Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी कब है? जानें तिथि, मुहूर्त, महत्व और कथा
Mokshada Ekadashi 2023 Date And Time: मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर गीता जयंती भी मनाई जाती है। जानिए इस साल मोक्षदा एकादशी कब है और इसका शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
Mokshada Ekadashi 2023 Date And Vrat Katha
मोक्षदा एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Mokshada Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
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मोक्षदा एकादशी- 22 दिसम्बर 2023, शुक्रवार
व्रत पारण समय- 23 दिसंबर को 01:05 PM से 03:12 PM
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - 12:59 PM
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 22 दिसम्बर 2023 को 08:16 AM बजे
एकादशी तिथि समाप्त- 23 दिसम्बर 2023 को 07:11 AM बजे
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Mokshada Ekadashi Puja Vidhi )
- मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण, महर्षि वेद व्यास और श्रीमद् भागवत गीता का पूजन किया जाता है।
- इस व्रत से एक दिन पहले दशमी तिथि को दोपहर में एक ही बार भोजन करें रात में नहीं।
- फिर एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की धूप, दीप और नैवेद्य आदि से पूजा करें। वहीं रात्रि में भी जागरण करें।
- फिर एकादशी के अगले दिन द्वादशी पर फिर से पूजन करें और उसके बाद जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन व दान-दक्षिणा देनी दें।
- इसके बाद भोजन ग्रहण करके अपना व्रत खोलना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी की कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha )
गोकुल नगर में वैखानस नाम का एक राजा राज्य करता था। उसने एक दिन सपने में देखा कि उसके पिता नरक में तमाम कष्ट भोग रहे हैं और अपने पुत्र से उद्धार की मदद मांग रहे हैं। पिता की यह दशा देखकर राजा परेशान होकर उठ गए। फिर प्रात: राजा ने ब्राह्मणों को बुलाया और अपने स्वप्न का कारण पूछा। तब ब्राह्मणों ने कहा कि- हे राजन! आप पर्वत नामक मुनि के आश्रम पर जाकर अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछिए वहां आपकी समस्या का समाधान जरूर मिलेगा। राजा पर्वत मुनि के पास पहुंचे और उन्हें अपनी बात बता दी। उन्होंने कहा कि- हे राजन! पूर्वजन्मों के कर्मों के कारण ही आपके पिता को नर्कवास प्राप्त हुआ है। अब तुम मोक्षदा एकादशी का व्रत करो और अपने पिता को अपने व्रत का फल अर्पण करो, तो उनकी मुक्ति हो जाएगी। राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन, दक्षिणा और वस्त्र आदि अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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