महाशिवरात्रि पूजा के 4 सबसे शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, कथा सबकुछ जानें यहां
महाशिवरात्रि पूजा के 4 सबसे शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, कथा सबकुछ जानें यहां
महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। क्योंकि ये दिन शिव की अराधना का सबसे बड़ा दिन होता है। कहते हैं शिव और शक्ति के मिलन की इस पवित्र शिवरात्रि पर जो भी सच्चे मन से शिव भक्ति करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। साल 2023 की महाशिवरात्रि बेहद ही खास होने वाली है क्योंकि इस साल महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक साथ पड़ रहे हैं।
Maha Shivratri 2023 Vrat Katha in Hindi: Read Here
शिव पुराण में महाशिवरात्रि का महत्व: शिव महापुराण में कोटिरुद्र संहिता के मुताबिक महाशिवरात्रि व्रत बेहद खास होता है। इस व्रत को करने से भक्तों को भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। इस व्रत को चार संकल्पों के साथ करना चाहिए। यह संकल्प इस प्रकार हैं:
-महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना।
-रुद्र मंत्र का नियम अनुसार जाप।
-शिव मंदिर में पूजा करें और इस दिन व्रत रखें।
-काशी में देह त्याग करना।
Rudrabhishek Vidhi and Mantra in Hindi
शिवरात्रि पर कैसे करें पूजा? शिव पुराण के अनुसार इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करना चाहिए। इसके बाद माथे पर भस्म लगानी चाहिए। इसके बाद रुद्राक्ष की माला धारण करें और मंदिर जाएं। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करने का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए घर पर या मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध या जल जरूर अर्पित करें।
कैसे करें शिवलिंग का रुद्राभिषेक?
-शिवलिंग का अभिषेक करते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए।
-सबसे पहले गंगाजल शिवलिंग पर अर्पित करें। अभिषेक करते समय भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
-अभिषेक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र, रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र, रुद्र मंत्र का जाप कर सकते हैं।
-गंगाजल के बाद शिवलिंग पर गन्ने का रस, शहद, दूध, दही जैसी वस्तुएं चढ़ाएं।
-फिर शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं।
-इसके बाद आप शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि शिव की प्रिय चीजें चढ़ाएं।
Shiv Chalisa Lyrics in Hindi
इस खास ब्लॉग में आप जानेंगे महाशिवरात्रि से जुड़े हर अहम पहलू के बारे में। जैसे महादेव की पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, शिव पुराण में महाशिवरात्रि का महत्व, महाशिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष धारण करने के अनोखे फायदे, महाशिवरात्रि व्रत कथा, शिव आरती, शिव चालीसा, रुद्राभिषेक के नियम और फायदे सबकुछ।
शिव चालीसा Shiv Chalisa
॥ दोहा ॥जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
Maha Shivratri Vrat Paran Vidhi महा शिवरात्रि व्रत पारण विधि
व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए। लेकिन एक अन्य धारणा के अनुसार व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के बाद का बताया गया है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि शिव पूजा और पारण (व्रत का समापन) दोनों की चतुर्दशी तिथि अस्त होने से पहले ही कर लेना चाहिए।महाशिवरात्रि व्रत का पारण नियम अनुसार करना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर “ऊं नमो नम: शिवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करें फिर अगले दिन प्रात: काल स्नान करके शिव की पूजा करें और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
Mahashivratri Vrat Paran Muhurat 2023
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि 17 फरवरी की रात 8 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रही है, जो 19 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।शिवजी की आरती : ॐ जय शिव ओंकारा Shiv Aarti
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥
Maha Shivratri 2023- महामृत्युंजय मंत्र का महत्व
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का सबसे प्रिय मंत्र होता है और इसे भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली मंत्र माना जाता है महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति मृत्यु के भय से मुक्त होता है और जीवन में हर प्रकार के रोग से मुक्त हो जाता है इस मंत्र के जाप करने से व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती । शिव पुराण के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र के जाप से व्यक्ति को संसार के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।Maha Shivratri 2023- महाशिवरात्रि व्रत कथा
