आखिर क्या होता है शिवलिंग का वास्तविक अर्थ और क्या है महाशिवरात्रि का महत्व?

Mahashivratri 2024: महादेव के भक्तों का महापर्व महाशिवरात्रि आज देशभर में मनाया जा रहा है। मंदिरों में भक्तों की कतारें नजर आ रही हैं।

Mahashivratri 2024

आखिर क्या होता है शिवलिंग का वास्तविक अर्थ और क्या है महाशिवरात्रि का महत्व? कमलेश कमल कहते हैं कि सनातन संस्कृति में प्रतीकों का अत्यधिक महत्त्व है। सूर्य की किरणों में 7 रंग (VIBGYOR) सन्निहित हैं। इसे समझने के लिए अनुसंधित्सु ऋषियों ने कहा कि सूरज 7 घोड़ों वाले रथ में बैठकर आता है। ठीक इसी तरह हमें सनातन संस्कृति को समझने के लिए सम्यक् रूप से प्रतीकों को समझना होगा, अन्यथा हम अर्थ का अनर्थ निकालते रहेंगे। उदाहरण के लिए, शिवालय (शिव के घर) में शिवलिंग (शिव की पहचान) पर जल, बेलपत्र आदि चढ़ाते समय हमें इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है कि शिवलिंग क्या है और हम यह क्या कर रहे हैं?

क्या है शिवलिंग

संस्कृत में शिव का अर्थ शुभ या कल्याणकारी है और लिंग शब्द का अर्थ है– पहचान। स्त्रीलिंग कहने से स्त्री की पहचान होती है, क्योंकि उसमें स्त्रियोचित लक्षण होते हैं। पुंलिङ्ग कहने से पुरुष की पहचान होती है,क्योंकि उसमें पुरुषोचित लक्षण पाए जाते हैं। उभयलिंग कहने से ही पता चल जाता है कि उसमें स्त्री और पुरुष दोनों के लक्षण होंगे। इसी तरह, शिवलिंग शिव की पहचान है अथवा इसमें कल्याणकारी लक्षण हैं। अब, कुछ मूढमति लोगों ने इसे ऐसे समझा कि परमब्रह्म शिव निराकार नहीं, कोई साकार व्यक्ति हैं और लिंग उनकी जननेन्द्रिय है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है।

वस्तुत:, पुरातन काल से चले आ रहे शब्द (अभिधान) व्युत्पत्तिगत रूप में अपने अर्थ (अभिधेय) को ही व्यंजित करते प्रतीत होते हैं अथवा कम-से-कम ये व्यवहारार्थ कल्पित होते हैं। अस्तु, जब बात गूढ धार्मिक मान्यताओं और प्रतीकों की हो; तो स्थूल आंखों से देखना पर्याप्त नहीं, वहां तो ज्ञान की आंखें चाहिए।

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