Bhasma Aarti: क्या होती है भस्म आरती, क्यों महिलाएं निकालती हैं घूंघट - जानें इसका रहस्य
Mahakal Bhasm Aarti, Ujjain: भस्म आरती भगवान शिव की आरतियों में सबसे खास होती है। इस आरती के लिए श्मशान में जलने वाली सुबह की पहली चिता से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। महिलाओं और पुरुषों के लिए भस्म आरती में शामिल होने के लिए कुछ नियम तय किए गए हैं।
Mahakal Bhasm Aarti,
Bhasm Aarti Kya hai
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में दूषण नाम का एक राक्षस था। उसके वजह से उज्जैन वासी परेशान हो चुके थे। वहां के लोगों को उस अत्याचारी राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव ने उसका वध कर दिया। उस अत्याचारी राक्षस के मारे जानें पर नगरवासियों ने भगवान शिव से वहीं बसने का अनुरोध किया। तब भगवान शिव महाकाल के रूप में वही बस गए।
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मान्यता है कि शिव जी ने दूषण को भस्म करने के बाद बची राख को खुद पर लगाया था। इसी पौराणिक कहानी के आधार पर ही इस शिव मंदिर का नाम महाकालेश्वर रखा गया।
उज्जैन की भस्म आरती के क्या नियम हैं
महाकालेश्वर मंदिर में शमशान में जलने वाली पहली चिता से शिव जी का श्रृंगार किया जाता है। इस मंदिर में दिन में 6 बार भगवान शिव के अलग- अलग स्वरूपों की आरती की जाती है। भस्म आरती केवल मंदिर के पुजारी ही करते हैं। पुरुषों को इसमें धोती पहनकर शामिल होने का नियम है।
वहीं इस मान्यता के चलते कि भगवान शिव निराकार स्वरूप में होते हैं, महिलाओं को भोलेनाथ के इस रूप के दर्शन करने की अनुमति नहीं है। उनको साफ और सूती साड़ी पहनकर घूंघट करके ही इस आरती में आने की अनुमति मिलती है।
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