Mangalwar Vrat Katha In Hindi: बड़ा मंगलवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती, महत्व पढ़िए यहां
Mangalwar Vrat Katha, Puja Vidhi, Aarti in Hindi (मंगलवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती): : धार्मिक मान्यताओं अनुसार मंगलवार के व्रत करने से हनुमान जी (Hanuman Ji) की कृपा बरसती है साथ ही कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत हो जाता है। जानिए कैसे और कब से शुरू कर सकते हैं ये व्रत। क्या है मंगलवार व्रत की कथा और नियम।
Mangalwar Vrat Katha, Puja Vidhi: मंगलवार के व्रत करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होने की मान्यता है
Mangalwar Vrat Katha, Puja Vidhi, Aarti in Hindi (मंगलवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती): मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन व्रत करने से बजरंगबली शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति के बल और साहस में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर स्थिति में होता है उनके लिए भी ये व्रत फायदेमंद साबित होता है। अगर आप भी मंगलवार व्रत रख रहे हैं या रखने की सोच रहे हैं तो जान लें इस व्रत की विधि, कथा, महत्व, नियम और आरती।
Mangalwar Vrat Katha (मंगलवार व्रत कथा)
प्राचीन समय की बात है, किसी नगर में एक ब्राह्मण परिजन रहते थे। उनके कोई संतान नहीं थे। जिसके कारण वो बेहद दुखी रहते थे। ब्राह्मण हर मंगलवार को वन में हनुमान जी की पूजा के करने जाते थे और हर दिन वह बजरंगबली से एक पुत्र की कामना करते थे। उसकी पत्नी भी पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करती थी। वह मंगलवार के दिन उपवास रखकर हनुमान जी को भोग लगाने के बाद ही खुद भोजन करती थी।
एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी भोजन नहीं बना पाई। जिसके कारण वो हनुमान जी को भोग न लगा सकी। इसके बाद खुद को सजा देते हुए उसने प्रण किया कि वह अब सीधा अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही कुछ खाएगी। इस तरह वह भूखी प्यासी छह दिन तक पड़ी रही। फिर मंगलवार के दिन वह अचानक बेहोश हो गई। हनुमान जी उसकी श्रद्धा और भक्ति से प्रसन्न हुए। उन्होंने आशीर्वाद में ब्राह्मणी को एक पुत्र दिया और बोले यह तुम्हारी हमेशा बहुत सेवा करेगा।
ब्राह्मणी उस बालक को पाकर बहुत खुश हुई और बालक का नाम मंगल रखा। कुछ समय बाद जब ब्राह्मण घर लौटे, तो बालक को देख पूछने लगे कि वह कौन है? पत्नी बोली कि मंगलवार व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने यह बालक उपहार में दिया है। यह सुनकर ब्राह्मण हैरान हुए। उन्हें अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ। तभी एक दिन ब्राह्मण ने उस बालक को कुएं में गिरा दिया।
बच्चे को न देख, ब्राह्मणी ने पूछा- मंगल कहां है? तभी मंगल मुस्कुरा कर सामने आ गया। उसे वापस देख ब्राह्मण चौंक गए। उसी रात, ब्राह्मण के सपने में बजरंगबली दर्शन दिए और बताया कि यह पुत्र वास्तव में उनका ही दिया वरदान है। सच जानकर ब्राह्मण बहुत खुश हुए। इसके बाद से दोनों पति पत्नी नियमित रूप से मंगलवार व्रत रखने लगे।
Mangalwar Vrat Puja Vidhi (मंगलवार व्रत पूजा विधि)
व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व उठ जाएं और स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़कें। फिर घर के पूजा स्थल पर या घर की उत्तर-पूर्व दिशा में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद बजरंगबली की मूर्ति के सामने देसी घी का दीपक जलाएं। उन्हें फूलों की माला, रोली, सिंदूर आदि अर्पित करें और फल का भोग लगाएं। इस दिन हनुमान जी को चोला भी चढ़ा सकते हैं। संभव हो तो व्रत में चमेली का तेल लगाकर भगवान हनुमान को जरूर अर्पित करें। पूजा के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें। हो सके तो सुंदरकांड का पाठ भी करें। मंगलवार व्रत की कथा पढ़ें और हनुमान जी की आरती उतारें। दिन में एक समय ही भोजन करें। व्रत के दिन विशेष रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करें। साथ ही हनुमान जी तथा मंगल देव के मंत्र का जाप करें।
