Mantra Sadhna: मंत्र साधना का आधार जुड़ा है विज्ञान से, मंत्र सिद्धि करना चाहते हैं तो आज से शुरू करें ये प्रयोग

Mantra Sadhna: कलयुग में साधक की आयु के अनुसार घटा है मंत्र साधना का क्रम। मंत्र साधना की आवृत्ति सर्वाधिक थी सतयुग में। मंत्र साधना के बल पर निर्धारित होते हैं मृत्यु के बाद लोक। शारीरिक पीड़ा को खत्म करने का मंत्र साधना है सरल माध्यम। मंत्र सिद्ध कर जाग्रत कर सकते हैं कुंडलिनी शक्ति भी।

Mantra Sadhna

मंत्र साधना और विज्ञान

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • युग के अनुसार बदलती है मंत्र साधना
  • शास्त्रों में है लिखा मंत्र साधना का महत्व
  • मंत्र साधना से रोगों का हो सकता है उपचार

Mantra Sadhna: आज के युग में मनुष्य की आयु का मानदंड बहुत कम है। इसलिए साधक के लिए मंत्र आवृत्ति के लक्ष्य भी कम रखे गए हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि साधक केवल ब्रह्म शक्तियों के मूल नामों की आवृत्ति कर कई लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। आज हम आपको बताते हैं मंत्र साधना के अनेक लाभ, जिससे आप अपने जीवन और मृत्यु दोनों सुधार सकते हैं।

आयु और स्वास्थ्य को मिलता है लाभ

मंत्र साधना से कई योगी साधकों ने कई युगों की साधना भी की और युगों युगों तक अपनी साधना के बल पर जीवित रहे। क्योंकि मंत्र साधना के बल पर ही सारा विश्व आश्रित है। मंत्रों की लगातार आवृत्ति से परलोकों में स्थान मिलता है। ये उल्लेख सनातन धर्म के कई ग्रंथाें में भी मिलता है। वर्तमान की मंत्र साधना में उपचार, भौतिक सुख प्राप्ति के मंत्र, तंत्र, यंत्रों की भरमार है। सारे साधक शरीर चक्र कुंडलिनी जागरण, पराशक्ति तत्वों के चमत्कार और दैविक शक्तियों से सुख की आकांक्षा काे लेकर साधना करते हैं। मंत्र साधक दृढ़ निश्चय और साधना सिद्धांतों का पालन करने वाला होना चाहिए। सबसे पहले मंत्रोच्चार दोष को दूर करना चाहिए। आसन, पूजन सामग्री का ज्ञान लें और निश्चित लक्ष्य प्राप्ति के लिए सभी क्रियाओं को पूर्ण करें।

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गुरु से मिले मंत्र को करना ही है उचित

जीवनभर भजन भाव भक्ति में डूबे हुए व्यक्ति का जीवन कड़वे फल की तरह बीतता है। इसके पीछे कारण है कि वो व्यक्ति अपने इष्ट को जाने बिना मंत्र− तप किये जा रहा है। लक्ष्य सिद्धि से पहले योग्य गुरु से यह जान लेना आवश्यक है कि आपके इष्ट देव कौन हैं। आपके लिए कौन सा मंत्र फलदायी हो सकता है। मंत्र क्योंकि तात्विक शक्तियां जागृत करता है। हर व्यक्ति की प्रकृति में एक मूल तत्व विद्यमान रहता है। मूल तत्व का आभास उसके व्यवहार से पता लगता है। तत्व के अनुसार ही गुरु मंत्र देते हैं। जैसे आप पृथ्वी तत्व के प्राणी हैं और आपका स्वभाव स्थिर, गंभीर है तो रुद्र मंत्र आपके लिए फलदायी हो सकते हैं।

मंत्र साधना का प्रयोग

शरीर की हर कोषा में अपना एक आवेश होता है। साधक की साधना के परीक्षण के लिए यही प्रयोग सरल है। पद्मासन में बैठकर ध्यान केंद्रित करें। जिस शक्ति के मंत्र की साधना करना चाहते हैं उसका स्वर रूप में उच्चारण करें। शरीर संचालन का केंद्र मस्तिष्क और सुषुम्ना है। उस मंत्र आवृत्ति को पूर्ण ध्यान में लेकर शरीर के जिस भाग को आप आज्ञा देंगे वहीं से वह मंत्र आवृत्ति बाहर होगी और वह भाग झपकने के बाद थोड़ा ऊपर उठ जाएगा। जितनी शीघ्रता और सरलता से जिस मंत्र शक्ति के माध्यम से क्रिया होगी वही मंत्र आपसे शीघ्र सिद्ध होगा।

डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।

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