Time: आज लोहड़ी जलाने का शुभ समय क्या है, जानें आपके शहर का लोहड़ी का पूजा मुहूर्त

Lohri Bonfire 2023 Date and Time, Lohri 2023 Puja Muhurat in Delhi, Lucknow: लोहड़ी उत्तर भारत का प्रमुख त्योहर है। इसे हरियाणा पंजाब में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है । लोहड़ी पर लोग रात के समय सभी इकट्ठा होते हैं और घर की खुली जगह पर लकड़ी में आग जलाते हैं और गीत गाते हुए इसमें गजक, मूंगफली, रेवड़ी, तिल, मक्का डालकर इसकी परिक्रमा करते हैं। सर्दियों के जाने और बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में लोहड़ी मनाई जाती है। ढोल नगाड़े के साथ लोग धूमधाम से लोहड़ी मानते हैं। 14 जनवरी को उत्तर भारत में लोहड़ी मनाई जाएगी। जानते है क्या है पूजा का शुभ मुहुर्त और पूजन विधि।

Lohri 2023 Puja Time

हिंदू पंचांग के अनुसार लोहड़ी पूजन का शुभ मुहुर्त 14 जनवरी को शाम 8 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा। इस समय लोहड़ी पूजन करने से घर में समृद्धि का वास होता है। सुबह 5 बजकर 27 मिनट से लेकर 6:21 तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा।

Lohri Puja Muhurat in 2023

Lohri 2023 Date14 जनवरी, शनिवार
Lohri Sankranti Time 20238:57 pm
Lohri 2023 Puja Shubh Samay8:57 pm

Lohri 2023 Puja Vidhi in Hindi

लोहड़ी का पर्व सूर्य देव और अग्नि देव का दिन है । लोहड़ी की आग में लोग मूंगफली ,रेवड़ी , तिल डालते हुए सूर्य देव और अग्नि देव का आशीर्वाद लेते हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त में सभी परिवार वालों को साथ मिलकर लोहड़ी की परिक्रमा करनी चाहिए। हाथ में मूंगफली ,तिल , पॉपकॉर्न लेकर आग में डालते हुए 7 या 11 परिक्रमा करें।

Lohri Mahatva and Significance

लोहड़ी के पर्व किसानों को समर्पित किया जाता है इसे मुख्य रूप से सिख समुदाय के लोग मनाते हैं। लोहड़ी को बसंत ऋतु के आगमन का संकेत माना जाता है ।इस दिन लोग अमर लोगों की शहादत को भी याद करते हैं और कई जगह शहीदों की याद में मेले का आयोजन भी किया जाता है । यह पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले आता है इस दिन से, दिन बड़े और रातें छोटी होनी शुरू हो जाती हैं मूल रूप से लोहड़ी का अर्थ अलाव का प्रतीक है।

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मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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