Maha Shivratri 2024: जब भगवान शिव ने 14 साल पर रोक दी बच्चे की उम्र, उल्टे पांव लौटे थे यमराज
Maha Shivrati 2024 Date: भगवान शिव से जुड़ी एक ऐसी ही कहानी है जब भोले शंकर ने अपने आशीर्वाद से एक बालक को हमेशा के लिए अमर कर दिया। इतना ही नहीं उस बालक को ये आशीर्वाद भी मिला कि उनकी पूजा शिव अराधना से पहले होगी।

Maha SHivratri
भगवान शिव को देवों का देव कहा जाता है। माना जाता है कि शिव खफा हुए तो सृष्टि का विनाश कर देते हैं और प्रसन्न होता है तो अपने भक्त को भी भगवान का दर्जा दिला देते हैं। भोले शंकर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं जिन्हों सदियों से सुना और सुनाया जाता आ रहा है। भगवान शिव से जुड़ी एक ऐसी ही कहानी है जब भोले शंकर ने अपने आशीर्वाद से एक बालक को हमेशा के लिए अमर कर दिया। इतना ही नहीं उस बालक को ये आशीर्वाद भी मिला कि उनकी पूजा शिव आराधना से पहले होगी।
नि:संतान दंपति के लिए शिव ही बने सहारा
दरअसल, कहा जाता है कि आदिकाल में मृकण्ड ऋषि और उनकी पत्नी मरन्धती नि:संतान थे। उन्हें एक बार इसके लिए अपमानित भी होना पड़ा। दरअसल किसी ने उनपर व्यंग कसते हुए कह दिया कि पुत्र नहीं होगा को उनका वंश कैसे आगे बढ़ेगा। इस बात से नाराज होकर वह भगवान ब्रह्मा की तपस्या करने लगे। कठिन तप के बाद जब ब्रह्मा प्रकट हुए तो उन्होंने बताया कि तुम्हें पुत्र प्राप्ति भगवान शिव के आशीर्वाद से हो सकता है।
शिव ने दिया आशीर्वाद
ब्रह्मा जी की बात मान मृकण्ड ऋषि भगवान शिव की तपस्या में लग गए। शिव प्रकट हुए तो मृकण्ड ऋषि ने अपने लिए पुत्र रत्न की मांग की। शिव मान गए, लेकिन उन्होंने ये भी कह दिया कि उनका पुत्र सिर्फ 14 साल तक ही जीवित रहेगा (कुछ कहानियों में यह उम्र 12 तो कुछ में 16 भी बताई गई है)। शिव के आशीर्वाद से मृकण्ड ऋषि के घर पुत्र ने जन्म लिया जिसका नाम मार्कंडेय रखा गया।
14 साल बाद लेने पहुंचे यमराज
जब मार्कंडेय 14 वर्ष के होने वाला थे तो उनके माता-पिता ने उनके अल्पायु होने की बात बताई। 14 साल में मृत्यु की बात सुन मार्कंडेय कहने लगे- मैं नहीं मरूंगा। मैं शिव की पूजा करूंगा। उस दिन के बाद से मार्कंडेय शिव तपस्या में लीन हो गए। तपस्या में रहते हुए जैसे ही उनकी उम्र 14 साल की पूरी हो गई तभी यमराज प्रकट हो गए। यमराज ने साथ चलने को कहा तो मार्कंडेय ने जवाब दिया- मुझे अपनी पूजा समाप्त कर लेने दो। बालक की बात सुन यम नाराज हो गए और उन्होंने उसके ऊपर यम पाश फेंका।
यमराज को धरती पर ना लौटने का मिला निर्देश
यमराज का क्रोध देखते ही भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें तुरंत यमलोक लौट जाने का आदेश दे दिया और बोले- वापस पृथ्वी पर मत आना। यम चले गए। उसके बाद से पृथ्वी पर किसी की मृत्यु नहीं हुई। पृथ्वी की आबादी बेतहाशा बढ़ने लगी तो देवी पृथ्वी शिव के पास गईं और बोलीं- मैं इतना भर नहीं उठा सकती। कृपया यमराज को पृथ्वी पर भेजिए। जब शिव ने इनकार किया तो वह सहायता के लिए पार्वती के पास पहुंची।
शिव को पार्वती ने दी सलाह
पार्वती ने भी शिव से देवी पृथ्वी की समस्या बताई तो वो बोले- यमराज ने मेरे भक्तों का अपमान किया था। पार्वती ने जवाब दिया- लेकिन आपने ही तो कहा था मार्कंडेय 14 वर्ष से अधिक नहीं जिएगा, इसीलिए यमराज उसे लेने गए थे। शिव खामोश हो गए। तभी पार्वती बोलीं- शायद आप ये कहना चाह रहे होंगे कि मार्कंडेय हमेशा 14 साल का ही रहेगा। इसी बात को यमराज समझ नहीं पाए होंगे। शिव तुरंत प्रसन्न होकर बोले- बिल्कुल यही बात थी। उन्होंने तुरंत यमराज को पृथ्वी पर जाने की अनुमति दे दी और मार्कंडेय सदैव 14 वर्ष का ही रहा।
यहां शिव से पहले होती है मार्कंडेय की पूजा
शिव ने मार्कंडेय को ये आशीर्वाद भी दिया था कि उनसे पहले उसकी पूजा अर्चना भी होगी। भगवना शिव की नगरी काशी से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर आज भी मार्कंडेय महादेव का मंदिर है। श्रद्धालु पहले यहां आराधना करने के बाद ही काशी विश्वनाथ के दर्शन करते हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

अध्यात्म और ज्योतिष की दुनिया बेहद दिलचस्प है। यहां हर समय कुछ नया सिखने और जानने को मिलता है। अगर आपकी अध्यात्म और ज्योतिष में गहरी रुचि है और आप इस ...और देखें

Weekly Rashifal (22 To 28 June 2025): इस सप्ताह 3 राशियों का चमकेगा भाग्य, मिल सकती है बड़ी सफलता, देखें सभी 12 राशियों का साप्ताहिक राशिफल

मंगल देव की कृपा से खुल सकते हैं भाग्य के द्वार, इन प्राचीन मंदिरों में मिलती है शांति और समाधान

Moon Temples Of India: कुंडली में कमजोर है चंद्रमा तो करें भारत के इन 4 प्राचीन और चमत्कारी मंदिरों के दर्शन, दूर होगा चंद्र दोष

22 जून का पंचांग, जानें तिथि, राहूकाल और शुभ मुहूर्त की सम्पूर्ण जानकारी, देखें आज कौन सा व्रत है

Yogini Ekadashi 2025 Parana Time: योगिनी एकादशी आज, जानें व्रत का पारण समय, पूजा विधि और महत्व
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited