Rashi Parivartan in Malmas: 16 को कर रहे हैं सूर्य देव राशि का परिवर्तन, धनु राशि में प्रवेश के कारण बिल्कुल भी न करें ये
बैंड, बाजा और बरात के सीजन पर बस एक दिन बाद ब्रेक लगने जा रहा है। 16 दिसंबर,2022 से 14 जनवरी,2023 तक प्रत्येक वर्ष होता है मलमास। मलमास को शुभ कार्यों या संस्कारों के लिए माना जाता है अशुभ। मलमास वर्ष में दो बार आता है । 14 मार्च से 13 अप्रैल तक के समय में भी सूर्य देव करते हैं धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश।
16 दिसंबर से शुरू हो रहा है मलमास
मुख्य बातें
- 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है मलमास, न करें मलमास में विवाह या अन्य कार्य
- शुक्रवार को सूर्य देव करेंगे धनु राशि में प्रवेश
- 14 जनवरी,2023 तक प्रत्येक वर्ष होता है मलमास
Rashi Parivartan in Malmas 2022: बैंड, बाजा और बरात के सीजन पर बस एक दिन बाद ब्रेक लगने जा रहा है। मांगलिक संगीत एक माह तक नहीं बजेगा। इसके अलावा अन्य संस्कार भी 14 जनवरी तक के लिए बैन हो जाएंगे। इन सभी के पीछे कारण है कि 16 दिसंबर से खरमास यानी मलमास आरंभ होना। ज्योतिषाचार्य डॉ. शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार प्रत्येक वर्ष 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक सूर्य के धनु राशि में परिभ्रमण से खरमास या मलमास होता है। सूर्य जब गुरु की धनु या मीन राशि में होते हैं तो ये दोनाें राशियां उनकी मलिन राशियां मानी जाती हैं। वर्ष में दो बार सूर्य गुरु की राशियों के संपर्क में आते हैं। प्रथम 16 दिसंबर से 15 जनवरी तथा 14 मार्च से 13 अप्रैल तक। शास्त्रों के अनुसार सूर्य का गुरु में परिभ्रमण श्रेष्ठ नहीं माना जाता है क्योंकि गुरु में सूर्य कमजोर स्थिति में माना जाता है।
मंद पड़ जाएगी सूर्य देव की आभा
माना जाता है कि इस मास में सूर्य देव की आभा मंद पड़ जाती है। जिसके कारण इस माह सर्दी भी अधिक बढ़ जाती है। सूर्य देव की आभा कम होने के पीछे मान्यता है कि सूर्य देव ने इस माह अपना रथ घोड़ाें की जगह गधाें से जाेता था। क्योंकि परिक्रमा करते हुए सूर्य देव के रथ के घाेड़ों को प्यास लगी थी। सूर्य देव अपनी परिक्रमा रोक नहीं सकते थे इसलिए उन्होंने अपने घोड़ाें को पानी पीने दिया लेकिन अपने रथ को गधाें से बांध दिया। गधे क्योंकि दौड़ने में घाेड़ाें जैसे नहीं थे और उनकी चाल भी कम थी इसी कारण इस पूरे माह सूर्य देव भी मंद गति से परिक्रमा करते रहे। इसी वजह के कारण सूर्य की आभा या तेज इस माह कम रहता है।
लगेगा एक माह तक इन संस्कारों पर ब्रेक
खरमास में सनातन धर्म के अनुयायी विवाह संस्कार, उपनयन संस्कार, मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, कुआं पूजन जैसे शुभ कार्य नहीं करते हैं। मान्यता है यदि ये संस्कार इस माह संपन्न हुए तो वो सफल नहीं होते, मानसिक और आर्थिक पीड़ा होती है। यहां तक कि इस माह में संत महात्मा मृत्यु न आए ये प्रार्थना भी करते हैं, क्योंकि इस माह जिनकी मृत्यु होती है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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