Mahashivratri Ki Aarti, Om Jai Shiv Omkara: ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा, ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा

Mahashivratri Ki Aarti, ShivJi Ki Aarti, Om Jai Shiv Omkara: शिवजी की आरती- ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा, ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा, ॐ जय शिव ओंकारा...॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥

Shiv aarti

Shivji Ki Aarti, Mahashivratri Aarti In Hindi

ShivJi Ki Aarti, Om Jai Shiv Omkara: शिवजी की आरती भगवान शिव की स्तुति है। जिसके जरिए श्रद्धालु महादेव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। इस आरती से भगवान शिव (Bhagwan Shiv Ki Aarti) ही नहीं बल्कि भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी की भी अराधना की जाती है। वास्तव में ये आरती त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) की एकरूप स्तुति है (Shiv Stuti)। इसलिए ही हिंदू धर्म में शिव आरती को बेहद महत्वपूर्ण और फलदायी माना जाता है। इस आरती में यह बताया गया है कि ॐ में तीनों भगवान का रूप एक ही है। यहां देखें भगवान शिव की आरती के लिरिक्स (Mahadev Ki Aarti)।

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भगवान शिव की पूजा बिना उनकी आरती के अधूरी मानी जाती है (Bholenath Ki Aarti)। इसलिए ही भोलेनाथ की पूजा के बाद उनकी आरती का गान जरूर किया जाता है। वैसे तो आप कभी भी इस आरती को कर सकते हैं। लेकिन शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, सोमवार, सावन और महाशिवरात्रि के दिन तो जरूर ही इस आरती को करना चाहिए।

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी। चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

जय शिव ओंकारा...॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥

शिव जी की आरती कैसे करें

हिंदू धर्म में सुबह-शाम दो बार आरती की जाती है। अगर आप रोजाना शिव जी की आरती करते हैं तो आरती करने से पहले घी या तेल का दीपक जरूर जला लें। अगर संभव हो तो शिव की आरती कपूर से करें। क्योंकि कपूर से आरती करना बेहद शुभ माना जाता है।

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