Mahalaya Amavasya 2024 : इस साल कब है महालया? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Mahalaya 2024 Date And Time: दुर्गा पूजा का त्योहार हर साल महालया से शुरू होकर दशहरा तक चलता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कब है महालया और इसके शुभ मुहूर्त, महत्व के बारे में।

Mahalaya 2024 Date

Mahalaya 2024 Date And Time: सनातन धर्म में दुर्गा पूजा का उत्सव बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ये पर्व महालया से शुरू होता है। दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है। महालया के दिन से ही दुर्गा पूजा की शुरुआत मानी जाती है। इसका शास्त्रों में बहुत ही महत्व है। महालया खासतौर पर बंगाल में मनाई जाती है। महालया की सर्व पितृ अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस दिन को महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन से पितृ पक्ष का समापन होता है और दुर्गा पूजा की शुरुआत होती है। दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की विधिवत पूजा की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल महालया कब है और इसके महत्व के बारे में।

Mahalaya Amavasya 2024 Date (महालया 2024 में कब है)हिंदू पंचांग के अनुसार महालया सर्व पितृ अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस साल आश्विन मास की अमावस्या 2 अक्तूबर 2024 को है। ऐसे में इस वर्ष महालया भी 2 अक्तूबर 2024 को मनाई जाएगी। इसी दिन से मां दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन होता है और विजयादशमी के दिन दुर्गा पूजा का समापन होता है।

महालया क्या होता है

महालया दो शब्दों से मिलकर बना है। ये संस्कृत का शब्द है। महालया महा और आलया दो शब्दों से मिलकर बना है। महा का अर्थ होता है निवास और आलय का अर्थ देवी का स्थान है। जिसका अर्थ हुआ देवी का महान निवास। महालया के दिन ही मां देवी शिवलोक से धरती लोक पर आती हैं। ऐसी मान्यता है कि महालया के दिन पितरों की विदाई होती है और मां दुर्गा का आगमन होता है। शास्त्रों के अनुसार महालया के दिन ही मां अपने परिवार से विदा लेकर धरती पर आती हैं। इसी दिन मां की मूर्ति की आंख तैयार की जाती है। इस दिन मां दुर्गा की मूर्ति पूरी हो जाती है। इस दिन बंगाल में महालया सुना जाता है। जिसमें देवी के गीत और रवीन्द्रनाथ संगीत गाया जाता है।

महालया महत्व (Mahalaya Importance)

हिंदू धर्म में महालया का बहुत ही खास महत्व है। महालया का पर्व बंगाल के लोगों के लिए बहुत ही खास होता है। ये ब्रह्म मुहूर्त में सुना जाता है। महालया के दिन से ही बंगाल में दुर्गा पूजा का उत्साह देखने को मिलता है। महालया के दिन ब्रह्माण भोजन और दान किये जाते हैं। इस दिन अपने सारे पितरों का तर्पण किया जाता है। इस दिन पूर्वज का तर्पण करने से परिवार पर पितृ की कृपा हमेशा बनी रहती है। मां दुर्ग की उत्पति ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर ने राक्षस राजा महिषासुर को हराने के लिए किया था। तब से ही नवरात्रि के समय में मां दुर्गा की पूजा की जाती है।

End Of Feed