Mangalwar Vrat Puja Aarti (मंगलवार व्रत पूजा आरती)
आरती कीजे हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांके।
अंजनी पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे वीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाई।
लंका सी कोट समुद्र सी खाई, जात पवन सुत बार न लाई।
लंका जारि असुर सब मारे, राजा राम के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित परे धरनि पे, आनि संजीवन प्राण उबारे।
पैठि पाताल तोरि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे।
बाएं भुजा सब असुर संहारे, दाहिनी भुजा सब सन्त उबारे।
आरती करत सकल सुर नर नारी, जय जय जय हनुमान उचारी।
कंचन थार कपूर की बाती, आरती करत अंजनी माई।
जो हनुमानजी की आरती गावै, बसि बैकुण्ठ अमर फल पावै।
लंका विध्वंस किसो रघुराई, तुलसीदस स्वामी कीर्ति गाई।
आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
Mangalwar Vrat Importance (मंगलवार व्रत महत्व)
मान्यता के अनुसार मंगलवार का व्रत रखने से भगवान हनुमान की कृपा बरसती है साथ ही कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। इस व्रत के शुभ प्रभाव से जीवन की सभी परेशानियों का अंत हो जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति का साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है। मंगलवार का व्रत निसंतान दंपतियों के लिए भी सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। यदि शत्रु परेशान कर रहे हों या आप कर्ज में हों या फिर अस्वस्थ रहते हों या किसी भी अन्य समस्या के समाधान के लिए भी मंगलवार का व्रत कर सकते हैं।
मंगलवार व्रत के नियम (Mangalwar Vrat Ke Niyam)
- इस व्रत में एक समय भोजन करना चाहिए।
- मंगलवार व्रत में पवित्रता का पूरा ध्यान रखें।
- इस व्रत में नमक का सेवन न करें।
- मीठी वस्तु का सेवन करें और इसका दान भी करें।
- मंगलवार के व्रत में भूलकर भी काले या सफेद कपड़े पहनकर हनुमान जी की पूजा न करें।
- इस व्रत में लाल वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
मंगलवार व्रत कब से शुरू करें (When To Start Tuesday Fasting)
मंगलवार व्रत का आरंभ आप किसी भी महीने के शुक्लपक्ष के मंगलवार से कर सकते हैं। यदि आप मन में कोई मनोकामना लेकर यह व्रत शुरू करना चाहते हैं तो 21 या 45 मंगलवार व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। 21 या 45 मंगल व्रत करने के बाद आपको उद्यापन करना चाहिए। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने के साथ ही दान पुण्य भी करना चाहिए।
हनुमान जी के मंत्र (Hanuman Ji Mangalwar Mantra)- ॐ हं हनुमते नम:।
- ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय।
- ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नम:।
- ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा।
- ॐ नमो हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा।
- ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।
- ॐ नमो भगवते हनुमते नम:।
क्या महिलाएं मंगलवार का व्रत कर सकती हैं? (Can Women Do Tuesday Fast?)
अक्सर इस बात को लेकर संदेह बना रहता है कि महिलाएं हनुमान जी की पूजा कर सकती हैं या नहीं। पुराणों अनुसार महिलाएं भी बजरंगबली की पूजा कर सकती हैं और व्रत रख सकती हैं। बस महिलाओं द्वारा हनुमानजी को लाल वस्त्र या फिर चोला नहीं चढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि हनुमान जी आजीवन ब्रह्मचारी थे। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पड़ने वाले मंगलवार का व्रत नहीं करना चाहिए।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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