Maha Shivratri 2024: तो इसलिए भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने शीश पर किया धारण, जानिए क्या कहता है शिवपुराण
Happy Maha Shivratri: महाशिवरात्रि का पर्व आने वाला है। इस साल की महाशिवरात्रि 8 मार्च को पड़ रही है। भगवान शंकर के मंदिरों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। भक्त भी शिव के रंग में रंगने लगे हैं।
Maha Shivratri 2024: जानिए आखिर भगवान शिव के माथे पर कैसे विराजमान हुए चंद्रमा
Maha Shivratri 2024 Date: महाशिवरात्रि का पर्व आने वाला है। इस साल की महाशिवरात्रि 8 मार्च को पड़ रही है। भगवान शंकर के मंदिरों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। भक्त भी शिव के रंग में रंगने लगे हैं। महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) के पावन पर्व के माहौल में हम आपको भोलेनाथ से जुड़ी तमाम रोचक मान्यताएं और पौराणिक कहानियां बता रहे हैं। इस कड़ी में आज जानिए कि आखिर क्यों भगवान शंकर ने अपने माथे पर चंद्रमा को ग्रहण किया था।
शिवपुराण में है जिक्र
शिवपुराण के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान शंकर ने विषपान किया तो उनका शरीर और मस्तिष्क जरूरत से ज्यादा तपने। भोलेनाथ की ऐसी हालत देख सारे देवी देवता घबरा गए। देवताओं ने भगवान शंकर से प्रार्थना की कि वह कृपा कर के चंद्रमा को अपने माथे पर ग्रहण कर ले। इससे पूरे शरीर में शीतलता आएगी। देवताओं के आग्रह पर शिवजी ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया।
चंद्रमा को दिलाई श्राप से मुक्ति
शिव जी के माथे पर चंद्रमा धारण करने को लेकर एक और पौराणिक मान्यता है। इसके अनुसार चंद्रमा की शादी 27 नक्षत्रों से हुई है। इन सब में रोहिणी उनके सबसे करीब थीं। रोहिणी से चंद्रमा की अधिक नजदीकी से उनकी बाकी पत्नियों ने अपने पिता प्रजापति दक्ष से इसकी शिकायत की।
बेटियों की पीड़ा सुन दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दिया कि वह क्षय रोग से ग्रसित हो जाएंगे। इस श्राप के कारण चंद्रमा की कलाएं धीरे-धीरे क्षीण होती गईं। नारद मुनि ने चंद्रमा को परेशान देख उन्हें भगवान शंकर की तपस्या करने का सुझाव दिया। चंद्रमा ने अपनी भक्ति और घोर तपस्या से शिवजी को जल्द प्रसन्न कर लिया। पूर्णिमा की रात भगवान शिव प्रकट हुए। चंद्रमा ने अनुरोध किया कि वह उन्हें अपने माथे पर धारण कर लें, इससे उन्हें श्राप से मुक्ति मिलेगी। तब चंद्रमा के अनुरोध करने पर शिवजी ने उन्हें अपने शीश पर धारण किया।
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