एक बार चित्रभानु नामक एक शिकारी था। जो पशुओं की हत्या करके अपना परिवार चलाता था। वो शिकारी एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन ऋण समय पर न चुका सकने पर क्रोधित साहूकार ने उसको शिवमठ में बंदी बना लिया था। लेकिन संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी। बंदी शिकारी मठ में शिव से जुड़ी धार्मिक बातें सुनता रहा, वहीं उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी। शाम होने पर साहूकार ने शिकारी बुलाया और ऋण चुकाने के लिए पूछा तो शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटाने का वचन देकर वहां से चला गया। शिकारी जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी रहने के कारण वो भूख-प्यास से व्याकुल हो उठा।Maha Shivratri 2023- महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए
साबूदाना: साबूदाना पोषण से भरपूर होता है ।व्रत में साबूदाना की खिचड़ी, खीर , साबूदाना वड़ा बनाकर खा सकते हैं। यह आपको सारा दिन एनर्जी देगा। साबूदाना में प्रोटीन , फाइबर , कार्ब्स होता है ।फ्रूट चाट: व्रत में आप रंग बिरंगे फलों से बनी फ्रूट चाट खा सकते हैं। यह शरीर में फाइबर की कमी नहीं होने देगी तथा व्रत में लंबे समय तक पेट भरा रहेगा । सेब, संतरा, अंगूर, अमरूद, बेर, केला, अनार, चीकू से चाट बनाकर खा सकते हैं।कुट्टू का आटा: शिवरात्रि के व्रत में कुट्टू का आटा खाया जाता है। यह सात्विक भोजन होता है । कुट्टू के आटे से बना हलवा ,पूरी या पकोड़े बनाकर खा सकते हैं।Maha Shivratri 2023- महाशिवरात्रि पर ऐसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप
1. प्रातः काल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें ।2. व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव की आराधना करें।3. मंदिर में जाकर शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा और दूध से रुद्राभिषेक करें।4. घी का दिया जलाकर शिवजी की आरती करें ।5. रुद्राक्ष की माला लेकर 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।Maha Shivratri 2023- महाशिवरात्रि में निशिता काल पूजा मुहूर्त (19 फरवरी 2023)
महाशिवरात्रि में निशिता काल पूजा मुहूर्त (19 फरवरी 2023)महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा के लिए यही मुहूर्त सबसे शुभ माना जाता है। इसका समय 12:18 AM से 01:10 AM तक रहेगा।महाशिवरात्रि का महत्व (Maha Shivratri Significance)
महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के पवित्र मिलन का प्रतीक है। इस दिन भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं। शिवरात्रि पर्व में रात्रि के चार पहर में पूजा होती है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात रहस्यमय और महान होती है। इसलिए महाशिवरात्रि की रात में सोना नहीं चाहिए। शिवरात्रि को रात में जागने से शक्ति का संचार होता है ।महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ (Mahamrityunjay Mantra Meaning In Hindi)
हम त्रिनेत्र भगवान की पूजा करते हैं, जो बेहद सुगन्धित हैं और जो हमारा पोषण करते हैं । हे महादेव जैसे फल शाखा के बन्धन से मुक्त हो जाता है उसी प्रकार हम भी मृत्यु और नश्वरता के भय से मुक्त हो जाए।Maha Shivratri 2023- महाशिवरात्रि पर ऐसे धारण करें रुद्राक्ष
महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन है ।इस दिन विधि विधान से शिवजी भगवान की पूजा करनी चाहिए और रूद्राक्ष धारण करना चाहिए। समान्य दिनों के मुकाबले शिवरात्रि पर रूद्राक्ष धारण करने से विशेष फल मिलता है। शिवरात्रि पर इस प्रकार से रुद्राक्ष धारण करें।Maha Shivratri 2023- रुद्राक्ष धारण करने के फायदे
रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। जो भी व्यक्ति नियम से रुद्राक्ष पहनता है उसके जीवन में कभी भी कोई कष्ट नहीं आता। रुद्राक्ष धारण करने से शत्रु, रोग, मृत्य, बुरी आत्माओं का भय नहीं रहता। रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति सदा शिव का प्रिय होता है। गले या बाजू में रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति की सारी मनोकामना पूर्ण होती है।Shri Rudrashtakam Lyrics: श्री शिव रुद्राष्टकम
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।
इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
Maha Shivratri 2023- महादेव का प्रसाद है रूद्राक्ष
रूद्राक्ष को महादेव का प्रसाद माना जाता है। इसकी उत्पत्ति भगवान शिव के आसुओं से हुई है। मान्यता अनुसार जब भगवान शिव योग निद्रा में चले गए थे तब ऋषि मुनियों ने उनकी स्तुति की थी । भगवान शिव की आंख खुलते ही उनके नेत्र से कुछ आंसू पृथ्वी पर जा गिरे थे जो रुद्राक्ष के पौधे के रूप में विकसित हुए । रुद्राक्ष के पौधे से रुद्राक्ष निकलता है। रुद्राक्ष भगवान शंकर को बहुत प्रिय होता है। जो भी इसे धारण करता है भगवान शिव की कृपा से उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है ।Maha Shivratri Char Prahar Puja Muhurat: महाशिवरात्रि चार प्रहर पूजा मुहूर्त
महाशिवरात्रि पूजा पहला प्रहर (Maha Shivratri Muhurat)
महाशिवरात्रि के पहले पहर की पूजा का मुहूर्त 18 फरवरी की शाम 06:18 से रात 09:31 तक रहेगा।Can We Have Coffee Or Tea On Maha Shivratri Fast: क्या महाशिवरात्रि व्रत में चाय या कॉफी पी सकते हैं?
