Mahavir Jayanti 2025: इन 5 सिद्धातों पर टिका था भगवान महावीर का जीवन, इनमें से एक भी अपना लिया तो बदल जाएगा जीवन
Mahavir Jayanti 2025: जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर को महावीर स्वामी के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 599 ईसा पूर्व में बिहार के वैशाली में हुआ था। उन्होंने अहिंसा के 5 ऐसे सूत्र बताए थे जिन्हें अपनाकर जीवन में खुशियां लाई जा सकती हैं।

Mahavir Jayanti 2025
Mahavir Jayanti 2025: 10 अप्रैल 2025 को महावीर जयंती मनाई जाएगी। पंचांग अनुसार ये जयंती हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। कहते हैं इसी दिन जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था। इसलिए ये दिन जैन समुदाय के लोगों के लिए काफी खास होता है। महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसवीं पूर्व बिहार में महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर हुआ था। उनके बचपन का नाम वर्धमान था। उन्होंने ही अहिंसा परमो धर्म: का संदेश दुनिया भर में फैलाया था। चलिए महावीर जयंती के शुभ अवसर पर जानते हैं भगवान महावीर के अहिंसा के 5 सूत्र।
महावीर स्वामी के 5 सिद्धांत (Mahavir Swami 5 Principles)
भगवान महावीर ने जैन धर्म के लिए 5 सिद्धांत दिए जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं। ये 5 सिद्धांत जैन धर्म के आधार माने जाते हैं। ये पांच सिद्धांत हैं अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।
पहला सिद्धांत है अहिंसा- इस सिद्धांत में भगवान महावीर ने जैन समुदाय के लोगों को हर परिस्थिति में हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया है। उन्होंने अहिंसा पर कहा है कि इस लोक में जितने भी जीव है उनकी हिंसा मत करो। उनके प्रति अपने मन में दया का भाव रखो।
दूसरा सिद्धांत हैं सत्य- महावीर स्वामी ने सत्य पर कहा है- हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है। यही कारण है कि महावीर स्वामी जी ने अपने जीवन काल में लोगों को हमेशा सत्य बोलने के लिए ही प्रेरित किया।
तीसरा सिद्धांत है अस्तेय- महावीर स्वामी जी का कहना था कि अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में हमेशा संयम से रहते हैं। ये लोग सिर्फ उसी वस्तु को लेते हैं जो उन्हे दी जाती है। महावीर स्वामी जी के अनुसार अगर किसी के दिए बिना कोई वस्तु ग्रहण किया जाए तो वह चोरी है।
चौथा सिद्धांत है ब्रह्मचर्य- ब्रह्मचर्य का अर्थ है अपनी आत्मा में लीन हो जाना या सरल शब्दों में कहें तो अपने अंदर छिपे ब्रह्म को पहचानना ही ब्रह्मचर्य है। महावीर स्वामी जी के अनुसार ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है। जो पुरुष स्त्रियों से संबंध नहीं रखते, वे मोक्ष के मार्ग की ओर बढ़ते हैं।
पांचवां सिद्धांत है अपरिग्रह- महावीर स्वामी जी की पांचवी शिक्षा सभी पिछले सिद्धांतों को जोड़ती है। माना जाता है कि अपरिग्रह का पालन करने से जैनों की चेतना जागती है और वह सांसारिक वस्तुओं का त्याग कर देते हैं।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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