Mahashivratri 2023: भूल से भी ना चढ़ाएं भोलेनाथ को इन फूलों सहित ये चीजें, उठाना पड़ सकता है नुकसान
Mahashivratri 2023: भगवान भाेलेनाथ एक ओर मात्र शुद्ध जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं वहीं कुछ वस्तुएं एवं पुष्प हैं जिन्हें अर्पित करने से भक्त को ग्रह दोष पीड़ा के साथ भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। महाशिवरात्रि पूजा में इन वस्तुओं के प्रयोग से बचने की सलाह विद्वान देते हैं।
महाशिवरात्रि पूजा के नियम
मुख्य बातें
- 16 प्रकार के पुष्प हैं शिव पूजा में वर्जित
- रोली−हल्दी, नारियल भी न करें अर्पित
- 18 फरवरी को है महाशिवरात्रि का पर्व
Mahashivratri 2023: पंचाक्षरी मंत्र और गंगाजल के अभिषेक से भगवान आशुतोष को प्रसन्न किया जा सकता है। फिर भी श्रद्धालु जो भी अपने भाेले को अर्पित करते हैं वो उसे स्वीकार करके अपने भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। 18 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश में मनाया जाएगा। विभिन्न शिवालयों पर भाेले के भक्तों की भीड़ उमड़ेगी तो बम भोले की गूंज से वातावरण उर्जित होगा। भक्त अपने आराध्य को मनाने के लिए विविध प्रयोग करेंगे। संबंधित खबरें
महाशिवरात्रि पर विशेष पूजन करते वक्त बहुत जरूरी है कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना। भगवान शिव की पूजा में कुछ वस्तुएं एवं पुष्प वर्जित बताए गए हैं। शिव पुराण के अनुसार 16 प्रकार के पुष्पों को भगवान शिव पर अर्पित नहीं करना चाहिए। इन पुष्पों को अर्पित करने से ग्रह दोष पीड़ा से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।संबंधित खबरें
महादेव को अर्पित न करें ये विशेष पुष्पसंबंधित खबरें
मात्र आक के पुष्प से प्रसन्न होने वाले भगवान भाेले नाथ को भूल से भी केतकी, सारहीन, केवड़ा, कदंब, शिरीष, कुंद, बकुल, कैथ, बहेड़ा, सेगल, जूही, मदंती, अनार, दोपहरिया, केष्ट, चंपा शिव आराधना में वर्जित पुष्प हैं। संबंधित खबरें
न अर्पित करें हल्दीसंबंधित खबरें
हल्दी का प्रयोग सौभाग्य का प्रतीक होता है। भगवान विष्णु को प्रिय हल्दी गृहस्थों के लिए उपयुक्त बतायी गयी है। वहीं वैरागी शिव की पूजा में हल्दी का प्रयोग निषेध बताया गया है। संबंधित खबरें
शंख और तुलसी
शंख और तुलसी भी भगवान विष्णु की पूजा में सर्वोपरी होते हैं लेकिन वहीं भगवान शिव की पूजा में शंख और तुलसी का प्रयोग वर्जित होता है। भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था, जिसे जलांधर नाम से भी जाना जाता है। वहीं तुलसी का विवाह भगवान विष्णु से होने के कारण भगवान शिव को वे स्वीकार्य नहीं हैं। संबंधित खबरें
नारियल
नारियण श्री यानी लक्ष्मी जी का प्रतिरूप माना गया है। लक्ष्मी जी भगवान शिव के आराध्य भगवान विष्णु की पत्नी हैं। तो इस प्रकार से नारियल या नारियल का पानी तक भी भगवान शिव को स्वीकार्य नहीं है।संबंधित खबरें
खंडित चावल
सिर्फ शिव आराधना में ही नहीं बल्कि किसी भी देव की आराधना या पूजा में खंडित चावल अर्पित करना वर्जित होता है। चावल को अक्षत भी कहते हैं। अक्षत यानी जिसकी क्षति न हो। इसलिए पूजन में साबुत बिना खंडित चावल ही अर्पित करने चाहिए। संबंधित खबरें
रोली या कुमकुम संबंधित खबरें
मान्यता के अनुसार कुमकुम को मां पार्वती ने सौभाग्य का प्रतीक होने का वरदान दिया था। इसी कारण वैरागी शिव को रोली या कुमकुम अर्पित नहीं की जाती है। संबंधित खबरें
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)संबंधित खबरें
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