Maha Kumbh Mela 2025 Live: प्रयागराज कुंभ मेले का समापन कब होगा, शाही स्नान कब-कब किया जाएगा, जानिए कुंभ से जुड़ी हर एक बात यहां
kumbh Mela 2025 Prayagraj (कुंभ मेला 2025) Live Updates: पौष पूर्णिमा से कुंभ मेले की शुरुआत हो गई है। मकर संक्रांति पर कुंभ मेला का पहला स्नान किया गया। जानिए कुंभ मेले का अगला शाही स्नान कब है, ये मेला कब तक रहेगा, इसका महत्व क्या है, कल्पवास क्या होता है...जानिए हर एक जानकारी यहां।
जानिए पिछले सालों में कुंभ मेला कब-कब और कहां-कहां लगा था?
कुंभ मेला शाही स्नान तिथियां 2025 (Maha Kumbh Snan Dates 2025)
13 जनवरी 2025- पौष पूर्णिमा
14 जनवरी 2025- मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025- मौनी अमावस्या
3 फरवरी 2025- वसंत पंचमी
12 फरवरी 2025- माघी पूर्णिमा
26 फरवरी 2025- महाशिवरात्रि
Kumbh Ka Mela कहां-कहां Lagta Hai
कुंभ मेले से जुड़ी हर एक जानकारी के लिए बने रहिए हमारे इस लाइव ब्लॉग पर...
LIVE: Mahakumbh 2025 | Sangam Maha-Aarti | Astha, Sanskriti Aur Ekta Ka Sangam | 21st January 2025
Mahakumbh Kitne Saal Baad Lagta Hai: महाकुंभ कितने साल बाद लगता है
महाकुंभ 144 सालों बाद आता है। इसलिए इस कुंभ का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है। इस साल प्रयागराज में महाकुंभ लगा है।Maha Kumbh Mela 2025 Prayagraj Live: पिछले साल कुंभ कब लगा था?
पिछले साल कुंभ मेला हरिद्वार में लगा था। इस मेले में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए थे। ये मेले 2021 में लगा था।अगला मेला कब लगेगा?
अगला कुंभ मेला 2027 में नासिक में लगेगा। महाराष्ट्र सरकार साल 2027 में लगने वाले नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ को भव्य और दिव्य बनाने के लिए अभी से ही तैयारी में लग गई है।Maha Kumbh Mela 2025 Prayagraj Live: प्रयागराज का कुंभ मेला क्यों खास होता है?
प्रयागराज में लगने वाले कुंभ का इसलिए सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है क्योंकि यहां पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का अद्भुत मिलन होता है। ऐसे में जो व्यक्ति इस संगम में स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर आयोजित कुम्भ मेला देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। संगम में हर बारह साल पर कुंभ का आयोजन होता है।मौनी अमावस्या 2025 शाही स्नान मुहूर्त (Mauni Amavasya 2025 Shahi Snan Muhurat)
- 05:37 AM से 06:29 AM
- 07:20 से 08:44
- 08:44 से 10:07
- 11:30 से 12:53
Kumbh Ka Mela कहां-कहां Lagta Hai
कुंभ मेला कुल चार स्थानों पर लगता है- प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इस दौरान करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। लेकिन अब सवाल ये आता है कि कुंभ मेले का आयोजन सिर्फ इन चार स्थानों पर ही क्यों होता है? तो आपको बता दें इसकी कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी है। कहते हैं एक बार राक्षसों ने देवताओं को हरा दिया था। जिसके बाद सभी देवता सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे। तब भगवान विष्णु ने देवताओं को राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने के लिए कहा। लेकिन जैसे ही समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला तो देवों और दैत्यों के बीच इसे पाने के लिए युद्ध छिड़ गया। कहते हैं ये युद्ध 12 दिनों तक चला था। इस युद्ध के समय अमृत कलश से कुछ बूंदें धरती के चार स्थानों पर जा गिरीं। ये स्थान थे हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक। इसलिए इन्हीं चार स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाने लगा। क्योंकि देवताओं का 1 दिन पृथ्वी लोक के एक साल के बराबर होता है। इसलिए 12 दिनों तक चलने वाले संघर्ष के संदर्भ में ही कुंभ का आयोजन हर 12 साल के अंतराल में किया जाता है।2025 के बाद कुंभ मेला कब लगेगा (Agla Kumbh Mela Kab Lagega)
अगला कुंभ मेला 2027 में नासिक में लगेगा। महाराष्ट्र सरकार साल 2027 में लगने वाले नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ महाकुंभ को भव्य और दिव्य बनाने के लिए अभी से ही तैयारी में लग गई है।पिछले वर्षों में कुंभ मेला कब-कब लगा था?
- 2001प्रयागराज कुंभ
- 2003नासिक कुंभ
- 2004हरिद्वार अर्धकुंभ, उज्जैन कुंभ
- 2007प्रयागराज अर्धकुंभ, उज्जैन कुंभ
- 2010हरिद्वार कुंभ
- 2013प्रयागराज में कुंभ
- 2021हरिद्वार में कुम्भ
- 2015नासिक कुंभ
- 2016हरिद्वार अर्धकुंभ, उज्जैन कुंभ
- 2019प्रयागराज अर्धकुंभ
- 2021हरिद्वार कुंभ
- 2025प्रयागराज महाकुंभ
Naga Sadhu: कुंभ मेले के बाद कहां चले जाते हैं नागा साधू
कुंभ मेले के बाद नागा साधु तप और ध्यान के लिए पहाड़ों में चले जाते हैं। जिससे उनकी साधना में किसी भी तरह की रुकावट न आए।Maha Kumbh Mela 2025 Prayagraj Live: दूसरा शाही स्नान कब है 2025
कुंभ मेले का दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी को है। जानकारी अनुसार इस दिन 8 से 10 करोड़ लोग कुंभ मेले में शाही स्नान करने के लिए पहुंच सकते हैं।Mahakumbh 2025 Naga Sadhu :नागा साधु कैसे बनते हैं?
Prayagraj Kumbh Mela 2025: महाकुम्भ 2025 मेले के प्रमुख आकर्षण
- श्री लेटे हुए हनुमान जी मन्दिर
- अक्षयवट
- सरस्वती कूप
- मनकामेश्वर मन्दिर
- महर्षि भारद्वाज आश्रम
- राज्य मंडप
- संस्कृति ग्राम
- कला ग्राम
- वाटर लेजर शो
- ड्रोन शो
- थीमैटिक गेट्स
- फसाड लाइटिंग
- पवित्र स्नान
- अखाड़ा शिविर
- आध्यात्मिक प्रवचन और सत्संग
- सांस्कृतिक प्रदर्शन
- शिल्प और खाद्य बाज़ार
- योग और ध्यान
- सांस्कृतिक जुलूस और परेड
- पर्यावरणीय पहल
- कला प्रतिष्ठान और प्रदर्शनियाँ
- घाटों पर आरती
LIVE: Mahakumbh 2025 | Sangam Maha-Aarti | 17th January 2025
अगला शाही स्नान कुंभ मेले का कब है?
कुंभ मेले का अगला शाही स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन है।Maha Kumbh 2025: नागा साधुओं का सुनहरा इतिहास
Last Maha Kumbh Mela held in Which Year: 2025 से पहले महाकुंभ कब लगा था
2025 से पहले महाकुंभ 2013 में प्रयागराज में लगा था। इस मेले में करोड़ों श्रद्धालुओं ने पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाई थी।कुंभ स्नान करने की विधि क्या है
कुंभ स्नान करते समय सबसे पहले मां गंगा को नमन करें। इसके बाद कम से कम पांच बार पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाएं। फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद मंदिर दर्शन के लिए जाएं।कुंभ मेले का सबसे बड़ा स्नान दिन कौन सा है
कुंभ मेले का सबसे बड़ा स्नान दिन मौनी अमावस्या का माना जाता है। जो इस बार 29 जनवरी को है। कहते हैं इस दिन कुंभ स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।Mahakumbh 2025 Sangam Maha-Aarti 17th January 2025 लाइव यहां देख सकते हैं
IITian Baba at Mahakumbh: 40 लाख की नौकरी छोड़ी..IIT वाले 'अघोरी' ?
LIVE: Maha Kumbh 2025, Devotees takes Holy Dip in Prayagraj: महाकुंभ 2025
Kumbh Mela 2025 Live: कुंभ मेले का आखिरी शाही स्नान कब है?
कुंभ मेला 2025 का आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी को यानी महाशिवरात्रि के दिन है। इसी के साथ कुंभ मेले का समापन भी हो जाएगा।Kumbh Mela 2025 Prayagraj Live: कुंभ मेले में जाकर क्या करना चाहिए?
कुंभ मेले में जाकर स्नान करना चाहिए। गृहस्थ लोगों को कम से कम पांच बार पवित्र नदी में डुबकी लगानी चाहिए।Kumbh Mela 2025 Prayagraj Live 16 January 2025 | Sangam Maha-Aarti |
Maha Kumbh 2025 Shahi Snan Live: महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान कब होगा?
कुंभ मेले का आयोजन हर 12 वर्षों में होता है लेकिन, इस बार का कुंभ महाकुंभ है जो 144 साल बाद लगा है। महाकुंभ का पहला स्नान मकर संक्रांति के दिन हुआ तो दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी मौसी अमावस्या के दिन मनाया जाएगा।Maha Kumbh Mela 2025 Last Date Live: कुंभ मेला कब खत्म होगा?
कुंभ मेले का समापन 26 फरवरी को होगा। बता दें ये मेला 13 जनवरी से पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू हुआ था।
Maha Kumbh 2025 Location In Hindi: महाकुंभ का आयोजन कहां-कहां होता है?
महाकुंभ का आयोजन सिर्फ प्रयागराज की पावन धरती पर ही होता है। यहां सबसे बड़ा कुंभ लगता है। जिसमें शामिल होने के लिए दुनिया भर से साधू-संत यहां पहुंचते हैं।
Kumbh Mela Hindi: 2025 से पहले प्रयागराज में कुंभ कब लगा था?
इलाहाबाद का कुम्भ 14 जनवरी से 10 मार्च 2013 के बीच आयोजित किया गया। यह कुल 55 दिनों के लिए था।
Maha Kumbh 2025: कुंभ मेले का आखिरी शाही स्नान कब है?
कुंभ मेले का आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी को यानी महाशिवरात्रि के दिन है। इसी के साथ कुंभ मेले का समापन भी हो जाएगा।
Kumbh Mela Ritulas: कुंभ मेले के रीति-रिवाज
कुंभ मेले में जाकर नदी के जल में स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय कम से कम तीन बार डुबकी जरूर लगानी चाहिए। जबकि शादीशुदा लोगों को पांच बार डुबकी लगानी चाहिए। इसके बाद सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए।Maha Kumbh 2025: Prayagraj महाकुंभ में जनसैलाब, Amrit Snan का Drone Video
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Kumbh Mela History In Hindi: कुंभ मेले का इतिहास
'कुंभ' का असल अर्थ होता है कलश यानी घड़ा। दरअसल कुंभ स्नान की कहानी भी एक अमृत के घड़े से जुड़ी है। पौराणिक कथा अनुसार जब दुर्वासा ऋषि के श्राप की वजह से देवता कमजोर हो गए थे तो राक्षसों ने उन्हें युद्ध में पराजित कर दिया था। जिसके बाद सभी देवता मदद के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे। जिसके बाद भगवान विष्णु ने उन्हें समुद्र मंथन करने को कहा। इसके बाद भगवान विष्णु के कहे अनुसार देवताओं ने राक्षसों के साथ अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन करने की संधि रखी। राक्षसों ने भी अमृत के लालच से देवताओं की संधि मान ली। जिसके बाद समुद्र मंथन शुरू हुआ। इस दौरान समुद्र में से एक-एक करके कई चीजें निकलीं लेकिन जब उसमें से अमृत कलश प्रकट हुआ तो उसे पाने के लिए हर कोई लालायित हो गया। तब भगवान इंद्र के बेटे जयंत ने अपने पिता के इशारे पर अमृत कलश उठाया और वो वहां से भाग निकले। तब राक्षसों के गुरु शंकराचार्य ने राक्षसों से जयंत से अमृत कलश छीनने को कहा। राक्षसों ने जयंत को तो पकड़ लिया लेकिन अमृत कलश छीनने के लिए देवता और असुरों के बीच बारह दिनों तक भयंकर युद्ध चला। इसी युद्ध के दौरान अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी लोक की चार जगहों पर जा गिरीं। कहते हैं अमृत की पहली बूंद प्रयाग में, दूसरी हरिद्वार में, तीसरी उज्जैन में और चौथी नासिक में जा गिरी। यही वजह है कि इन चारों स्थान पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। कहते हैं जयंत जब अमृत कलश लेकर उड़ा था तो वह 12 दिनों में स्वर्ग पहुंचा था और शास्त्रों के अनुसार देवताओ का एक दिन पृथ्वी लोक के एक साल के बराबर होता है। इसलिए उस घटना के संदर्भ में कुंभ का आयोजन हर 12 साल के अंतराल में होता है। आपको बता दें कि कुंभ भी 12 होते हैं जिनमें से चार का पृथ्वीलोक पर आयोजन होता है तो बाकी आठ का आयोजन देवलोक में होता है।How To Reach Prayagraj Kumbh Mela: प्रयागराज कुंभ कैसे पहुंचे
कुंभ मेले आप बस, रेल, कार या हवाई जहाज किसी भी यातायात सुविधा का इस्तेमाल करते हुए पहुंच सकते हैं।Kumbh Mela Kitne Din Ka Hota Hai: कुंभ मेला कितने दिन का होता है?
महाकुंभ मेला करीब डेढ़ महीने तक चलता है। जिसकी शुरुआत पौष पूर्णिमा से होती है और अंत महा शिवरात्रि पर होता है। बता दें कुंभ मेला हर तीन साल में लगता है लेकिन महाकुंभ या पूर्ण कुंभ 12 साल में एक ही बार लगता है।Maha Kumbh 2025 Live: महाकुंभ में आए Naga Sadhus की रहस्यमयी दुनिया का सच !
Kumbh Mela 2025 End Date: कुंभ मेला कब खत्म होगा
कुंभ मेला 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन खत्म होगा। इसकी शुरुआत पौष पूर्णिमा को 13 जनवरी से हुई थी।कुंभ सिर्फ चार स्थानों पर ही क्यों लगता है?
कहते हैं समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं। इसलिए कुंभ सिर्फ इन चार स्थानों पर ही लगता है। बता दें कुंभ का मतलब कलश या घड़ा होता है।© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited