Mauni Amavasya Vrat Katha: मौनी अमावस्या व्रत के दिन जरूर पढ़ें ये पावन कथा
Mauni Amavasya Vrat Katha in Hindi 2024: आज माघ महीने की अमावस्या तिथि है। जिसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में इस अमावस्या का खास महत्व माना गया है। जानिए मौनी अमावस्या की व्रत कथा।
Mauni Amavasya Vrat Katha
Mauni Amavasya Vrat Katha in Hindi 2024: माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या और माघी अमावस्या (Maghi Amavasya) के नाम से जाना जाता है। इस दिन मौन व्रत का पालन किया जाता है इसलिए ही इसे मौनी अमावस्या कहते हैं। वैसे तो साल में कुल 12 अमावस्या पड़ती हैं लेकिन सभी में मौनी अमावस्या का अपना विशेष महत्व माना जाता है। इस साल इस अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्ध योग भी बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ गया है। अब जानिए मौनी अमावस्या की व्रत कथा।
मौनी अमावस्या व्रत कथा (Mauni Amavasya Vrat Katha in hindi)
एक बार कांचीपुरी में देवस्वामी नामक एक ब्राह्मण रहता था। जिसकी पत्नी का नाम धनवती था। ब्राह्मण अपने सभी बेटों की तो शादी कर चुका था लेकिन उसकी पुत्री का विवाह नहीं हुआ था। उसने अपनी पुत्री के लिए सुयोग्य वर की खोज में बड़े बेटे को नगर भेजा था। एक दिन ब्राह्मण ने ज्योतिषी को अपनी बेटी की कुंडली दिखाई, तो ज्योतिषी ने उसे बताया कि विवाह के तुरंत बाद ही उसके पति की मृत्यु हो जाएगी। ये बात सुनकर ब्राह्मण दुखी हो गया और इस समस्या का उपाय पूछने लगा। तब ज्योतिषी ने ब्राह्मण को कहा कि सिंहलद्वीप में एक सोमा नाम की धोबिन रहती है। अगर वो आपके घर आकर पूजा करेगी, तो आपकी बेटी की कुंडली से अवश्य ही ये दोष हट जाएगा। (Mauni Amavasya Upay In Hindi)
ब्राह्मण उस महिला की खोज में निकल पड़ा, लेकिन इसके लिए उसे एक विशाल समुद्र को पार करना था। बहुत सोचने के बाद भी उसे ये नहीं समझ आ पाया कि आखिरकार द्वीप पर कैसे जाया जाए। काफी समय बीतने के बाद वह भूखा-प्यासा ही एक वट वृक्ष के नीचे आराम करने लगा। उस पेड़ पर एक गिद्ध का परिवार भी रहा करता था। गिद्ध ने देवस्वामी से उसकी उदासी की वजह पूछी, तब उसने सारी बात बताई। गिद्ध ने ब्राह्मण को आश्वासन दिया कि वह उसकी समस्या का समाधान जरूर करेगा। अगले दिन गिद्ध ने देवस्वामी को धोबिन के घर पहुंचा दिया।
देवस्वामी सोमा को मनाकर पूजा करने के लिए अपने घर ले आये और विधि-विधान से ब्राह्मण ने अपनी पुत्री का विवाह कर दिया गया। लेकिन इस उपाय के बाद भी उस लड़की के पति का निधन हो गया और फिर सोमा ने अपने पुण्य का दान गुणवती को किया। जिससे उसका पति पुनः जीवित हो गया। अब सोमा धोबिन अपने घर सिंहलद्वीपर वापस आ गई। लेकिन अपने सारे पुण्य कर्मों को गुणवती को देने की वजह से उसके बेटे, पति और दामाद की मृत्यु हो गई। दुखी होकर सोमा धोबीन नदी किनारे पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गई और भगवान विष्णु की उपासना में लीन हो गई। साथ ही, उसने पीपल की 108 बार परिक्रमा भी की। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसके बेटे, पति और दामाद को जीवित कर दिया। कहते हैं उस समय से ही मौनी अमावस्या का व्रत विधि पूर्वक किया जाने लगा। (Mauni Amavasya Par Kya Daan Kare)
मौनी अमावस्या का महत्व (Mauni Amavasya Ka Mahatva)
मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत समान हो जाता है। ऐसे में इस जल में स्नान करने से शरीर को भी काफी फायदा मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, माघ माह की अमावस्या पर ऋषि मनु का भी जन्म हुआ था इसलिए यह तिथि मौनी अमावस्या के नाम से भी जानी जाती है। कहते हैं जो मनुष्य इस दिन मौन व्रत रखता है उसे अपने जीवन में वाक् की सिद्धि प्राप्त होती है।
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TNN अध्यात्म डेस्क author
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