ऐसे ही कोई भी नहीं बन जाता महामंडलेश्वर, ममता कुलकर्णी को अपनी पहचान समेत इन चीजों का भी करना पड़ा त्याग

Mahamandaleshwar Kya Hota Hai: हाल ही में महाकुंभ के दौरान पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बना दिया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महामंडलेश्वर कौन होता है और ये पद पाने के लिए क्या कुछ करना पड़ता है। चलिए आपको इस बारे में विस्तार से यहां बताते हैं।

Mahamandaleshwar

Mahamandaleshwar Kya Hota Hai (Photo Credit- Instagram)

Mahamandaleshwar Kya Hota Hai: पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी अब किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन चुकी हैं। अब से वे श्री यमाई ममता नंद गिरि के नाम से जानी जाएंगी। 24 जनवरी 2025 को महाकुंभ मेले के दौरान ममता ने संगम के तट पर अपना पिंडदान किया। जिसके बाद उनका पट्टाभिषेक किया गया। बता दें ममता कुलकर्णी ने संन्यास की दीक्षा किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से ली है। इसी बीच इंटरनेट पर महामंडलेश्वर पद के बारे में काफी सर्च किया जा रहा है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर महामंडलेश्वर का मतलब क्या होता है?

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महामंडलेश्वर क्या होता है (What Is Mahamandaleshwar)

महामंडलेश्वर भारत के 13 मान्यता प्राप्त अखाड़ों के भीतर प्रदान की जाने वाली एक मुख्य उपाधि है। इन अखाड़ों में सर्वोच्च पद शंकराचार्य का होता है और महामंडलेश्वर की उपाधि इसके ठीक नीचे होती है। एक महामंडलेश्वर को अपनी पिछली पहचान छोड़कर अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा के लिए समर्पित करना होता है। यह उपाधि आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होती है।

महामंडलेश्वर पद की शर्तें (Mahamandaleshwar Kaun Ban Sakta Hai)

  • साधु संन्यास परंपरा से हो।
  • उसे वेद-पुराणों का ज्ञान हो।
  • किसी मान्यता प्राप्त अखाड़े से जुड़ा हो।
  • अखाड़ा कमेटी उसके निजी जीवन की पड़ताल से संतुष्ट हो।

महामंडलेश्वर बनने की प्रकिया (Mahamandaleshwar Kaise bante Hain)

महामंडलेश्वर का जब चयन हो जाता है तो उसके बाद उन्हें संत की दीक्षा दी जाती है। फिर संन्यास दिलाया जाता है जिसके लिए उन्हें खुद का पिंडदान करना होता है। जीवित रहते अपना पिंडदान करने का मतलब अपनी पिछली पहचान और पारिवारिक जीवन का त्याग कर देना है। इसके बाद से एक नया जीवन शुरू हो जाता है। संन्यास के बाद पट्टाभिषेक की तैयारी की जाती है। इस अनुष्ठान में महामंडलेश्वर बनने वाले व्यक्ति का पंचामृत (दूध, घी, शहद, दही और चीनी का मिश्रण) से अभिषेक कराया जाता है, जो उनके शुद्धिकरण और आध्यात्मिक पदानुक्रम में उनके उत्थान का प्रतीक माना जाता है। फिर अखाड़े की ओर से महामंडलेश्वर को चादर भेंट की जाती है। इस समारोह में सभी 13 अखाड़ों के साधु शामिल होकर नए महामंडलेश्वर को पट्टू प्रदान करते हैं। बता दें पट्टू एक प्रतीकात्मक वस्त्र है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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