Mohini Ekadashi Significance: मोहिनी एकादशी का महत्व क्या है, जानिए इसकी पौराणिक कथा
Mohini Ekadashi Significance: धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन से निकले अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। जिसके बाद उन्होंने देवताओं को अमृतपान कराया था। जानिए मोहिनी एकादशी का महत्व और पौराणिक कथा।
Mohini Ekadashi Significance
Mohini Ekadashi Significance (मोहिनी एकादशी का महत्व): हिंदू धर्म में मोहिनी एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं जो कोई इस एकादशी पर सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करता है उसके सारे मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। इस साल मोहिनी एकादशी 19 मई को मनाई जाएगी। ये एकादशी मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी मानी जाती है। पौराणिक कथाओं अनुसार जिस समय अमृत को लेकर देवताओं और राक्षसों में छीना-झपटी शुरू हो गई थी तब भगवान विष्णु ने बहुत ही सुंदर और आकर्षक स्त्री का रूप धारण किया था जिसका नाम मोहिनी था। चलिए जानते हैं मोहिनी एकादशी की कथा और महत्व।
मोहिनी एकादशी का महत्व (Mohini Ekadashi Significance)
पौराणिक कथाओं अनुसार जब समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर देवताओं और असुरों में भयानक युद्ध छिड़ गया था तब जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु ने अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए मोहिनी अवतार लिया था। भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप ने सभी असुरों को मोह-माया में फंसाकर उनका ध्यान भंग कर दिया और उन्होंने अमृत वहां मौजूद देवताओं को पिला दिया। जिसके बाद सभी देवता अमर हो गए। कहते हैं जिस दिन भगवान विष्णु ने अपना मोहिनी रूप धारण किया था उस दिन एकादशी तिथि थी। तभी से इस एकादशी का नाम मोहिनी एकादशी पड़ गया।
मोहिनी एकादशी की व्रत कथा (Mohini Ekadashi Ki Vrat Katha)
एक समय सरस्वती नदी के पास भद्रावती नाम का एक सुंदर नगर था जहां धनपाल नाम का एक अमीर व्यक्ति रहता था। ये व्यक्ति स्वभाव में बहुत ही दयालु और दानपुण्य के कार्य करने वाला था। उसके पांच पुत्र भी थे। जिसमें उसका सबसे छोटा बेटा हमेशा गलत कामों में अपने पिता का पैसा बर्बाद करता रहता था। बेटे की बुरी आदतों से परेशान होकर उसके पिता धनपाल ने उसे घर से निकाल दिया। जिसके बाद वह दुखी होकर जंगल की तरफ चला गया और दिन-रात दुख और शोक में डूबा रहने लगा। भटकते- भटकते वह एक दिन वह महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम पहुंचा। उस समय महर्षि गंगा स्नान करके आए थे।
धनपाल का छोटा बेटा कौण्डिन्य ऋषि के पास गया और रोते बिलकते हाथ जोड़कर बोला, हे! ‘ऋषि मुझ मुझे एक ऐसा उपाय बताएं जिसके अच्छे प्रभाव से मेरे सभी दुख दूर हो जाएं’ तब महर्षि कौण्डिन्य बोले, तुम मोहिनी एकादशी का व्रत करो इससे तुम्हे जन्मों जन्मों के पाप से मुक्ति मिल जाएगी। लड़के ने ऋषि की बताई गई विधि के अनुसार व्रत पालन किया। जिससे उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिल गई।
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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