Mauni Amavasya 2023 Vrat Katha, Puja Vidhi: मौनी अमावस्या की व्रत कथा, पूजा विधि, मंत्र और मुहूर्त सबकुछ यहां जानें

Mauni Amavasya 2023 Vrat Katha, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra: माघ महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या और मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। जानें माघ अमावस्या की व्रत कथा (Magh Amavasya Vrat katha), पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त।

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Mauni Amavasya Vrat Katha, Puja Vidhi And Muhurat: मौनी अमावस्या की व्रत कथा, पूजा विधि और मुहूर्त।

Mauni Amavasya 2023 Vrat Katha, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra: माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस अमावस्या का खास महत्व माना जाता है। इस दिन मौन रहकर पवित्र नदी या कुंड में स्नान करने से मनचाही मुराद पूरी हो जाती है। यदि आपके आस-पास नदी या कुंड नहीं है तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। ऐसा करने से भी पुण्य की प्राप्ति हो जाएगी। जानिए मौनी अमावस्या की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त और कथा।

मौनी अमावस्या व्रत विधि (Mauni Amavasya Vrat Vidhi)

  • मौनी अमावस्या के दिन प्रात: काल उठकर नदी, सरोवर या फिर किसी पवित्र कुंड में स्नान करें। स्नान करने से तक मौन व्रत धारण करें।
  • स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • फिर व्रत रखने का संकल्प लें और कोशिश करें कि इस दिन मौन रहें।
  • जरूरतमंद और भूखों को भोजन कराएं।
  • गरीबों को वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग का दान करें।
  • इस दिन गौ दान, स्वर्ण दान और भूमि दान का भी विशेष महत्व माना जाता है।
  • माघ अमावस्या पर पितरों का स्मरण करें।

मौनी अमावस्या के दिन पितृ पूजन ऐसे करें (Pitru Dosh Pujan On Mauni Amavasya 2023)

मौनी अमावस्या का दिन पितरों की पूजन और पितृ दोष निवारण के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितरों का ध्यान करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके लिए एक लोटे में जल लें। इसके बाद उसमें लाल फूल डालें और साथ ही काले तिल भी मिला लें। इसके बाद अपने पितरों को याद करते हुए और उनकी शांति की प्रार्थना करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें। ऐसा करने से आपको पितृ दोष से मुक्ति अवश्य मिलेगी।

मौनी अमावस्या पर इन चीजों का करें दान (Mauni Amavasya Daan)

मौनी अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में इस दिन तिल के लड्डू, तिल का तेल, या तिल, आंवला, कंबल, वस्त्र, इत्यादि चीजें किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जरूर दान करें।

मौनी अमावस्या 2023 मुहूर्त (Mauni Amavasya 2023 Time)

  • माघ/मौनी अमावस्या तिथि: 21 जनवरी 2023
  • प्रारंभ समय: सुबह 06 बजकर 19 मिनट से
  • समाप्ति समय: 22 जनवरी, 2023 की रात 02 बजकर 25 मिनट तक

मौनी अमावस्या पर स्नान करते हुए इस मंत्र का करें जाप (Mauni Amavasya Mantra)

मौनी अमावस्या पर स्नान के समय पढ़ें ये मंत्रपवित्र जल में स्नान करते समय इस मंत्र का जाप करें: – ‘गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु ||’

माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या व्रत कथा (Mauni Amavasya Vrat Katha In Hindi)

एक समय की बात है, कांचीपुरी नगर में एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। ब्राह्मण की पत्नी का नाम धनपति, एक पुत्री गुणवती थी। इसके अलावा उसके सात बेटे भी थे। ब्राह्मण ने अपने सभी पुत्रों का विवाह बड़ी धूमधाम से किया और फिर अपनी पुत्री गुणवती के लिए योग्य वर की तलाश करने लगा। उसने अपने बड़े बेटे को अपनी पुत्री के लिए वर खोजने के लिए नगर से बाहर भेजा।

इस बीच उसने अपनी पुत्री गुणवती की कुंडली एक ज्योतिष को दिखाई। कुंडली देखकर ज्योतिष बोला कि आपकी बेटी की कुंडली में दोष है और वह विवाह के उपरान्त विधवा हो जाएगी। यह सुनकर ब्राह्मण दुखी हो गया और ज्योतिष से इसका निवारण पूछा। तब ज्योतिष ने कहा, यदि सिंहलद्वीप में रहने वाली सोमा धोबिन शादी के वक्त अपना पुण्य आपकी पुत्री को भेंट कर दे और वर-वधु को अशीर्वाद दें तो इससे आपकी पुत्री आजीवन सुहागन रहेगी। यह सुनते ही ब्राह्मण ने अपने सबसे छोटे बेटे के साथ अपनी पुत्री गुणवती को सोमा धोबीन के घर भेज दिया।

दोनों भाई बहन सिंहलद्वीप के लिए निकल गए। वहां जाकर उन्होंने सोमा धोबिन को पूरी बात बता दी। सोमा धोबीन पूरी बात सुनने के बाद उनके साथ उनके घर आने के लिए तैयार हो गई। इधर ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने शादी की सभी तैयारियां कर ली और पुत्री के आते ही ब्राह्मण ने गुणवती का विवाह कर दिया। परंतु सप्तपति होते ही गुणवति विधवा हो गई। तब सोमा धोबिन ने अपने पुण्य का फल दान कर गुणवती के पति को फिर से जिंदा कर दिया और वर-वधु को आशीर्वाद देकर सिंहलद्वीप के लिए निकल गई।

जब सोमा धोबिन अपने घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके पति, पुत्र और दामाद सभी की मृत्यु हो गई है। जिसके बाद सोमा धोबिन नदी किनारे एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करने लगी और उसने पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा की। ऐसा करने से भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर सोमा धोबिन को पुण्य दिया, जिसके उसका परिवार फिर से जीवित हो गया। तभी से ऐसी मान्यता है कि यदि माघ अमावस्या के दिन मौन रहकर भगवान शिव और विष्णु की पूजा करते हैं तो मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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