महाशिवरात्रि व्रत में चाय पी भी सकते हैं और कॉफी भी। बस खाने-पीने में साफ-सफाई का ध्यान रखेंHappy Mahashivratri 2023-श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वरायनित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नम: शिवाय:॥मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वरायमंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै म काराय नम: शिवाय:॥शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकायश्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।महाशिवरात्रि की रात को जागने के फायदे
महाशिवरात्रि की रात बहुत खास होती है। शिव भक्त इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह रात भगवान शिव की आराधना करने के लिए बहुत अच्छी होती है। महाशिवरात्रि की रात साधना और ध्यान करना चाहिए।महाशिवरात्रि की रात को सोना नहीं चाहिए बल्कि रात को शिव और पार्वती का ध्यान करना चाहिए। इससे शक्ति का संचार होता है।महाशिवरात्रि की रात्रि ऊर्जा और ज्ञान से भरपुर होती है। महाशिवरात्रि की रात मानव तंत्र के भीतर ऊर्जाओं का एक स्वाभाविक उभार होता है।Happy Mahashivratri 2023 Photos: हैप्पी महाशिवरात्रि फोटोज
Happy Mahashivratri Wishes In Hindi: हैप्पी महाशिवरात्रि 2023
शिव और शक्ति के प्रेम का प्रतीक, महाशिवरात्रि पर्व 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं।Happy Mahashivratri 2023 Photos: हैप्पी महाशिवरात्रि फोटोज
महाशिवरात्रि व्रत पारण समय (19 फरवरी 2023)
19 फरवरी को सुबह 07:10 AM से दोपहर 03:32 PM तक के बीच कभी भी व्रत खोला जा सकता है।Happy Mahashivratri Wishes
Maha Shivratri 2023: सर्वाधिक लोकप्रिय शिव मंत्र - पंचाक्षरी शिव मंत्र
“ॐ नमः शिवाय”Happy Maha Shivratri 2023
Maha Shivratri 2023: महाशिवरात्रि की पौराणिक मान्यता
महाशिवरात्रि का उत्सव फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव एक अग्निलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु व ब्रह्माजी द्वारा की गई थी। देश में कई जगह इस पर्व को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इसी कारण कई जगह महाशिवरात्रि की रात में भगवान शिव की बारात भी निकाली जाती है।Maha Shivratri 2023: महाशिवरात्रि में पूजा सामग्री
भगवान शिव की और माता पार्वती की मूर्ति, बेलपत्र, भांग, धतूरा, गाय का कच्चा दूध, चंदन, शहद, शक्कर, पांच प्रकार के मौसमी फल, गंगा जल, जनेऊ, वस्त्र, इत्र, कनेर पुष्प, फूलों की माला, रोली, कपूर, केसर, दही, घी, मौली, अक्षत (चावल), खस, शमी का पत्र, लौंग, सुपारी, पान, रत्न, आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, धूप, शुद्ध जल, कलश इत्यादि।महाशिवरात्रि 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त । Maha Shivratri 2023 Shubh Muhurat
महाशिवरात्रि कब है18 फरवरी 2023चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ18 फरवरी 08:02 PM
चतुर्दशी तिथि का अंत19 फरवरी 04:18 PM
पहले पहर पूजा समय (18 फरवरी)06:18 PM से 09:31 PM
दूसरे पहर पूजा समय (18 से 19 फरवरी)09:31 PM से 12:44 AM
तीसरे पहर पूजा समय (19 फरवरी)12:44 AM से 03:57 AM
चौथे पहर पूजा समय (19 फरवरी)03:57 AM से 07:10 AM
पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त (19 फरवरी)12:18 AM से 01:10 AM
व्रत पारण समय (19 फरवरी)07:10 AM से 03:32 PM
महाशिवरात्रि में पूजा सामग्री | Mahashivratri Puja Samagri
भगवान शिव की और माता पार्वती की मूर्ति, बेलपत्र, भांग, धतूरा, गाय का कच्चा दूध, चंदन, शहद, शक्कर, पांच प्रकार के मौसमी फल, गंगा जल, जनेऊ, वस्त्र, इत्र, कनेर पुष्प, फूलों की माला, रोली, कपूर, केसर, दही, घी, मौली, अक्षत (चावल), खस, शमी का पत्र, लौंग, सुपारी, पान, रत्न, आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, धूप, शुद्ध जल, कलश इत्यादि।Shiv Lingashtakam Stotram: शिव लिंगाष्टकम स्तोत्र
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥
देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥
सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥
कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।
दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥
कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥
देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥
अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।
अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥
सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।
परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥
लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक समय (Rudraabhishek Time On Maha Shivratri)
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय: महाशिवरात्रि के पहले पहर की पूजा का मुहूर्त 18 फरवरी की शाम 06:18 से रात 09:31 तक रहेगा।रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय: महाशिवरात्रि के दूसरे पहर की पूजा का मुहूर्त 18 फरवरी की रात 09:31 बजे से 12:44 AM (19 फरवरी) तक रहेगा।
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय (19 फरवरी 2023): महाशिवरात्रि के तीसरे पहर की पूजा का मुहूर्त 19 फरवरी 12:44 AM से 03:57 AM तक रहेगा।
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय (19 फरवरी 2023): महाशिवरात्रि के चौथे पहर की पूजा का शुभ मुहूर्त 19 फरवरी 03:57 AM से 07:10 AM तक रहेगा।
महाशिवरात्रि में निशिता काल पूजा मुहूर्त (19 फरवरी 2023)
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा के लिए यही मुहूर्त सबसे शुभ माना जाता है। इसका समय 12:18 AM से 01:10 AM तक रहेगा।
महाशिवरात्रि व्रत पारण समय (19 फरवरी 2023): 19 फरवरी को सुबह 07:10 AM से दोपहर 03:32 PM तक के बीच कभी भी व्रत खोला जा सकता है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥ एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
Maha Shivratri Rangoli: महाशिवरात्रि पर ऐसे बना सकते हैं रंगोली
Happy Maha Shivratri 2023 Wishes: महाशिवरात्रि के बधाई संदेश
शिव की महिमा है अपरम्पार,करते हैं शिव सबका उद्धार।
उनकी कृपा आप पर सदा बनी रहे
आपको और आपके परिवार को
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
महाशिवरात्रि पर 30 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग
महाशिवरात्रि पर 30 साल बाद बड़ा ही दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस साल महाशिवरात्रि पर न्याय देव शनि कुंभ राशि में विराजमान हैं। इसके अलावा सुखों के प्रदाता शुक्र अपनी उच्च राशि में विराजमान हैं और प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है।भगवान शिव और रुद्राक्ष का संबंध (Relation of Lord Shiva and Rudraksha)
महाशिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष को धारण करना सबसे अधिक फलदायी बताया गया है। शिव महापुराण में 14 प्रकार के रुद्राक्षों का वर्णन, लाभ और धारण करने के विधान मौजूद हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र की बात करें तो, रुद्राक्ष को शुभ तिथि और समय पर राशि अनुसार धारण करना चाहिए। इसके प्रभाव मंगलकारी होते हैं। इस तिथि पर रुद्राक्ष धारण करने से भक्तों को महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। रुद्राक्ष कैसे धारण किया जाता है जानने के लिए यहां क्लिक करेंऐसे करें शिव चालीसा की शुरुआत
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥Mahashivratri 2023: रुद्राभिषेक की सही विधि
शिवलिंग का अभिषेक करते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। सबसे पहले गंगाजल शिवलिंग पर अर्पित करें। इस दौरान भोलेनाथ के मंत्रों का जप करें। तथा महामृत्युंजय मंत्र, रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र, रुद्र मंत्र का जाप कर सकते हैं।Lohri 2025 Date: अगले साल लोहड़ी कब है 13 या 14 जनवरी? जानिए इस पर्व की सही तारीख
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