Maa Kali Chalisa :अरि मद मान मिटावन हारी, मुण्डमाल गल सोहत प्यारी के हिंदी लिरिक्स (1)
Maa Kali Chalisa Lyrics in Hindi (मां काली चालीसा पाठ लिरिक्स हिंदी में): हिंदू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती हैं काली मां, जिन्हें देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं में से एक बताया गया है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, राक्षसों के विनाश के लिए ही काली जी का जन्म हुआ था। इन्हें बल और शक्ति की देवी कहा जाता है। इनकी महिमा अपरंपार है। मां काली का गुणगान चंद शब्दों में नहीं किया जा सकता। इनकी आराधना और चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के सभी भय दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है। यहां देखिए श्री काली चालीसा लाइक्स इन हिंदी।
Maa Kali Chalisa Lyrics in Hindi
॥ दोहा ॥जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार ।
महिष मर्दिनी कालिका , देहु अभय अपार ॥
॥ चौपाई ॥
अरि मद मान मिटावन हारी । मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
अष्टभुजी सुखदायक माता । दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । कर में शीश शत्रु का साजै ॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला । हाथ तीसरे सोहत भाला ॥
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे । छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी । शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
अष्टम कर भक्तन वर दाता । जग मनहरण रूप ये माता ॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी । निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥
महशक्ति अति प्रबल पुनीता । तू ही काली तू ही सीता ॥
पतित तारिणी हे जग पालक । कल्याणी पापी कुल घालक ॥
शेष सुरेश न पावत पारा । गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
तुम समान दाता नहिं दूजा । विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥
रूप भयंकर जब तुम धारा । दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे । भक्तजनों के संकट टारे ॥
कलि के कष्ट कलेशन हरनी । भव भय मोचन मंगल करनी ॥
महिमा अगम वेद यश गावैं । नारद शारद पार न पावैं ॥
भू पर भार बढ्यौ जब भारी । तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
आदि अनादि अभय वरदाता । विश्वविदित भव संकट त्राता ॥
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा । उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा । काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे । अरि हित रूप भयानक धारे ॥
सेवक लांगुर रहत अगारी । चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥
त्रेता में रघुवर हित आई । दशकंधर की सैन नसाई ॥
खेला रण का खेल निराला । भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥
रौद्र रूप लखि दानव भागे । कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो । स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥
ये बालक लखि शंकर आए । राह रोक चरनन में धाए ॥
तब मुख जीभ निकर जो आई । यही रूप प्रचलित है माई ॥
बाढ्यो महिषासुर मद भारी । पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की । पीर मिटावन हित जन-जन की ॥
तब प्रगटी निज सैन समेता । नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं । तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥
मान मथनहारी खल दल के । सदा सहायक भक्त विकल के ॥
दीन विहीन करैं नित सेवा । पावैं मनवांछित फल मेवा ॥
संकट में जो सुमिरन करहीं । उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं । भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥
काली चालीसा जो पढ़हीं । स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा । केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥
करहु मातु भक्तन रखवाली । जयति जयति काली कंकाली ॥
सेवक दीन अनाथ अनारी । भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥
॥ दोहा ॥
प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ॥
श्री काली चालीसा से लाभ, Kali Chalisa Benefits:
सच्चे मन से काली चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है और सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इनकी कृपा से काली शक्तियों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यही नहीं, श्री काली चालीसा के पुण्य प्रभाव से नौकरी, व्यवसाय, करियर और रोजगार में भी सफलता हासिल होता है।
काली चालीसा की विधि, Kali Chalisa Vidhi:
श्री काली चालीसा पाठ करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर पूजा स्थल पर एक लाल वस्त्र बिछाकर चौकी रखें। इसपर मां काली की प्रतिमा रखकर उन्हें दीप, धूप, लाल फूल, चंदन, कुमकुम, मिश्री आदि से पूजा करें। इसके बाद सच्चे मन से श्री काली चालीसा पढ़ें।