Maha Shivaratri Story: क्या होता है शिवलिंग और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति? क्या कहता है विज्ञान? जानिए शिवलिंग से जुड़े सारे रहस्य
Kya Hota Hai Shivling, Mahashivaratri 2024: शिवलिंग को लेकर कई तरह की भ्रांतियां भी समाज में प्रचलित हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है शिवलिंग और किस तरह से हुई इसकी उत्पत्ति।
Kya hota hai Shivling ( जानिए आखिर क्या होता है शिवलिंग)
Maha Shivaratri 2024, Shivling Kya Hota Hai: महादेव के भक्त महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) के रंग में रंग चुके हैं। इस साल 8 मार्च को महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जा रहा है। शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि को लेकर उत्सव सा माहौल है। महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) के दिन भक्त उपवास रखकर भगवान शंकर की आराधना करते हैं। इस दिन देश-दुनिया के तमाम मंदिरों में शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग को लेकर कई तरह की भ्रांतियां भी समाज में प्रचलित हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है शिवलिंग और किस तरह से हुई इसकी उत्पत्ति।
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शिवलिंग का अर्थ (What Is Shivling)शिवलिंग को लेकर एक दुष्प्रचार ये है कि यह भगवान शिव के गुप्तांग का प्रतीक है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। शिवलिंग संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है- शिव और लिंग। शिव का शाब्दिक अर्थ होता है स्थिर या शव समान और लिंग का मतलब होता है प्रतीक। मतलब ये कि जो शिव का प्रतीक हो उसे शिवलिंग कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर हम पुल्लिंग व स्त्रीलिंग का प्रयोग करते हैं। पुल्लिंग व स्त्रीलिंग का अर्थ पुरुष व महिला के प्रतीक हैं, ठीक वैसे ही शिवलिंग का अर्थ शिव के चिन्ह से। संस्कृत भाषा में पुरुष गुप्तांग को शिशिन कहा जाता है, ना कि लिंग।
कैसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति (How Shivling Evolve)पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि सृष्टि के निर्माण के पश्चात भगवान विष्णु और ब्रह्माजी में युद्ध होता रहा। दोनों ही देव खुद को एक दूसरे से ज्यादा ताकतवर सिद्ध करने के लिए उलझे पड़े थे। दोनों के युद्ध के दौरान आकाश में एक चमकीला पत्थर दिखा। आकाशवाणी हुई कि जो भी इस चमकीले पत्थर का अंत ढूंढ लेगा, वह ज्यादा शक्तिशाली माना जाएगा। आकाशवाणी होने के बाद पत्थर का अंत ढूंढ़ने विष्णु नीचे की तरफ गए तो ब्रह्मा ऊपर की ओर, लेकिन किसी को अंत नहीं मिला। भगवान विष्णु ने तो हार मान ली लेकिन ब्रह्मा ने झूठ बोल दिया कि मुझे इस पत्थर का अंत मिल गया है। तभी भगवान शिव प्रकट हुए। वो बोले कि मैं शिवलिंग हूं और मेरा ना तो आरंभ है और ना ही कोई अंत। तभी से वह पत्थर शिवलिंग कहलाया औऱ पूजा जाने लगा।
शिवलिंग और विज्ञान (Science And Shivling)विज्ञान हमें सृष्टि का निर्माण करने वाले तीन प्रकार के अणुओं के बारे में बताता है- न्यूट्रॉन, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन। इसमें न्यूट्रॉन और प्रोटॉन आपस में जुड़े होते हैं व स्थिर होते हैं। इलेक्ट्रॉन इसके चारों ओर स्थित होते हैं और गतिशील होते हैं। विज्ञान कहता है इन तीनों अणुओं के गठबंधन में कभी विस्फोट होता है तो उर्जा फैलती है। यह उर्जा वृत्ताकार होती है और चारों ओर फैलते हुए ऊपर व नीचे की ओर अंडाकार आकारा बनाती है। ठीक इसी तरह हमारा ब्रह्मांड भी है। शिवलिंग का अभिप्राय ब्रह्मांड ही है। विज्ञान में ब्रह्मांड को किसी भी सीमा से परे बताया गया है। इसकी कोई सीमा नहीं है।
किसका प्रतिनिधित्व करता है शिवलिंग (What Shivling Represent)मान्यता है कि शिवलिंग ब्रह्मांड, ऊर्जा, पदार्थ, मनुष्ययोनी, जीवन, उत्पत्ति, उदय का प्रतिनिधित्व करता है। शिवलिंग से हमें मानव जीवन के उदय व पतन के बारे में पता चलता है। ब्रह्मांड व विश्व में केवल दो ही चीजें विद्यमान हैं- पदार्थ और ऊर्जा। पदार्थ को आप देख, छू या महसूस कर सकते हैं। लेकिन उर्जा को सिर्फ महसूस किया जा सकता है। पदार्थ से उर्जा के मेल के बाद ही उसमें जीवन आता है। मनव शरीर कई तरह के तत्वों से मिलकर बना है। इस ननिर्जीव शरीर में जीवन डालती है उसकी आत्मा। यह आत्मा ही उर्जा है। ठीक इसी प्रकार शिवलिंग भी पदार्थ व ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है जो जीवन को दर्शाता है।
शिवलिंग और ज्योतिंर्लिंग में अंतर (Shivling and Jyotirling)शिवलिंग स्वयंभू भी उतपन्न हुए हैं और कुछ शिवलिंग मानव द्वारा भी स्थापित किये गए हैं। वहीं ज्योतिर्लिंग स्वयंभू हैं। यह मानव द्वारा निर्मित नहीं होते। मान्यता है कि जहां-जहां ज्योतिर्लिंग हैं, वहां भगवान शिव ने स्वयं दर्शन दिए हैं और वहां एक ज्योति के रूप में उत्पन्न हुए थे। शिवपुराण में ज्योतिर्लिंग का अर्थ भी भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना बताया गया है। इस धरती पर 12 ज्योतिर्लिंग हैं औऱ ये सारे भारत में ही हैं।
ज्योतिर्लिंग स्तुति मंत्र (Jyotirling Stuti Mantra)इस मंत्र में धरती पर मौजूद सभी 12 ज्योतिर्लिंगों को नमन किया गया है। मंत्र हमें पहले से लेकर 12वें ज्योतिर्लिंग तक के बारे में क्रमानुसार बताता है औऱ ये यह भी बताता है कि ये ज्योतिर्लिंग कहां-कहां स्थित हैं:
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं परमेश्वरम्॥
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकियां भीमशंकरम्। वाराणस्यांच विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे॥
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने। सेतूबन्धे च रामेशं घुश्मेशंच शिवालये॥
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत्। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
यं यं काममपेक्ष्यैव पठिष्यन्ति नरोत्तमाः। तस्य तस्य फलप्राप्तिर्भविष्यति न संशयः॥
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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