नवरात्रि महा नवमी पर कैसे करें हवन, क्या रहेगा पूजा का मुहूर्त, जानें सबकुछ यहां
नवरात्रि 2022 महा नवमी पूजा विधि और मुहूर्त (Navratri 2022 Maha Navami Puja Vidhi And Muhurat)
- महा नवमी 4 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होती है।
- महा नवमी 3 अक्टूबर को शाम 04:37 बजे से शुरू होगी और इसकी समाप्ति 4 अक्टूबर को दोपहर 02:20 बजे होगी।
- नवरात्रि व्रत का पारण 4 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट के बाद किया जा सकेगा।
महा नवमी पर कन्या पूजा का शुभ मुहूर्त (Navratri Maha Navami Kanya Puja Muhurat)
- अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:52 से दोपहर 12:39 तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05:58 PM से शाम 06:22 तक
- अमृत मुहूर्त - शाम 04:52 से शाम 06:22 तक
- रवि योग- पूरे दिन
महा नवमी हवन पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
कन्या पूजन विधि (Kanya Pujan Vidhi)
- कन्याओं को हलवा-पूड़ी या खीर-पूड़ी परोसने से पहले मां दुर्गा को भोग अवश्य लगाएं।
- महा नवमी पर शुभ मुहूर्त में कन्याओं को घर पर बुलाएं।
- सबसे पहले उन्हें स्वच्छ स्थान पर बिठाएं और उनके चरण धोएं।
- कन्याओं के माथे पर तिलक लगाएं और हाथ में कलावा बांधें।
- फिर कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें अपनी इच्छानुसार वस्त्र, उपहार और दक्षिणा भेंट करें।
- अंत में कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
- मान्यता है कि जो सच्चे मन से कन्या पूजन करता है उसके घर में हमेशा सुख-समृद्धि का वास रहता है।
माँ सिद्धिदात्री के मंत्र
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।इस मंत्र का अर्थ है कि, सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, असुर और स्वयं देवताओं के द्वारा पूजित और सिद्धि देने वाली माँ सिद्धिदात्री हमें भी आठ सिद्धियां प्रदान करें और अपना असीम आशीर्वाद हमारे जीवन पर बनाए रखें।आज के शुभ मुहूर्त (Today Shubh Muhurat)
4 अक्टूबर 2022 का शुभ मुहूर्तअभिजीत- 11:58am से 12:48pm तक।विजय मुहूर्त- 02:29pm से 03:28 pm तकगोधुली मुहूर्त- 06:19pm से 06:56pm तकमां सिद्धिदात्री पूजा मुहूर्त
नवरात्रि 9 वें दिन पूजा तिथि: 4 अक्टूबर, मंगलवारनवमी तिथि आरंभ - 3 अक्टूबर 2022 को 04:37 पी एम बजेनवमी तिथि समापन- 4 अक्टूबर 2022 को 02:20 पी एम बजेअत्यंत शुभमंगल और सभी प्रकार से कार्य सिद्ध करने वाला स्तोत्र
॥ अथार्गलास्तोत्रम् ॥ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः,अनुष्टुप् छन्दः,श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीजगदम्बाप्रीतयेसप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥ॐ नमश्चण्डिकायै॥ मार्कण्डेय उवाचॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥1॥ जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥2॥मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥3॥ महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥4॥रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥5॥ शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥6॥वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥7॥ अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥8॥नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥9॥ स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि१॥10॥चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥11॥ देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥12॥विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥13॥ विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥14॥सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥15॥ विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥16॥प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥17॥चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥18॥कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥19॥हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥20॥इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥21॥देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥22॥देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके।रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥23॥पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥24॥इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥25॥ ॥ इति देव्या अर्गलास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥महा नवमी की कथा (Maha Navami Katha)
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब पूरे ब्रह्मांड में अंधकार छा गया था तब उस अंधकार में ऊर्जा की एक छोटी किरण प्रकट हुई। जैसे-जैसे समय बीत रहा था वैसे-वैसे ये किरण बड़ी होती गई और इसने एक पवित्र दिव्य नारी का रूप धारण कर लिया। ऐसा माना जाता है कि यही देवी भगवती का नौवां स्वरूप माँ सिद्धिदात्री के रूप में जाना गया।मान्यताओं अनुसार माँ सिद्धिदात्री ने प्रकट होकर त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु, और महेश को जन्म दिया था। साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शिव शंकर को जो आठ सिद्धियां प्राप्त थीं वो भी माँ सिद्धिदात्री की ही कृपा से प्राप्त हुई थी। इनकी ही कृपा से शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ जिससे महादेव अर्धनारेश्वर कहलाए।इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि जब सभी देवी देवता राक्षस महिषासुर के अत्याचार से परेशान हो गए थे तब तीनों देवों ने अपने तेज से माँ सिद्धिदात्री को जन्म दिया। जिन्होंने कई वर्षों तक महिषासुर के साथ युद्ध किया और अंत में महिषासुर का वध करके तीनों लोकों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई।महा नवमी पर करें ये महा उपाय
आज महा नवमी मनाई जा रही है। इस दिन लोग मां की विधि विधान पूजा करते हैं। हवन कर और कन्याओं को भोजन कराकर व्रत का पारण किया जाता है। मां के मंत्रों का जाप किया जाता है। इन सभी के अलावा कुछ ऐसे उपाय भी हैं जिन्हें आप करके मां दुर्गा के साथ-साथ मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त कर सकते हैं। महा नवमी के इन महा उपायों को जानने के लिए यहां क्लिक करेंदेवी भगवती का नौवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री से संबंधित पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि, जब पूरे ब्रह्मांड में अंधकार छा गया था तब उस अंधकार में ऊर्जा की एक छोटा सी किरण प्रकट हुई। धीरे-धीरे यह किरण बड़ी होती गई और इसने एक पवित्र दिव्य नारी का रूप धारण कर लिया। कहा जाता है यही देवी भगवती का नौवां स्वरूप माँ सिद्धिदात्री के रूप में परिणित हुआ।मां सिद्धिदात्री के कारण ही शिव जी कहलाए अर्धनारीश्वर
माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हो गया था और तब को अपने इस स्वरूप में अर्धनारीश्वर कहलाए थे। कहते हैं माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है। उन्हें रोग, शोक, और भय से मुक्ति मिलती है।मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दातातू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धितेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!कठिन काम सिद्ध कराती हो तुमजब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,तेरी पूजा में तो न कोई विधि हैतू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!रविवार को तेरा सुमरिन करे जोतेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,तुम सब काज उसके कराती हो पूरेकभी काम उसके रहे न अधूरे!!तुम्हारी दया और तुम्हारी यह मायारखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशालीजो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरामहा नंदा मंदिर में है वास तेरा,मुझे आसरा है तुम्हारा ही मातावंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!नवरात्रि के नौवें दिन कन्या पूजन:
नवरात्रि के नौवें दिन का कन्या पूजन किया जाता है।इस दिन अपने घर में छोटी कन्याओं को बुलाकर उन्हें स-सम्मान भोजन कराया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।फिर कन्याओं को दक्षिणा, उपहार आदि देकर विदा करते हैं।नवरात्रि के आखिरी दिन हवन क्यों है जरूरी?
नवरात्रि का समापन दरअसल हवन से ही होता है। कहते हैं कि नवरात्रि के आखिरी दिन यदि हवन ना किया जाए तो इससे माँ की साधना अधूरी रह जाती है। यही वजह है कि नवरात्रि के आखिरी दिन हवन करना बेहद जरूरी होता है। इतना ही नहीं हवन करने से ना केवल हमारे आसपास का वातावरण शुद्ध होता है बल्कि हमारे आसपास सकारात्मकता का संचार भी होता है।मां सिद्धिदात्री का मंत्र (Mata Mantra)
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥महानवमी 2022 कन्या पूजा मुहूर्त (Maha Navami 2022 Kanya Pujan Muhurat)
04 अक्टूबर को महानवमी को पूरे दिन रवि योग बना है। इस दिन चौघड़िया मुहूर्त देखें तो सुबह 09:13 बजे से लेकर दोपहर 01:38 बजे तक शुभ समय है। इस समय में आप कन्या पूजन कर सकते हैं।चर-सामान्य 09:13 बजे से 10:41 बजे तकलाभ-उन्नति 10:41 बजे से 12:10 बजे तकअमृत-सर्वोत्तम 12:10 बजे से 01:38 बजे तकमां सिद्धिदात्री का भोग
मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को नवमी पर इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।मां सिद्धिदात्री आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।तू सब काज उसके करती है पूरे।कभी काम उसके रहे ना अधूरे।तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।नवरात्रि महा नवमी की पूजा-विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।मां को रोली कुमकुम भी लगाएं। मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।मां की आरती अवश्य करें।नवमी के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:38 ए एम से 05:27 ए एम।अभिजित मुहूर्त- 11:46 ए एम से 12:33 पी एम।विजय मुहूर्त- 02:08 पी एम से 02:55 पी एम।गोधूलि मुहूर्त- 05:52 पी एम से 06:16 पी एम।अमृत काल- 04:52 पी एम से 06:22 पी एम।रवि योग- पूरे दिन।मां दुर्गा को सुहाग का समान करें अर्पित
नवरात्रि की महानवमी के दिन मां दुर्गा को सुहाग का समान अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान देती हैं।माता रानी के सामने जलाएं 9 दीपक
महानवमी के दिन एक शांत कमरे में उत्तर की दिशा की ओर मुंह करके एक पीले आसन पर बैठ जाएं। अब माता रानी की प्रतिमा के सामने 9 दीपक जलाएं। अब दीपकों के सामने लाल चावल की एक ढेरी बनाकर उस पर एक श्रीयंत्र रखें। पूजा के बाद इसे घर के मंदिर में स्थापित कर दें। ऐसा करने से आकस्मिक धन लाभ मिलता है।मां दुर्गा की कृपा से घर में आएगी संपन्नता
महानवमी के दिन मां दुर्गा को पीले रंग की कौड़ी और शंख चढ़ाएं। इस उपाय से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। मां दुर्गा की कृपा से घर में संपन्नता आती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।आर्थिक तंगी के लिए ऐसे पाएं दुर्गा जी का आशीर्वाद
आर्थिक तंगी से छुटकारा चाहते हैं तो नवमी के दिन दुर्गा जी के प्रतिमा को गंगाजल में स्नान कराएं। इसके बाद दुर्गा रक्षा स्त्रोत का पूरी श्रद्धा के साथ पाठ करें। ऐसा करने से मां दुर्गा धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं।नौ कन्याओं की करें पूजा
नवमी के दिन नौ कन्याओं की पूजा करें और उन्हें घर बुलाकर भोजन कराएं। उन्हें वस्त्रका उपहार दें। ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर सुख-समृद्धि से भर जाता है।बीमारी से परेशानी के लिए करें ये उपाय
अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से परेशान हैं और इससे मुक्ति चाहते हैं तो महानवमी दिन आग्नेय कोण में मां दुर्गा की ज्योति जलाएं। यह उपाय रोग के साथ शत्रुओं से भी मुक्ति दिलाता है। महानवमी के दिन दुर्गा सप्तशती के उत्तम चरित्र का पाठ करने से मनोकामना पूरी होती है।माता रानी को लगाएं हलवा-पूड़ी का भोग
नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा का समापन लोग नवमी तिथि को करते हैं। महानवमी के दिन विधि-विधान से पूजा के साथ ही हवन किया जाता है। साथ ही देवी मां को भोग में हलवा-पूड़ी, खीर चढ़ाया जाता है। साथ ही कन्या पूजन किया जाता है। जिसमें छोटी उम्र की कन्याओं को घर में बुलाकर उनके चरण स्पर्शकर भोजन करवाते हैं। भोग में अगर आप भी हलवा और पूड़ी बनाने वाले हैं तो दो तरह के हलवे बनाकर मैया को भोग में चढ़ा सकते हैं।हैप्पी महानवमी 2022
जगत पलन हैं मांमुकति का दम हैं मां। हमारी शक्ति का पालन हैं मां, हम सब की रक्षा अवतार हैं मां।हैप्पी महानवमी 2022खुशियों और आपका,जन्म-जन्म का साथ हो,सभी की जुबान पर आपकीहंसी की बात होहैप्पी महानवमी 2022मां सिद्धिदात्री पूजा मंत्र (Maa Siddhidatri Mantra)
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।महानवमी पूजा का शुभ मुहूर्त (Maha Navami 2022 Puja Muhurat):
4 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट तक नवमी रहेगी। 4 अक्टूबर को दोपहर 1.32 बजे तक हवन का बढ़िया मुहूर्त है। वहीं हवन करने के सबसे शुभ मुहूर्त की बात करें तो वो सुबह 9.10 बजे से साढ़े 11 बजे तक बताया जा रहा है। इसके अलावा हवन का शुभ मुहूर्त सुबह साढ़े 11 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक रहेगा।महानवमी के शुभ मुहूर्त (Maha Navami 2022 Puja Muhurat)
अभिजीत- 11:58am से 12:48pm तक।विजय मुहूर्त- 02:29pm से 03:28 pm तकगोधुली मुहूर्त- 06:19pm से 06:56pm तकमां सिद्धिदात्री की आरती (Mata Aarti)
मां सिद्धिदात्री आरती-जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।तू सब काज उसके करती है पूरे।कभी काम उसके रहे ना अधूरे।तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।हवन आहुति मंत्र-
आहुति मंत्र-ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।ओम भूः स्वाहा, इदमगन्ये इदं न मम। ओम भुवः स्वाहा, इदं वायवे इदं न मम।ओम स्वः स्वाहा, इदं सूर्याय इदं न मम।ओम अगन्ये स्वाहा, इदमगन्ये इदं न मम।ओम घन्वन्तरये स्वाहा, इदं धन्वन्तरये इदं न मम।ओम विश्वेभ्योदेवभ्योः स्वाहा, इदं विश्वेभ्योदेवेभ्योइदं न मम।ओम प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये इदं न मम।ओम अग्नये स्विष्टकृते स्वाहा, इदमग्नये स्विष्टकृते इदं न मम।हवन विधि (Hawan Vidhi)
सबसे पहले हवन कुण्ड में अग्नि प्रज्ज्वलित करें। इसके बाद हवन साम्रगी समेत गंध, धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य आदि अग्नि देव को अर्पित करें। फिर घी मिश्रित हवन सामग्री से या केवल घी से हवन किया जाता है।नवरात्रि महा नवमी पर हवन करने की सामग्री (Maha Navami Hawan Samagri)
एक सूखा नारियल, लाल रंग का कपड़ा, कलावा, इसके अलावा अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, चंदन, बेल, नीम, पीपल का तना ,छाल, एक हवन कुंड, सूखी आम की लकड़िया, गूलर की छाल और पलाश की लकड़ियां शामिल कर सकते हैं।कन्या पूजन में किन बातों का रखें ध्यान
कन्या पूजन में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिन कन्याओं को आप घर पर निमंत्रण दे रहे हैं उनकी उम्र 2 से 10 वर्षों के बीच होनी चाहिए और अगर मुमकिन हो तो कम से कम 9 कन्याओं को भोजन अवश्य कराएं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि कन्या पूजन में एक बालक भी होना चाहिए। कहा जाता है बालक बटुक भैरव का रूप होते हैं।नवरात्रि कन्या पूजन विधि (Navratri Kanya Puja Vidhi)
- सबसे पहले कन्याओं को 1 दिन पूर्व घर आने का निमंत्रण दे दें।
- कन्याओं को घर में साफ स्थान पर बिठाएं और उनके चरण धोएं।
- इसके बाद कन्याओं को तिल लगाएं और उनकी आरती उतारें।
- फिर उन्हें हलवा, पूड़ी का भोजन कराएं।
- अंत में उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
मां दुर्गा की आरती (Jai Ambe Gauri Aarti)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।जय अम्बे गौरी,…।मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को। उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।जय अम्बे गौरी,…।कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।जय अम्बे गौरी,…।केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी। सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।जय अम्बे गौरी,…।कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।जय अम्बे गौरी,…।शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।जय अम्बे गौरी,…।चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे। मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।जय अम्बे गौरी,…।ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी। आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।जय अम्बे गौरी,…।चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू। बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।जय अम्बे गौरी,…।तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।जय अम्बे गौरी,…।भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी। मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।जय अम्बे गौरी,…।कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।जय अम्बे गौरी,…।अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै। कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।कन्या पूजन 2022 मंत्र (Kanya Pujan 2022 Mantra)
- या देवी सर्वभूतेषु 'कन्या ' रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
- ॐ श्री दुं दुर्गायै नमः।।
- ॐ श्री कुमार्यै नमः ।।
- ॐ श्री त्रिगुणात्मिकायै नमः ।।
नवरात्रि की नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व (Maa Siddhidatri Puja Significance)
धार्मिक मान्यताओं अनुसार जो भक्त मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से आराधना करता है तो मां उस व्यक्ति की हर साधनाएं सिद्ध करती हैं। इसके साथ ही व्यक्ति को मां की कृपा की प्राप्ति होती है उसे मोक्ष भी प्राप्त हो जाता है।नवमी पर कन्या पूजन का विशेष महत्व (Navratri Navami Kanya Pujan)
नवरात्रि की नवमी तिथि पर कन्या पूजन का भी विधान है। इस दिन कन्याओं को घर बुलाकर उन्हें भोजन कराना चाहिए। साथ ही उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। कहते हैं कन्या पूजन से जीवन में आने वाले सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।नवरात्रि की नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री को इस चीज का लगाएं भोग (Navratri Navami Bhog)
नवमी तिथि पर माँ को तिल का भोग लगाने लगाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस दिन की पूजा में माँ को पूड़ी और हलवे का भोग भी जरूर लगाएं।नवरात्रि महा नवमी पूजा मंत्र (Maha Navami Puja Mantra)
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited