Mauni Amavasya 2023: मौनी अमावस्या पर क्या है गंगा स्नान का महत्व, जानें तिथि, मुहूर्त और महत्व

Mauni Amavasya 2023 Snan : मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दिन गंगा स्नान करने का महत्व और संबंध सागर मंथन से निकले अमृत कलश से जुड़ा हुआ है। इस दिन स्नान के साथ ही पितरों का तर्पण और दान-पुण्य करने का भी महत्व है।

Mauni Amavasya 2023

अमृत कलश से जुड़ा है मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का संबंध

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • अमावस्या पर गंगा स्नान, तर्पण और पिंडदान का है महत्व
  • अमृत स्नान के समान होता है गंगा स्नान का महत्व
  • मौनी या माघी अमावस्या पर रखा जाता है मौन व्रत
Mauni Amavasya 2023 Snan Importance: पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि को अमावस्या होती है, इसे मौनी अमावस्या या फिर माघी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस साल मौनी अमावस्या शनिवार 21 जनवरी 2023 को पड़ेगी। अमावस्या तिथि को विशेषकर पितरों को मोक्ष दिलाने वाले दिन के लिए जाना जाता है। वहीं मौनी अमावस्या को सभी अमावस्या में श्रेष्ठ माना गया है। क्योंकि यह एकमात्र ऐसी अमावस्या है, जिसमें मौन धारण कर जप-तप करने का भी विधान है। साथ ही इस दिन गंगा स्नान का भी बहुत धार्मिक महत्व होता है। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों माघ महीने में पड़ने वाली अमावस्या पर गंगा स्नान का इतना अधिक महत्व है। दरअसल, इसका संबंध समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश से जुड़ा हुआ है।
मौनी अमावस्या 2023 तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 21 जनवरी को सुबह 06:17 पर होगी और अमावस्या तिथि का समापन अगले दिन 22 जनवरी को तड़के 02:22 मिनट पर होगा। ऐसे में 21 जनवरी के दिन उदयातिथि के अनुसार मौनी अमावस्या मान्य होगी।
मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्व
मौनी अमावस्या पर लोग सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही गंगा स्नान करते हैं। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और इस दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान जैसे कर्म भी किए जाते हैं। स्नान और पूजा पाठ के बाद लोग तिल के लड्डू, तिल, तिल का तेल, वस्त्र, आंवला, कंबल आदि जैसी चीजों का दान भी अपने सामर्थ्यनुसार करते हैं। वहीं कुछ लोग इस दिन मौन व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि इससे आत्मबल मजबूती आती है। साथ ही मौनी अमावस्या पर पीपल वृक्ष की भी पूजा करने का महत्व है।
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का कारण
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान को लेकर जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवों और असुरों द्वारा सागर मंथन किया था, तब अंत में समुद्र से भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। लेकिन इस अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच विवाद हो गया। विवाद के बीच ही अमृत कलश से अृमत की कुछ बूंदे प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक की पवित्र नदियों में जा गिरी, जिससे कि ये नदियां पवित्र हो गईं। खासकर गंगा नदी में सभी धार्मिक पर्व, त्योहार और विशेष तिथियों में स्नान करने की परंपरा बन गई। मान्यता है कि विशेष तिथियों में गंगा स्नान करने से अमृत स्नान के समान फल की प्राप्ति होती है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)
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