Masik Shivratri 2023: वर्ष की पहली मासिक शिवरात्रि की शुरुआत, पंचाक्षर मंत्र के साथ करें भाेलेनाथ का अभिषेक

Masik Shivratri 2023: आदि अनंत शिव की आराधना को समर्पित है मासिक शिवरात्रि का व्रत। शिवरात्रि के मौके पर रात के समय शिव−पार्वती के पूजन का खास महत्व है। शिवरात्रि के व्रत के प्रभाव से अविवाहित कन्याओं को सुयोग्य वर प्राप्त हाेता है। मां पार्वती को किया जाता है सुहाग का सामान अर्पित। नमः शिवाय के जाप से व्रत होता है पूर्ण।

Masik Shivratri 2023

20 जनवरी को पहली मासिक शिवरात्रि

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • शिवरात्रि पर जरूर करें नमः शिवाय मंत्र का जाप
  • हर माह होती है शिवरात्रि
  • कठिन कार्य भी व्रत के प्रभाव से होते हैं आसान

Masik Shivratri 2023: शिव समान दाता नहीं कोई, शिव समान नहीं कोई हितकारी। भगवान भाेले नाथ की पूजा बहुत ही सरल और सहज है। एक लोटा जल और नमः शिवाय के जाप से भगवान शंकर प्रसन्न हो जाते हैं। वर्ष में 12 मासिक शिवरात्रि होती हैं, जिनमें से दो शिवरात्रि विशेष होती हैं। फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि और सावन मास की शिवरात्रि पर विशेषकर लोग पूजा करते हैं। 20 जनवरी को वर्ष 2023 की पहली मासिक शिवरात्रि है। इस दिन भगवान शिव का मां पार्वती के साथ गठबंधन कर पूजन किया जाता है।

शिवरात्रि पर करें पंचाक्षर मंत्र का जाप

नमः शिवाय का जाप। जी हां ये पंचाक्षर मंत्र जीवन की सारी आधि− व्याधि को नष्ट करने के लिए काफी है। नमः शिवाय मंत्र सनातन धर्म में सबसे अधिक जपा जाने वाला मंत्र है। पांच अक्षर का ये मंत्र ब्रह्मांड की अलौकिक शक्ति से परिपूर्ण है। नमः शिवाय का अर्थ होता है भगवान शिव को नमस्कार। ध्यान रखिए की नमः शिवाय मंत्र के आगे ऊँ न लगाएं। ऊँ अपने आप में पूर्ण है। ये आपका सीधे ब्रह्मांड की उर्जा से संपर्क कराता है। जबकि नमः शिवाय मंत्र आपको शिव जी के प्रति समर्पित करता है।

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मासिक शिवरात्रि पूजन विधि

माघ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 20 जनवरी को सुबह दस बजे से लगेगी और 21 जनवरी को सुबह सवा छह बजे समाप्त होगी। शिवरात्रि की पूजा निशिता काल अर्थात मध्यरात्रि में की जाती है। इसलिए शिवरात्रि का व्रत एवं पूजन 20 जनवरी को किया जाएगा। ध्यान रखें कि शिवरात्रि के व्रत में त्रयोदशी तिथि पर एक समय भाेजन करके चतुर्दशी पर निराहार रहें।

इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ऊँ मंत्र के साथ ध्यान लगाएं। स्नानादि से निवृत्त होकर पंचाक्षर मंत्र के साथ मंदिर में भगवान भाेलेनाथ का अभिषेक करें। मध्यरात्रि में भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करें। मां पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करें। शिवलिंग और पार्वती जी की प्रतिमा का गठबंधन करें। कलावा सात बार लपेटें। भगवान शिव को पूजा में चावल, पान, सुपारी, लौंग, धतूरा, चंदन, दूध, घी, शहद, कमलगट्टा, बेलपत्र अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ करें। नमः शिवाय मंत्र की कम से कम 5 या 11 माला का जाप करें। शिवरात्रि में रात्रि जागरण करें। संभव हो तो चार बार आरती करें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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