Magh Mela 2023 Prayagraj: माघ मेले की हुई शुरुआत, जानें क्यों खास है प्रयागराज का अर्ध कुंभ मेला
Magh Mela 2023 Prayagraj: पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) से यानी 6 जनवरी से माघ मेले की शुरुआत हो गई है। इस मेले को अर्ध कुंभ (Ardh Kumbh) के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान कल्पवास (Kalpvas 2023) का विशेष महत्व होता है। जानें माघ मेला का महत्व और माघ स्नान (Magh Snan 2023 Date) की विशेष तिथियों के बारे में।



Magh Snan 2023 Date Prayagraj: माघ मेला 2023 कब से कब तक रहेगा?
Magh Mela 2023 Allahabad: सनातन धर्म में कुंभ मेला का विशेष महत्व होता है और इस मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु नदियों में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। कुंभ मेले के कई प्रकार है जिनमें में से एक है माघ मेला। नए साल 2023 की शुरुआत माघ मेला या यूं कहें कि अर्ध कुंभ मेला (Ardh Kumbh Mela) के साथ होने जा रही है। हिंदू धर्म के लोगों के लिए इस मेले का विशेष महत्व होता है जो हर साल जनवरी के महीने में प्रयागराज (Prayagraj) यानी इलाहाबाद (Allahabad) में आयोजित किया जाता है। ये मेला लगातार 45 दिनों तक महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन तक चलता है।
माघ मेला 2023 कब से कब तक रहेगा (Magh Mela 2023 Start And End Date)
साल 2023 में माघ मेला 6 जनवरी पौष पूर्णिमा के दिन से शुरू हो रहा है और इसकी समाप्ति 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगी। आपको बता दें कि इस मेले का आयोजन प्रयाग में त्रिवेणी संगम के पारंपरिक स्थल पर होगा।
माघ मेला में स्नान की विशेष तिथियां (Magh Mela 2023 Snan Date)
तिथि | त्योहार |
06 जनवरी 2023 | पौष पूर्णिमा |
15 जनवरी 2023 | मकर संक्रांति |
21 जनवरी 2023 | मौनी अमावस्या |
05 फरवरी 2023 | माघी पूर्णिमा |
18 फरवरी 2023 | महाशिवरात्रि |
कहते हैं माघ मेला के दौरान शुभ तिथियों पर स्नान करने से व्यक्ति पापमुक्त हो जाता है। कुंभ मेले की तरह ही माघ मेले में भी नदियों में स्नान करना पुण्यकारी और फलदायी माना जाता है। प्रयागराज में हर साल लगने वाले इस माघ मेले को 'मिनी कुंभ' भी कहते हैं। यहां लोग कई तरह के धार्मिक कार्य करने और पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए एकत्रित होते हैं। माघ मेले की 45 दिनों की अवधि को कल्पवास भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि माघ मेले के 45 दिन 4 युगों सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग के कुल वर्षों की संख्या के बराबर होते हैं। माना जाता है कि इस दौरान कल्पवास का पालन करने से मनुष्य के पूर्व जन्म के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
कल्पवास का महत्व (Kalpvas 2023 Importance)
कल्पवास का मतलब होता है कुछ समय के लिए संगम के किनारे निवास करते हुए सत्संग और भगवान का स्मरण करना। कुंभ, अर्धकुंभ, महाकुंभ, सिंहस्थ, पूस और माघ महीने की पूर्णिमा के अवसर पर नदी किनारे कल्पवास करने की परंपरा है।
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