Margashirsha Purnima Vrat Katha: मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत क्यों रखा जाता है, यहां जानिए इसकी पौराणिक कथा
Margashirsha Purnima Vrat Katha: मार्गशीर्ष पूर्णिमा कई जगहों पर सांस्कृतिक उत्सवों के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भजन-कीर्तन के साथ-साथ दान-पुण्य के कार्य करने का भी विशेष महत्व होता है। इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर को मनाई जा रही है। चलिए आपको बताते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा की कथा के बारे में।
Margashirsha Purnima Vrat Katha
Margashirsha Purnima Vrat Katha: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन कई श्रद्धालु उपवास रखते हैं। धर्म ग्रंथों अनुसार इस पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। ये व्रत बेहद फलदायी माना गया है। इस व्रत में भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा की जाती है। इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 15 दिसंबर को रखा जा रहा है। बाकी व्रतों की तरह ही इस व्रत में भी कथा पढ़ना अनिवार्य माना गया है। अगर आप भी इस पूर्णिमा को व्रत रख रहे हैं तो ये कथा जरूर पढें।
Margashirsha Purnima Puja Vidhi And Muhurat Check Here
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा (Margashirsha Purnima Vrat Katha)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा की कथा अनुसार महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसूया महान तपस्वी और धर्मपरायण थे। महर्षि अत्रि अपने तप और योग बल के कारण सभी में बहुत सम्मानित थे और उनकी पत्नी अनुसूया भी अपनी पतिव्रता और सतीत्व के लिए काफी प्रसिद्ध थीं। एक दिन उनकी महान तपस्या और सद्गुणों से प्रभावित होकर त्रिदेव ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया। त्रिदेव भिक्षुकों के रूप में माता अनुसूया के आश्रम में पहुंचे और उन्होंने उनसे भोजन की याचना की। लेकिन उन्होंने ये रखी कि माता अनुसूया को उन्हें निर्वस्त्र होकर भोजन कराना होगा। अनुसूया ने अपने सतीत्व और तपबल से उन तीनों को छोटे बच्चों में बदल दिया और फिर उन्हें निर्वस्त्र होकर भोजन कराया।
Margashirsha Purnima Vrat Vidhi
जब महर्षि अत्रि वापस लौटे, तो उन्होंने देखा कि तीन छोटे-छोटे बच्चे अनुसूया के पास खेल रहे हैं। इसके बाद अनुसूया ने पूरी घटना उन्हें बताई। महर्षि अत्रि ने अपने योगबल से तीनों के वास्तविक रूप को पहचान लिया। इसके बाद महर्षि अत्रि और अनुसूया की भक्ति और तप से प्रसन्न होकर त्रिदेव अपने वास्तविक रूप में वापस आ गए और उन्होंने उन्हें वरदान दिया। त्रिदेव ने महर्ष के यहां एक पुत्र के रूप में जन्म लिया। कहते हैं महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र ही भगवान दत्तात्रेय के रूप में प्रसिद्ध हुए। इसलिए ही मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय की भी पूजा की जाती है। इसके अलावा ये दिन भगवान विष्णु और शिव जी की आराधना के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। अध्यात्म (Spirituality News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
Margashirsha Purnima 2024 Upay In Hindi: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें ये उपाय, माता लक्ष्मी की बरसेगी कृपा
Margashirsha Purnima 2024: मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब है आज या कल? नोट कर लें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय समय
December Purnima Vrat 2024: दिसंबर पूर्णिमा व्रत कब है 14 या 15 दिसंबर? नोट कर लें सही तारीख, मुहूर्त, व्रत विधि और चंद्रोदय समय
Dattatreya Jayanti 2024: दत्तात्रेय जयंती पर ऐसे करें पूजा पितृ ऋण से मिल जाएगी मुक्ति, जान लें पूजा मुहूर्त
Aaj Ka Panchang 14 December 2024: पंचांग से जानिए क्या रहेगा मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन पूजा का मुहूर्त, कितने बजे होगा सूर्यास्त
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited