Mohini Ekadashi 2023 Vrat Katha: मोहिनी एकादशी व्रत कथा हिंदी में, पौराणिक कहानी से जानें इस व्रत का क्या है महत्व
Mohini Ekadashi Vrat Katha In Hindi, मोहिनी एकादशी की पौराणिक कहानी: मोहिनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है, जो प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इसबार मोहिनी एकादशी 1 मई 2023 को पड़ रही है। इस दिन मोहिनी एकादशी व्रत की कथा सुनने या पढ़ने से सुख-सौभाग्य का आगमन होता है। इसी के साथ यहां जानिए मोहिनी एकादशी व्रत कथा इन हिंदी।
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Mohini Ekadashi Vrat Katha In Hindi 2023: हिंदू धर्म में मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का विशेष महत्व है। यह प्रतिवर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है। यह सृष्टी के पालनहार देव श्री हरि विष्णु को समर्पित एक खास दिन है। इस बार यह व्रत 1 मई 2023, सोमवार को पड़ी है। कहते हैं भगवान विष्णु ने इसी दिन मोहिनी का अवतार लेकर संपूर्ण सृष्टि को असुरों के चंगुल से बचाया था। यही वजह है कि इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की आराधना की जाती है। पूजन के दौरान इस व्रत की कथा सुनने या पढ़ने से साधक को विशेष फलों की प्राप्ति होती है। समस्त पाप और दुखों का शमन होता है। वहीं, धन-सौभाग्य (Mohini Ekadashi 2023 Significance) का आशीर्वाद मिलता है। जानिए मोहिनी एकादशी की व्रत कथा इन हिंदी। मोहिनी एकादशी की पौराणिक कहानी से जानें इस व्रत का महत्व।
Mohini Ekadashi Vrat 2023 Parana Time, Vidhi in Hindi
मोहिनी एकादशी की व्रत कथा इन हिंदी (Ekadashi Vrat Katha 2023)
पौराणिक कथा अनुसार, सरस्वती नदी के तट पर बासी एक भद्रावती नामक नगरी में द्युतिमान नाम का चंद्रवंशी राजा राज करता था। उसके दरबार में धन-धान्य से संपन्न और पुण्यवान एक वैश्य भी रहता था, जिसका नाम धनपाल था। वह परम विष्णु भक्त था। उसने नगर में कई भोजनालय, सरोवर, धर्मशाला, प्याऊ, कुएं आदि बनवाए थे। इतना ही नहीं, सड़कों पर आम, जामुन, नीम आदि के वृक्ष भी लगवाए थे। उसके 5 पुत्र- सद्बुद्धि, सुमना, सुकृति, मेधावी और धृष्टबुद्धि थे।
इनमें से एक पुत्र धृष्टबुद्धि महापापी था और पितर आदि को नहीं मानता था। वह वेश्या, दुराचारी मनुष्यों की संगति में रहता था और जुआ खेलता था। इतना ही नहीं वह पर-स्त्री के साथ भोग-विलास करता और मद्य-मांस का सेवन भी करता था। इसी प्रकार कुकर्मों में विलीन वह दुष्ट अपने पिता के धन को नष्ट करता रहता था। पुत्र के ऐसे बर्ताव से त्रस्त होकर पिता ने उसे घर से निकाल दिया था। घर से निकाले जाने के बाद वह अपने गहने-कपड़े आदि बेचकर अपना निर्वाह करने लगा। जब सबकुछ खत्म हो गया तो वेश्या और दुराचारी साथियों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। अब वह खाने पीने को भी तड़पने लगा। कोई सहारा न देख वह पापी चोरी करना शुरू कर दिया।
एक बार वह पकड़ा गया तो उसे वैश्य का पुत्र जानकर आखिरी चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। मगर दूसरी बार पकड़े जाने पर राजा की आज्ञा से उसे कारागार में डाल दिया गया। कारागार में उसे कष्ट सहना पड़ा। अंत में राजा ने उसे नगरी से निकल जाने का कह दिया।
फिर, वह नगरी से निकलकर वन में चला गया। वहां वो वन्य पशु-पक्षियों को मारकर खाना शुरू कर दिया। कुछ समय बीत जाने के बाद वह बहेलिया बन गया और धनुष-बाण लेकर पशु-पक्षियों को मारकर खाने लगा। फिर एक दिन वह भूख-प्यासा, खाने की तलाश में भटकता हुआ कौडिन्य ऋषि के आश्रम में पहुंचा। उस समय वैशाख का महीना था और ऋषि गंगा स्नान करके आ रहे थे। उनके भीगे वस्त्रों के कुछ छींटे उस पापी पर पड़ी तो उसे कुछ सद्बुद्धि प्राप्त हुई।
तब, उसने कौडिन्य मुनि से हाथ जोड़कर कहा कि हे मुने! मैंने अपने जीवन में कई पाप किए हैं। आप इन पापों से मुक्ति पाने का बिना खर्च वाले कोई साधारण उपाय बताइए। उसके दीन वचन सुनकर मुनि प्रसन्न हुए और कहा कि तुम वैशाख शुक्ल की मोहिनी एकादशी का व्रत करो। इससे तुम्हारे द्वारा किए गए समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे। मुनि के वचन सुनकर वह अत्यंत प्रसन्न हुआ और विधि अनुसार व्रत का पालन किया। इस व्रत के प्रताप से उसके सारे पाप नष्ट हो गए और अंत में वह गरुड़ पर बैठकर विष्णुलोक को चला गया।
अत: संसार में इस व्रत से श्रेष्ठ और कोई व्रत नहीं। इसके माहात्म्य को पढ़ने अथवा सुनने से एक हजार गौदान के बराबर फल प्राप्त होता है। हर मनुष्य को यह व्रत अवश्य रखना चाहिए। साथ ही इस व्रत की कथा पढ़ना या सुनना चाहिए।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर ट्रेनी कॉपी राइटर कार्यरत हूं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन की रहने वाली लड़की, जिसे कविताएं लिखना, महिलाओं से ज...और देखें
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