Lohri History: लोहड़ी क्यों मनाई जाती है? जानिए ये किसकी बहन थी, कौन हैं दुल्ला भट्टी
Why Do We Celebrate Lohri Festival: अमूमन लोहड़ी का त्योहार 13 जनवरी को पड़ता है लेकिन पंचांग के हिसाब से इस साल लोहड़ी 14 जनवरी को मनाई जाएगी। लोहड़ी पर्व क्यों मनाया जाता है इससे जुडी कई लोक कथाएं प्रचलित हैं। जानते हैं इन कथाओं के बारे में।
Why Do We Celebrate Lohri Festival
Why Do We Celebrate Lohri Festival (Lohri Kyu Manai Jati Hai In Hindi): लोहड़ी का त्योहार देशभर में बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन आस-पड़ोस के लोग इकट्ठा होकर रात में आग जलाते हैं और उस आग में नए धान के लावे के साथ खील, मूंगफली, मक्का, गुड़, रेवड़ी आदि अर्पित कर परिक्रमा करते हैं। साथ ही आग के पास ही बैठकर नाचते-गाते इस त्योहार का जश्न बनाते हैं। किसान इस मौके पर फसल की पूजा करते हैं। वहीं गन्ने की कटाई के बाद उससे बने गुड़ को इस त्योहार से ही इस्तेमाल करना शुरू किया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। अब जानते हैं लोहड़ी से जुड़ी दिलचस्प कहानियां।
लोहड़ी क्यों मनाई जाती है (Lohri Kyu Manai Jati Hai)
लोहड़ी का त्योहार किसी साल 13 जनवरी तो कभी 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 14 तारीख को मनाया जाएगा। अन्य त्योहारों की तरह ही लोहड़ी मनाने को लेकर भी कई कथाएं प्रचलित हैं। लोहड़ी से जुड़ी लोककथाओं में एक नाम दुल्ला भट्टी का भी आता है। इतना ही नहीं लोहड़ी के गीतों में भी दुल्ला भट्टी का जिक्र जरूर सुनने को मिलता है। सबसे पहले जानते हैं लोहड़ी से जुड़ी दुल्ला भट्टी की कहानी।
क्या है दुल्ला भट्टी और लोहड़ी का संबंध (Lohri And Dulla Bhatti Relation)
पंजाब में लोहड़ी का त्योहार दुल्ला भट्टी से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि मुगल शासक अकबर के समय में पंजांब में दुल्ला भट्टी नाम के एक वीर योद्धा रहते थे। जिन्होंने अमीर सौदागरों से लड़कियों की रक्षा की थी। दरअसल उस समय अमीर सौदागर संदल की लड़कियों को बेचते थे। बताया जाता है कि जब इस बारे में दुल्ला भट्टी को पता चला तो उन्होंने लड़कियों को सौदागरों के चंगुल से छुड़ाया। साथ ही उनकी शादी भी करवाई। इसके बाद से ही दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया और हर साल लोहड़ी के दिन इनकी कहानी को सुना और सुनाया जाता है।
लोहड़ी किसकी बहन थी
कुछ कथाओं के अनुसार लोहड़ी होलिका की बहन थी जो भक्त प्रह्लाद के साथ आग से बच गई थी। लोहड़ी अच्छी प्रवृत्ति वाली थीं। इसलिए उनकी पूजा होती है और उन्हीं के नाम पर ये त्योहार मनाया जाता है।
लोहड़ी से जुड़ी कथाएं
-लोहड़ी पर आग जलाने को लेकर मान्यता है कि यह आग राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में जलाई जाती है।
-पहले कई जगहों पर लोहड़ी को तिलोड़ी के नाम से जाना जाता था। यह शब्द तिल और रोड़ी यानी गुड़ से मिलकर बना था। इस तिलोड़ी को ही धीरे-धीरे लोहड़ी के नाम से जाना जाने लगा।
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