Mangal Pradosh Vrat Katha, Puja Time 2024: मंगलवार प्रदोष व्रत कथा और पूजा का शुभ मुहूर्त यहां देखें

Mangal Pradosh Vrat Katha (भौम प्रदोष व्रत कथा): जो प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन आता है वो मंगल प्रदोष व्रत या भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। जानिए मंगल प्रदोष व्रत की कथा।

Mangal Pradosh Vrat Katha

Mangal Pradosh Vrat Katha In Hindi

Mangal Pradosh Vrat Katha (भौम प्रदोष व्रत कथा): 15 अक्टूबर 2024 को मंगल प्रदोष व्रत पड़ा है। जिसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग अनुसार प्रदोष व्रत की शुरुआत 15 अक्टूबर की सुबह 3 बजकर 42 मिनट से हो गई है और इसकी समाप्ति देर रात 12 बजकर 19 मिनट पर होगी। जबकि भौम प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 38 मिनट से रात 8 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। यहां जानिए मंगल प्रदोष व्रत की कथा।

Karva Chauth 2024 Date

Mangal Pradosh Vrat Katha (भौम प्रदोष व्रत कथा)

मंगल प्रदोष व्रत की कथा अनुसार एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। जिसका एक ही पुत्र था। वृद्धा हनुमानजी की बड़ी भक्त थी। वह हर मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखा करती थी। एक दिन हनुमानजी ने उस वृद्ध महिला की श्रद्धा का परीक्षण लेने का सोचा। तब हनुमान जी साधु का वेश लेकर वृद्धा के घर आए और उसे पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त! जो हमारी इच्छा पूरी कर सके?

आवाज सुनकर वृद्धा जल्दी से बाहर आई और साधु को प्रणाम कर बोली- आज्ञा महाराज! साधु का रूप लिए हनुमान जी बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तुम थोड़ी सी जमीन लीप दो। वृद्धा दुविधा में पड़ गई और हाथ जोड़कर बोली- महाराज! आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं वो अवश्य पूर्ण करूंगी। साधु रूपी हनुमान जी ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। यह सुनकर वृद्धा को बेहद दुख हुआ, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को साधु को सौंप दिया।

वेशधारी साधु हनुमानजी ने वृद्धा को उसके पुत्र को पेट के बल लिटाने का आदेश दिया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। वृद्धा से अपने बेटे की ऐसी हालत देखी न गई औव वो घर के अंदर चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाया और कहा कि उनका भोजन बन गया है। अब तुम अपने पुत्र को पुकारो जिससे वो भी आकर खाना खा सके। इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और पीड़ा न दें।

लेकिन साधु महाराज ने फिर भी कहा कि एक बार अपने पुत्र को पुकारो तो सही। तब वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। मां की आवाज सुनते ही पुत्र उनके पास आ गया। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा साधु के चरणों में गिर पड़ी। तब हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में आए और वृद्धा को आशीर्वाद दिया। बोलो बजरंगबली की जय ! हर हर महादेव !

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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