Mahalakshmi Vrat 2023: महालक्ष्मी व्रत के आखिरी दिन इस विधि से करें पूजा, घर में बनी रहेगी सुख,समद्धि
Mahalakshmi Vrat 2023: सनातन परंपरा में महालक्ष्मी व्रत का खास महत्व है। यह व्रत पूरे 16 तक चलता है। इस दौरान पूरे विधि- विधान के साथ माता लक्ष्मी के महालक्ष्मी रूप की पूजा की जाती है। इनकी पूजा निष्ठा पूर्वक करने से साधक की सारी मनोकामना पूरी होती है। कब है महालक्ष्मी व्रत का समापन। किस विधि करें पूजा। जानें सारी डिटेल।
Mahalakshmi Vrat 2023: सनातन धर्म में महालक्ष्मी के व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत कम से कम 16 दिनों तक रखा जाता है। ऐसे में ये 16 दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित हैं। मां लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है। हर साल महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होता है। हमारा समापन भी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। महालक्ष्मी व्रत इस साल 22 सितंबर से शुरू हुआ और कल यानि शुक्रवार, 6 अक्टूबर, 2023 को इस व्रत का समापन होगा। ऐसे में आइए जानते हैं इस दिन किस विधि से करें पूजा।
Mahalaxmi Ashtakam Lyrics In Hindi
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि ( Mahalakshmi Vrat Puja Vidhi)
महालक्ष्मी व्रत के समापन के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि करने के बाद माता लक्ष्मी का ध्यान करें। उसके बाद एक साफ चौकी पर माता लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करें और उनके लाल चुनरी चढ़ाएं। इसके साथ ही मां के चरणों में चांदी या सोने का सिक्का चढ़ाएं। महालक्ष्मी व्रत के शुरुआत में 16 गाठ वाला धागा मां को चढ़ाया जाता है। वही धाग आखिरी दिन पर उठाकर अपने हाथों में बांध लेना चाहिए। इसके बाद देवी महालक्ष्मी के सामने 16 देसी घी के दीपक जलाएं और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। व्रत के अगले दिन 16 गांठ वाला धागा तिजोरी में रखें। अगर आप इस धागे को अपने पास रखेंगे तो आपके घर में धन की कमी नहीं होगी।
महालक्ष्मी व्रत के समापन पर इन बातों का रखें ध्यान
देवी मां को कभी भी हरसिंगार का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। महालक्ष्मी की पूजा में हरसिंगार के फूलों का प्रयोग वर्जित है। देवी लक्ष्मी को सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए। पूजा के दौरान लाल या गुलाबी रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
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