Mahalaxmi Vrat End Date: 6 सितंबर को हो रहा है महालक्ष्मी व्रत का समापन, जान लें कैसे करें पूजा

Mahalaxmi Vrat End Date: सनातन धर्म में महालक्ष्मी के व्रत का विशेष महत्व है। इस में व्रत मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जिस भी व्यक्ति पर देवी लक्ष्मी की कृपा होती है वह अपने जीवन में सुखी और सफल रहता है। ऐसे में आइए जानते महालक्ष्मी व्रत का समापन कब हो रहा है। इस दिन कैसे पूजा करें। सारी डिटेल।

mahalaxmi vrat 2023

Mahalaxmi Vrat End Date: हर साल महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होता है। इसका समापन भी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ होता है। यह लगभग 16 दिनों तक चलता है। इस वर्ष यह महालक्ष्मी व्रत शुक्रवार, 22 सितंबर, 2023 से शुरू हुआ था और शुक्रवार, 6 अक्टूबर, 2023 को समाप्त होता है। इन 16 दिनों में धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए साधक विशेष उपाय करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन दिनों में मां लक्ष्मी से जो भी मांगों वो सारी मनोकामना पूरी होती है। मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के जीवन में कभी धन की कोई कमी नहीं होती है। शास्त्रों में मां लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है। आइए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन में किस तरह से पूजा करनी चाहिए।

महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि ( Mahalaxmi Vrat Puja Vidhi)

महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक चलता है और इसका उद्यापन 16वें दिन होता है। महालक्ष्मी व्रत के इन दिनों में प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करने के बाद 16 बार व्रत का संकल्प करें। यदि आप 16 दिनों तक उपवास नहीं कर सकते हैं, तो आप पहले 3 दिन उपवास या आखिरी 3 दिन उपवास कर सकते हैं। इस व्रत में अनाज का सेवन नहीं किया जाता है। महालक्ष्मी व्रत के दौरान माता की पूजा के समय चांदी का सिक्का और फल मिठाईयां चढ़ाएं। इसके बाद देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की पूजा करें और देवी लक्ष्मी को कुमक, चावल और फूल चढ़ाएं। बताशा, शंख, मखाना आदि भी चढ़ाते हैं। इस तरह व्यक्ति पर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

महालक्ष्मी व्रत महत्व ( Mahalaxmi Vrat Importance)

पुराणों के अनुसार महालक्ष्मी व्रत दुख और दरिद्रता का नाश करने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और आर्थिक तंगी दूर हो जाती है। इस व्रत के माहात्म्य से खोया हुआ धन, राज्य, संपत्ति और सम्मान पुनः प्राप्त हो जायेगा। कहानी के अनुसार, जब पांडव चौपारा में अपना सब कुछ हार गए, तो श्रीकृष्ण की सलाह पर उन्होंने धन देने वाली महालक्ष्मी का व्रत किया।

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