Makar Sankranti 2024 Date: मकर संक्रांति 2024 में कब है, जानिए ये त्योहार क्यों मनाया जाता है
Makar Sankrati 2024 Date And Time: सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहा जाता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए ये त्योहार खास महत्व रखता है। जानिए 2024 में मकर संक्रांति (खिचड़ी) कब मनाई जाएगी।
Makar Sankranti 2024 Date
Makar Sankrati 2024 Date And Time In Hindi (मकर संक्रांति तारीख और समय): मकर संक्रांति में मकर शब्द का अर्थ मकर राशि से है तो संक्रांति का अर्थ संक्रमण यानी प्रवेश करना होता है। जब सूर्य देव किसी राशि में प्रवेश करते हैं तब संक्रांति मनाई जाती है तो वहीं जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो उस दिन मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है (2024 Makar sankranti Color)। दक्षिण भारत में संक्रांति पर्व पोंगल (Pongal 2024) के रूप में मनाया जाता है। तो वहीं पंजाब और जम्मू में ये पर्व लोहड़ी (Lohri 2024 Date) के रूप में मनाते हैं। जबकि यूपी और बिहार में इसे खिचड़ी (Khichdi 2024 Date) पर्व के नाम से जाना जाता है। जानिए मकर संक्रांति 2024 में कब मनाई जाएगी और क्या है इसका महत्व।
मकर संक्रांति 2024 तारीख और समय (Makar Sankranti 2024 Date And Time)
इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में 02:54 AM पर प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति का पुण्य काल समय 07:15 AM से 05:46 PM तक रहेगा। वहीं मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल 07:15 AM से 09:00 AM तक रहेगा।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है वैज्ञानिक कारण (Why Makar Sankranti is Celebrated in India)
मकर संक्रांति नई फसल और नई ऋतु के आमगन की खुशी में मनाई जाती है। दरअसल पंजाब, यूपी, बिहार समेत तमिलनाडु में यह समय नई फसल की कटाई का होता है इसलिए ही किसान वर्ग के लोग मकर संक्रांति को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन किसान लोग ईश्वर से फसलों के अधिक उत्पादन के लिए प्रार्थना करते हैं। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में मकर संक्रांति को 'लोहड़ी', तमिलनाडु में 'पोंगल' जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे 'खिचड़ी' के नाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर कहीं खिचड़ी तो कहीं दही चूड़ा और तिल के लड्डू बनाये जाते हैं।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है धार्मिक कारण (Makar Sankranti Kyon Manae Jaati Hai)
भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही नजरिये से मकर संक्रांति का बड़ा ही महत्व माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन का प्रतीक माना जाता है। वहीं मकर संक्रांति से जुड़ी एक अन्य कथा के अनुसार ययह पर्व असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार किया था।
मकर संक्रांति का अर्थ (Makar Sankranti Meaning)
मकर शब्द ‘मकर राशि’ के बारे में बताता है और संक्रांति का मतलब ‘प्रवेश’ करना होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। बता दें मकर शनि की राशि है। लिहाजा सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना पिता-पुत्र के अनोखे मिलन को दर्शाता है। इस दिन स्नान, सूर्य उपासना, दान-दक्षिणा का खास महत्व होता है। इस खास अवसर पर पवित्र नदियों और गंगा सागर में मेला लगता है।
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