Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर काले तिल का दान, सुधार देता है आपके इस ग्रह की दशा
Makar Sankranti 2023: सूर्य और शनिदेव का है पिता पुत्र का संबंध। पुत्र शनिदेव ने श्राप देकर अपने पिता को कर दिया था कुष्ठ रोगी। वहीं सूर्य देव के श्राप से शनिदेव का घर हो गया था जलकर खाक। क्षमा दान देने पहुंचे सूर्य देव का घर में बचे काले तिल से किया था शनिदेव ने पूजन। मकर संक्रांति पर तिल से सूर्य देव का पूजन देता है शनि की कृपा दृष्टि।
शनिदेव की कृपा के लिए मकर संक्रांति पर काले तिल का दान।
इसमें काली उड़द की दाल भी शामिल की जाती है। मान्यता के अनुसार सूर्य देव उत्तरायण होकर अपने पुत्र शनि देव से भेंट करने जाते हैं। इसलिए शनिदेव की प्रसन्नता के लिए काले तिल और काली उड़द का दान किया जाता है। ऐसा करने से सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है।
ये है शनि देव और सूर्य देव की पौराणिक कथा
सूर्य देव को शनिदेव का पिता पौराणिक कथा में बताया गया है। शनिदेव सूर्य की दूसरी पत्नी छाया के पुत्र हैं। शनिदेव क्योंकि जन्म से ही बहुत ही काले थे। गौरवर्ण के सूर्य देव अपने इस पुत्र से दूर बनाकर रखते थे। जिस कारण शनिदेव अपने व अपनी माता से पिता की दूरी के कारण नाराज और क्रोध में रहते थे। अपने पिता के व्यवहार से एक बार नाराज होकर शनिदेव ने सूर्य देव को कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया। अपने पिता की ऐसी दुर्दशा देखकर सूर्य के दूसरे पुत्र यमराज ने कठोर तपस्या की। जिससे सूर्य देव को कुष्ठ रोग के श्राप से मुक्ति मिल गयी। लेकिन अपने पुत्र की इस हरकत से सूर्य देव और क्रोधित हो गए और अपने क्रोध से शनिदेव का घर जला दिया। तब यमराज ने मध्यस्थता कर अपने भ्राता और पिता के बीच सुलह करवायी।
जिसके बाद सूर्य देव ने अपने पुत्र शनिदेव का क्षमा प्रदान की और मकर संक्रांति पर अपने पुत्र के घर गए। घर में जाकर देखा तो वहां सबकुछ जलकर खाक हो चुका था, सिर्फ काले तिल ही सही बचे थे। शनिदेव ने तब उन्हीं काले तिल से अपने पिता का पूजन किया। सूर्यदेव ने अपने पुत्र से प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया कि जो भी मकर संक्रांति पर काले तिल से मेरा पूजन करेगा उस पर शनि की कृपा रहेगी।
काले तिल के सेवन से लाभ
काले तिल में भरपूर जिंक, आयरन होता है। सर्दियों में मंद पड़ी जठाराग्नि तिल के सेवन से सुचारू हो जाती है। शरीर को ताकत मिलती है।
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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