Mauni Amavasya Vrat Vidhi: मौनी अमावस्या पर मौन व्रत कितनी देर के लिए रखना है? जानें इसकी विधि और नियम
Mauni Amavasya Vrat Vidhi: मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखना बेहद पुण्य का काम माना जाता है। लेकिन इस दिन मौन व्रत क्यों रखा जाता है, इसके फायदे क्या है और किसे ये व्रत रखना चाहिए? सबकुछ जानेंगे यहां।
Mauni Amavasya Vrat 2024
Mauni Amavasya Vrat Vidhi In Hindi (मौनी अमावस्या व्रत विधि): मौनी अमावस्या का दिन बहुत ही पवित्र माना जाता है। भगवान को समर्पित यह पवित्र दिवस भक्ति तथा सम्पूर्ण समर्पण से भगवान श्री कृष्ण जी के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का है। इस वर्ष यह अमावस्या 09 फरवरी को है। इस दिन कई लोग मौन व्रत भी रखते हैं। मान्यता है मौन व्रत करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। कहते हैं जो व्यक्ति मौनी अमावस्या पर मौन रहकर नदी स्नान कर दान-पुण्य के कर्म करता है उसकी समस्त इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। जानिए मौनी अमावस्या पर मौन व्रत कैसे और कितनी देर के लिए रखना चाहिए।
मौनी अमावस्या मौन व्रत विधि (Mauni Amavasya Maun Vrat Vidhi In Hindi)
इस दिन प्रातःकाल मौन रहकर संगम स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं। यदि आप घर पर हैं तो पहले स्नान के पात्र में गंगा जल डालिये फिर जल उसके बाद तिल व आंवला तब स्नान करें। प्रातःकाल ब्रम्हमुहूर्त में पूजा करें। पूरे दिन मानसिक जप करें। अपने इष्ट के नाम का निरन्तर जप करते रहें। व्रत निराजल या फलाहार रहें। अगले दिन प्रातःकाल पारण करें। महिलाएं व पुरुष सभी व्रत रहें। जिन माताओं व बहनों को मासिक धर्म है वह व्रत रख सकती हैं लेकिन भगवान के मूर्ति का स्पर्श व पूजा नहीं करनी है। मन ही मन केवल भगवान के नाम का जप करें।
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने के फायदे
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत कितनी देर के लिए रखना है (Mauni Amavasya Par Maun Vrat Ka Time)
मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान शत प्रतिशत करना चाहिए। स्नान करते समय मन ही मन माता गंगा व अपने इष्ट भगवान के नाम का जप करें। सम्भव हो तो पूरे दिन मौन भी रह सकते हैं। इस दिन सूर्य आत्मा व चन्द्रमा मन दोनों एकीकृत होकर परमात्मा के स्मरण व प्रेम में स्व आनंद में रहते हैं।
मौनी अमावस्या पर करें पितरों का तर्पण
जो लोग सफलता चाहते हैं उनके लिए यह अमावस्या वरदान है। इस अमावस्या को व्रत रखकर विशेष पूजा पाठ करके भंडारा करना चाहिए। जिनके पितरों में किसी की कभी अकाल मृत्यु हुई है वो इस दिन विशेष तांत्रिक अनुष्ठान भी कर सकते हैं। त्रिपिंडी श्राद्ध भी करवा सकते हैं। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष हो वो आज त्रिपिंडी श्राद्ध करके उसकी शांति करवा सकते हैं। इस दिन दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए। श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ विशेष फलदायी है। प्रातःकाल पवित्र नदी में स्नान करके दान पुण्य करना चाहिए। संकटों से मुक्ति के लिए श्री रामचरितमानस में सुंदरकांड का पाठ करना बहुत ही लाभकारी होता है। इस दिन नदी में स्नान करते समय गायत्री मंत्र का जप करते रहें तथा स्नान के उपरांत नदी के तट पर पवित्र आसन पर बैठकर गीता का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। संगम स्नान का विशेष महत्व है।
मौनी अमावस्या पर बंगलामुखी अनुष्ठान का महत्व
राजनीति में विजय प्राप्ति हेतु तथा किसी भी प्रकार की बाधाओं को समाप्त करने के लिए मौनी अमावस्या के दिन बंगलामुखी पूजा आरम्भ कराकर सकुशल विधिवत सम्पन्न कराने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
करें विष्णु पूजा
इस दिन बृहस्पति तथा चंद्रमा के बीज मंत्र का जप करें। महामृत्युंजय मंत्र भी फलदायी है।इस समय श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ बहुत लाभ देता है।
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