Maha Shivratri 2024: महादेव के क्रोध से हुआ था कार्तिकेय का जन्म, कामदेव को झेलना पड़ा था भोलेनाथ का प्रकोप

MahaShivaratri 2024: हम आपको भगवान शंकर से जुड़ी वो पौराणिक कहानी बता रहे हैं जब भोले शंकर के क्रोध से उनके बड़े पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ था।

Maha SHivratri 2024 Story

Maha Shivaratri 2024: जानिए कैसे हुआ था भगवान शंकर के बड़े पुत्र कार्तिकेय का जन्म

Maha Shivratri: महादेव की भक्ति का महापर्व महाशिवरात्रि 8 मार्च को है। महाशिवरात्रि के लिए भोलेनाथ के मंदिर सज गए हैं। मंदिरों में भोले के भजन बज रहे हैं। शिव पार्वती की कथाएं भी सुनी सुनाई जा रही हैं। ऐसे में हम आपको भगवान शंकर से जुड़ी वो पौराणिक कहानी बता रहे हैं जब भोले शंकर के क्रोध से उनके बड़े पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ था।

भगवान शंकर के दो पुत्र थे। बड़े पुत्र का नाम कार्तिकेय तो छोटे का नाम गणेश है। माता सती द्वारा खुद को भस्म कर लेने के बाद भगवान शंकर हिमालय चले गए थे और ध्यान मग्न हो गए थे। वहां हिमालय पुत्री पार्वती के कठिन तप के बाद भगवान शंकर ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी बना लिया था। उधर भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर ध्यानमग्न थे तो वहीं पृथ्वी पर तारकासुर नाम के असुर का आतंक बढ़ता जा रहा था। दरअसल तारकासुर ने भगवान शंकर की कठिन तपस्या के बाद उनसे ही यह वरदान पाया था कि उसका अंत शिव पुत्र के हाथों ही होगा।

तारकासुर के आतंक से परेशान होकर देवी देवताओं ने सोचा कि भगवान शंकर तो ध्यान में हैं। उनका पुत्र कैसे जन्म लेगा। तब कामदेव ने जिम्मेदारी ली। उन्होंने पृथ्वी के हितों का ध्यान रखते हुए भोलेनाथ पर पुष्प पुष्पबाण फेंका ताकि उनके मन में पार्वती के लिए प्रेम जागृत हो सके। कामदेव द्वारा फेंके गए फूलों से शंकर का ध्यान भंग हो गया। ध्यान भंग होने से क्रोधित भगवान शंकर ने अपनी तीसरी आंख खोल दी। तीसरी आंख के प्रकोप से कामदेव जलकर भस्म हो गए। हालांकि बाद में कामदेव की पत्नी रति के अनुनय के बाद शिव ने कामदेव का शरीर तो लौटा दिया लेकिन शर्त ये रही कि वो सिर्फ रति को ही दिखेंगे।

कामदेव की पुष्प वर्षा से शिव के मन में पार्वती के लिए प्रेम जगा तो लेकिन वह इतने क्रोधित थे कि संतान की उत्पत्ति संभव नहीं थी। तब भोले शंकर की जटा में विराजमान देवी गंगा ने उनके क्रोध को सरवन तक पहुंचाया जहां छह सिरों वाले शरवणभव की उत्पत्ति हुई। इस बालक का पालन-पोषण देवलोक की 6 अप्सराओं ने किया था। बाद में माता पार्वती ने उस बालक को गोद ले लिया। कृत्तिकाओं यानि अप्सराओं द्वारा पालन-पोषण के कारण ही उनका नाम कार्तिकेय पड़ा था।

कार्तिकेय का जन्म देवी देवताओं के प्रयासों के बाद तारकासुर के वध के लिए हुआ था। कार्तिकेय ने अपने जन्म का मकसद पूरा भी किया। जब कार्तिकेय बड़े हुए तो उन्होंने देवी देवताओं की सेना का नेतृत्व करते हुए तारकासुर को मृत्युलोक पहुंचा दिया था।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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