Shivling Jal Abhishek Vidhi: सोमवार को शिवलिंग पर जल कैसे चढाएं, जानें शिवलिंग जलाभिषेक करने की सही विधि
Shivling Jal Abhishek Vidhi: सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से आपके सारे संकट दूर होते हैं। महादेव की कृपा पाने के लिए सोमवार को लोग शिवलिंग पर जलाभिषेक भी करते हैं। यहां से जानें शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के सही विधि, मंत्र और शिव पूजा से जूड़ी ध्यान रखने वाली बातें।

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Shivling Jal Abhishek Vidhi: सोमवार का दिन देवों के देव महादेव का दिन है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। कहते हैं कि भोलेनाथ को प्रसन्न करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। सोमवार के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक भी किया जाता है। पुराणों में भगवान शिव का जलाभिषेक करने का विशेष महत्व बताया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने जब समुद्र मंथन में विष को पी लिया था तो उस विष की गर्मी से जलने लगे थे। उस समय उनकी गर्मी को शांत करने के लिए देवताओं ने जल, दूध और रंग बिरंगे फूलों, सब्जियों का रस उन पर चढ़ाया था, जिससे उनके तपते शरीर को शांति मिल सके और उनकी शरीर की जलन भी ठीक हो सके। यही कारण है कि भगवान शिव पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई थी। अब हर भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक करते हैं। खासतौर से सोमवार के दिन जलाभिषेक जरूर किया जाता है। यहां से आप शिवलिंग जलाभिषेक विधि और मंत्र देख सकतें हैं।
शिवलिंग जलाभिषेक करने की विधि-
सोमवार के दिन सुबह सबसे पहले स्नान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद दही, दूध, शहद, घी और गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अब शिवलिंग पर बेलपत्र, मोली, अक्षत, फल, पान, सुपारी अर्पित करें। फिर घी का दीपक जलाकर महादेव की आरती करें और विशेष मंत्रों का जाप करें। भगवान शिव को फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग जरूर लगाएं। इसी प्रसाद को बाद में लोगों में बांटे। आखिर में गरीब लोगों में अन्न और धन का दान करें।
शिवलिंग जलाभिषेक मंत्र-
शिव स्तुति मंत्र
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि। उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।
शिव आरोग्य मंत्र
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा। आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
शिव गायत्री मंत्र
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।
शिव नामावली मंत्र
श्री शिवाय नम:
श्री शंकराय नम:
श्री महेश्वराय नम:
श्री सांबसदाशिवाय नम:
श्री रुद्राय नम:
ओम पार्वतीपतये नम:
ओम नमो नीलकण्ठाय नम:
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ध्यान रखें-
1. शिव पूजा में ध्यान रखें कि तुलसी, सिंदूर, हल्दी, नारियल, शंख, केतकी का फूल आदि का उपयोग नहीं करना है। ये सारी चीजें शिव जी को नहीं चढ़ती हैं।
2. शिव पूजा के दौरान कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। शिवलिंग के बाईं ओर से परिक्रमा शुरू करें और अर्धचंद्राकार स्थिति तक जाकर वापस अपने स्थान पर लौट आएं। शिवलिंग के जलहरी यानि अभिषेक के दौरान जहां से जल नीचे की तरफ गिरता है, उसे लांघते नहीं हैं, इस वजह से हमेशा शिवलिंग की आधी परिक्रमा करते हैं।
3. शिवलिंग का जलाभिषेक करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जलधारा पतली और धीमी गति के साथ गिरे। तेज गति या धार के साथ जलाभिषेक न करें।
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